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शहरी निर्धनों हेतु तमिलनाडु मजदूरी रोजगार योजना

प्रासंगिकता

  • जीएस 2: केंद्र और राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का निष्पादन

प्रसंग

  • तमिलनाडु सरकार ने शहरी निर्धनों की आजीविका में सुधार के लिए ₹100 करोड़ की लागत से एक शहरी रोजगार योजना का प्रस्ताव किया है।

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मुख्य बिंदु

  • इसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की तर्ज पर प्रारंभ किया जाएगा।
  • इसकी आवश्यकता है क्योंकि तमिलनाडु में शहरी जनसंख्या में वृद्धि हो रही है एवं यह 2036 तक कुल जनसंख्या के 60% तक पहुंच जाएगी।

 

ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता क्यों है?

  • शहरों को विकास के इंजन के रूप में देखा जाता है, न कि उन जगहों के जहां हजारों व्यक्ति जीवन यापन करने हेतु परिश्रम करते हैं।
  • स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना जैसी कुछ योजनाएँ शहरी क्षेत्रों के लिए उपलब्ध हैं।
  • स्मार्ट मिशन एवं अमृत से यूएलबी (शहरी स्थानीय निकाय) का केवल एक अंश ही लाभान्वित होता है और उनमें से अधिकांश इन योजनाओं के अंतर्गत प्रदत्त लाभ प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
  • खतरनाक शहरीकरण एवं फुटपाथ जैसे शहरी पारिस्थितिक सर्वसामान्य का तीव्र गति से क्षरण।

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शहरी बेरोजगारी को कम करने  हेतु आवश्यक कदम

  • शहरी क्षेत्रों के लिए रोजगार गारंटी योजना की आवश्यकता है,क्योंकि यह:
    • शहरों में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि करेगा।
    • शहरी आधारिक अवसंरचना एवं सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करेगा।
    • फुटपाथों जैसे शहरी सामान्य सुविधाओं को बहाल करेगा।
    • शहरी युवाओं के कौशल में वृद्धि करेगा एवं
    • शहरी स्थानीय निकायों की क्षमता में वृद्धि करेगा।
  • अकुशल श्रमिकों की क्षमता निर्माण की आवश्यकता है क्योंकि नौकरियों की प्रकृति अर्ध-कुशल एवं कुशल गतिविधियों की ओर परिवर्तित हो रही है।
    • इसका अर्थव्यवस्था पर गुणक प्रभाव होसकता है।
  • शहरी क्षेत्रों के लिए विशिष्ट रोजगार प्रदान करना जैसे
    • भवन एवं  सड़कों का अनुरक्षण (रखरखाव)।
    • उद्यानों (पार्कों) के निर्माण एवं रखरखाव जैसे हरित रोजगार सृजित करना।
    • बच्चों की देखभाल के साथ-साथ बुजुर्गों एवं विकलांगों की देखभाल करके देखभाल की कमी को पूरा करना।
  • कार्य करने का वैधानिक अधिकार प्रदान करने की आवश्यकता है एवं इसीलिए अनुच्छेद 21 के अंतर्गत प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित करना है।
  • शिक्षित किंतु बेरोजगार युवाओं के लिए कौशल तथा शिक्षुता कार्यक्रम।
    • सरकारी कार्यालयों, पीएचसी, पर्यावरण मानकों के अनुश्रवण में प्रशासनिक कार्यों में सहायता करना।
    • इससे उनकी क्षमता और अनुभव में वृद्धि होगी।

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