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दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटना: दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सीएक्यूएम नीति

वायु प्रदूषण यूपीएससी: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

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दिल्ली में वायु प्रदूषण: प्रसंग

  • हाल ही में, एनसीआर एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट/सीएक्यूएम) ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के खतरे को कम करने के लिए एक विस्तृत नीति तैयार की है।

 

वायु प्रदूषण पर सीएक्यूएम नीति: प्रमुख बिंदु

  • सर्वोच्च न्यायालय ने पहले सीएक्यूएम को दिल्ली एवं एनसीआर में प्रत्येक वर्ष होने वाले वायु प्रदूषण के खतरे का स्थायी समाधान खोजने का निर्देश दिया था
  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (नेशनल कैपिटल रीजन/एनसीआर) की वायु गुणवत्ता के समग्र सुधार के लिए अलग-अलग भौगोलिक दृष्टिकोण एवं कार्रवाई की समय सीमा के माध्यम से नीति तैयार की गई है।
  • इस नीति में एनसीआर के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड/सीपीसीबी) एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) सहित हितधारकों के लिए क्षेत्रवार सिफारिशें सम्मिलित हैं
  • प्राथमिक उद्देश्य उद्योगों, वाहनों / परिवहन, निर्माण एवं उत्पाटन (कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन/सी एंड डी), सड़कों एवं खुले क्षेत्रों से धूल, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट जलाने, फसल अवशेष जलाने इत्यादि सहित एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकना, नियंत्रित करना तथा कम करना है
  • सीएक्यूएम द्वारा बनाई गई नीति तापीय शक्ति संयंत्र (थर्मल पावर प्लांट/टीपीपी), स्वच्छ ईंधन एवं विद्युत गतिशीलता (इलेक्ट्रिक मोबिलिटी), सार्वजनिक परिवहन, सड़क यातायात प्रबंधन, डीजल जनरेटर (डीजी), पटाखों को फोड़ने एवं हरियाली तथा वृक्षारोपण के माध्यम से वायु प्रदूषण को कम करने से संबंधित है

 

नीति की प्रयोज्यता

  • दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (नेशनल कैपिटल टेरिटरी/एनसीटी)
  • दिल्ली के पास एनसीआर जिले – गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, झज्जर, रोहतक, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर एवं बागपत
  • अन्य एनसीआर जिले
  • पंजाब के संपूर्ण राज्य एवं हरियाणा के गैर-एनसीआर जिले, मुख्य रूप से पराली जलाने की प्रासंगिक घटनाओं को संबोधित करने हेतु

 

एनएक्यूएम नीति की प्रमुख सिफारिशें

  • विशेषज्ञ समूह ने सम्मिलित मुद्दों एवं जटिलताओं पर विचार करते हुए, अल्पकालिक (एक वर्ष तक), मध्यम अवधि (एक-तीन वर्ष) तथा दीर्घकालिक (तीन-पांच वर्ष, अधिमानतः) कार्यों का सुझाव दिया है।
  • उद्योग, परिवहन एवं घरों में किफायती स्वच्छ ईंधन तथा प्रौद्योगिकी तक व्यापक पहुंच व्यापक स्तर पर पारगमन, वाहनों के विद्युतीकरण, पैदल चलने तथा साइकिल चलाने के बुनियादी ढांचे के निर्माण एवं व्यक्तिगत वाहन के उपयोग को कम करने इत्यादि सहित गतिशीलता संक्रमण;
  • कचरे के डंपिंग एवं जलने को रोकने हेतु, कचरे से सामग्री की पुनः प्राप्ति हेतु चक्रीय अर्थव्यवस्था;
  • सी एंड डी क्रियाकलापों, सड़कों/मार्गों के अधिकार (आरओडब्ल्यू) एवं उपयुक्त प्रौद्योगिकी, आधारिक अवसंरचना एवं हरित उपायों के साथ खुले क्षेत्रों से धूल प्रबंधन;
  • सख्त समयबद्ध कार्यान्वयन, बेहतर अनुश्रवण एवं अनुपालन।

 

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग

  • यह प्रथम बार एक अध्यादेश के माध्यम से स्थापित किया गया था जिसे अक्टूबर, 2021 में प्रख्यापित किया गया था।
  • इसने 1998 में एनसीआर में स्थापित पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण प्राधिकरण (एनवायरमेंट पॉल्यूशन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल अथॉरिटी) को भंग कर दिया था

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कार्य

  • यह एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने एवं नियंत्रित करने हेतु ऐसी योजनाओं की योजना तथा क्रियान्वयन करेगा।
  • यह पराली जलाने से प्रदूषण फैलाने वाले किसानों से – केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की गई पर्यावरणीय  क्षतिपूर्ति को आरोपित एवं एकत्रित कर सकता है

 

शक्तियां

  • यह विधेयक में परिभाषित मामलों पर क्षेत्राधिकार वाला एकमात्र प्राधिकरण होगा।
  • यह निरीक्षण अथवा विनियमन सहित मामलों पर निर्देश जारी करेगा जो संबंधित व्यक्ति या प्राधिकरण के लिए बाध्यकारी होगा।
  • यह उल्लंघन करने वालों की पहचान करेगा, कारखानों एवं उद्योगों तथा क्षेत्र में किसी भी अन्य प्रदूषणकारी इकाई की निगरानी करेगा तथा`ऐसी प्रदूषणकारी इकाइयों को बंद भी कर सकता है
  • किसी भी विवाद की स्थिति में, आयोग के आदेश या निर्देश संबंधित राज्य सरकारों, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं राज्य स्तरीय वैधानिक निकायों के आदेशों पर लागू होंगे

 

संरचना

इसमें निम्नलिखित सम्मिलित होंगे:

  • एक अध्यक्ष,
  • सदस्य-सचिव एवं मुख्य समन्वय अधिकारी के रूप में संयुक्त सचिव के पद का एक अधिकारी
  • एक पूर्णकालिक सदस्य के रूप में केंद्र सरकार से वर्तमान में सेवारत या पूर्व संयुक्त सचिव
  • वायु प्रदूषण से संबंधित विशेषज्ञता वाले तीन स्वतंत्र तकनीकी सदस्य, एवं
  • गैर सरकारी संगठनों के तीन सदस्य।

इसमें निम्नलिखित पदेन सदस्य भी सम्मिलित होंगे:

  • केंद्र सरकार एवं संबंधित राज्य सरकारों से, तथा
  • सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एवं नीति आयोग के तकनीकी सदस्य।
  • सदस्यों की नियुक्ति की सिफारिश करने हेतु एक चयन समिति का गठन किया जाएगा। समिति की अध्यक्षता पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के मंत्री करेंगे।

 

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