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संपादकीय विश्लेषण- ए कॉशनरी टेल

आईपीसीसी 2022 रिपोर्ट- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 3: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।

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IPCC 2022 रिपोर्ट- संदर्भ

  • वैश्विक उथल-पुथल के मध्य, इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) का एक संदेश है कि जलवायु परिवर्तन के वर्तमान एवं भविष्य के मानव निर्मित प्रभाव अनुमानित रूप से गंभीर हैं।
    • आईपीसीसी जलवायु परिवर्तन के वर्तमान एवं भविष्य के मानव निर्मित प्रभावों पर साक्ष्य का विश्लेषण  तथा समीक्षा करने वाले वैज्ञानिकों का सर्वाधिक वृहद अंतरराष्ट्रीय संघ है।

 

आईपीसीसी 2022 रिपोर्ट- प्रमुख अवलोकन

  • वैश्विक तापन को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना: 1.5 डिग्री सेल्सियस के वैश्विक तापन के साथ आगामी दो दशकों में विश्व को अपरिहार्य कई जलवायु संकटों का सामना करना पड़ रहा है।
    • यहां तक ​​​​कि अस्थायी रूप से इस वैश्विक तापन के स्तर को पार करने का अर्थ अतिरिक्त गंभीर प्रभाव होगा, जिनमें से कुछ अपरिवर्तनीय होंगे।
  • मौसम एवं जलवायु चरम सीमाओं में वृद्धि ने कुछ अपरिवर्तनीय प्रभावों को जन्म दिया है क्योंकि प्राकृतिक एवं मानव प्रणालियों को अनुकूलन करने की उनकी क्षमता से परे धकेल दिया गया है।
  • आईपीसीसी रिपोर्ट 2022 नोट करती है कि अधिकांश लक्ष्य जो देशों ने स्वयं के लिए निर्धारित किए हैं, वे भविष्य में जलवायु प्रभाव को सार्थक रूप से कम करने के लिए अल्पावधि में प्रभाव डालने हेतु अत्यधिक दूर हैं।

आईपीसीसी के प्रतिवेदन की छठी आकलन रिपोर्ट

IPCC 2022 रिपोर्ट- जलवायु परिवर्तन पर भारत की प्रतिबद्धताएँ

  • भारत की प्रतिबद्धताएं: कॉप 26 शिखर सम्मेलन में, भारत ने घोषणा की कि वह 2070 तक निवल-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करेगा, अर्थात कोई निवल कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा।
    • 2030 तक, भारत यह भी सुनिश्चित करेगा कि उसकी ऊर्जा का 50% नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त होगा।
  • प्रतिबद्धताओं की अपर्याप्तता: भारत की उपरोक्त प्रतिबद्धताओं में से कोई भी 1.5 डिग्री सेल्सियस के  चिन्ह को भंग होने में सहायता नहीं कर सकता है।

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आईपीसीसी 2022 रिपोर्ट- भारत के लिए जलवायु परिवर्तन और खतरे

  • वेट-बल्बतापमान: वेट-बल्ब संयुक्त रूप से ऊष्मा एवं आर्द्रता के प्रभाव तथा स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव का एक सूचकांक है। आईपीसीसी रिपोर्ट में उद्धृत अनेक अध्ययनों में से एक के अनुसार-
    • यदि उत्सर्जन में वृद्धि जारी रही तो लखनऊ  तथा पटना 35 डिग्री सेल्सियस के वेट-बल्ब तापमान तक पहुंचने वाले शहरों में से होंगे।
    • भुवनेश्वर, चेन्नई, मुंबई, इंदौर एवं अहमदाबाद निरंतर उत्सर्जन के साथ 32 डिग्री सेल्सियस-34 डिग्री सेल्सियस के वेट-बल्ब तापमान तक पहुंचने के ‘जोखिम’ में हैं।
    • इसके परिणाम होंगे जैसे उष्ण लहर से जुड़ी मौतों में वृद्धि या उत्पादकता में कमी।
  • वैश्विक समुद्र स्तर में वृद्धि: यदि सरकारें अपने मौजूदा उत्सर्जन-कटौती वादों को पूरा करती हैं तो इस सदी में वैश्विक समुद्र का स्तर 44 सेंटीमीटर-76 सेंटीमीटर बढ़ जाएगा।
    • किंतु उच्च उत्सर्जन के साथ एवं यदि हिम की चादरें अपेक्षा से अधिक तेज़ी से टूटती हैं, तो समुद्र का स्तर इस सदी में 2 मीटर एवं 2150 तक 5 मीटर तक बढ़ सकता है।
    • भारत जनसंख्या के मामले में सर्वाधिक संवेदनशील देशों में से एक है जो समुद्र के स्तर में वृद्धि से प्रभावित होगा।
    • सदी के मध्य तक, इसके लगभग 35 मिलियन लोगों को वार्षिक तटीय बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है, यदि उत्सर्जन अधिक है तो सदी के अंत तक 45 मिलियन-50 मिलियन व्यक्ति जोखिम में होंगे।

जलवायु परिवर्तन 2022: आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट

आईपीसीसी 2022 रिपोर्ट- निष्कर्ष

  • अनुभव ने दिखाया है कि पक्षपातपूर्ण आर्थिक गणनाएं जलवायु संबंधी विचारों को मात देती हैं, किंतु भारत को अपने अनुकूलन उपायों को और दृढ़ करना चाहिए  तथा अपने अनेक संवेदनशील लोगों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए तत्काल कदम उठाना चाहिए जिनके पास खोने के लिए सर्वाधिक है।

 

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