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संपादकीय विश्लेषण- एक प्रमुख भ्रांति

एक प्रमुख भ्रांति- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां– विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

UPSC Current Affairs

एक प्रमुख भ्रांति- प्रसंग

  • हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने ‘स्टार रेटिंग सिस्टम’ लागू करने का निर्णय लिया है। इसकी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के सार्वजनिक होने के बाद इसने विवाद खड़ा कर दिया है।

 

एक प्रमुख भ्रांति- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए)

  • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) के बारे में: पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) यह सुनिश्चित करने की आधारशिला है कि आधारिक संरचना के विकास की पारिस्थितिक लागत न्यूनतम हो।
  • स्वीकृति हेतु तंत्र:
    • एक निश्चित आकार से ऊपर तथा प्राकृतिक पर्यावरण को महत्वपूर्ण रूप से परिवर्तित करने की क्षमता वाली संभावित परियोजनाओं को पहले राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।
      • राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण/ स्टेट एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (एसईआईएए) राज्य के अधिकारियों एवं स्वतंत्र विशेषज्ञों से मिलकर बना था।
      • एसईआईएए परियोजनाएं भवन एवं निर्माण, लघु खनन, लघु उद्योग परियोजनाओं सहित अनुमोदन के लिए बड़ी संख्या में परियोजनाएं निर्मित करती हैं एवं इन्हें ‘कम प्रदूषणकारी’ माना जाता है।
    • ऐसी परियोजनाएं जो और भी बड़ी हों या जिनमें- श्रेणी ए- वन भूमि शामिल हो, को केंद्र द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति द्वारा स्वीकृति प्रदान की जानी चाहिए।

 

एक प्रमुख भ्रांति: स्टार-रेटिंग प्रणाली 

  • स्टार-रेटिंग प्रणाली के बारे में: स्टार-रेटिंग प्रणाली के तहत, राज्य-स्तरीय पर्यावरण समितियां जो औद्योगिक परियोजनाओं को उनके संभावित पर्यावरणीय जोखिम के आधार पर मूल्यांकन करती हैं, उन्हें “पारदर्शिता, दक्षता एवं जवाबदेही” के लिए अंको के साथ प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • लक्ष्य: स्टार-रेटिंग प्रणाली का उद्देश्य ‘व्यापारिक सुगमता’  हेतु सरकार की व्यापक प्रतिबद्धता को सुविधाजनक बनाना है।
  • एसईआईएए रेटिंग के लिए मानदंड: प्रस्तावित स्टार-रेटिंग सिस्टम एसईआईएए को “पारदर्शिता, दक्षता एवं जवाबदेही” पर श्रेणीकरण करने हेतु सात मानदंडों पर प्रकाश डालता है।
    • उदाहरण के लिए, 7 के पैमाने पर, एक एसईआईएए को 105 दिनों की अवधि के भीतर की तुलना में 80 दिनों से कम समय में स्वीकृति प्रदान करने हेतु अधिक अंक प्राप्त होते हैं एवं अधिक दिनों के लिए कोई अंक प्राप्त नहीं होता है।
    • सात या अधिक के स्कोर को ‘फाइव स्टार’ का दर्जा दिया जाएगा।
  • विवाद: प्रस्तावित स्टार रेटिंग प्रणाली राज्यों को “रैंक” एवं “प्रोत्साहित” करने के लिए है कि वे कितनी शीघ्रता से एवं “कुशलतापूर्वक”  पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान कर सकते हैं।
    • अनेक पर्यावरण संरक्षणवादियों का मानना ​​है कि राज्य, अधिक स्टार की तलाश में, समग्र मूल्यांकन सुनिश्चित करने के स्थान पर परियोजनाओं को शीघ्रता से स्वीकृति प्रदान करने हेतु तार्किक रूप से प्रतिस्पर्धा करेंगे।
  • पर्यावरण मंत्रालय की प्रतिक्रिया: पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि उद्देश्य स्वीकृति प्रदान करने में तेजी लाने की नहीं है बल्कि निर्णय निर्माण की गति को तेज करने की है।
    • प्रत्येक प्रश्न के लिए फाइलें वापस भेजने के स्थान पर, सभी आपत्तियों को एक ही बार में संकलित तथा हल किया जाना चाहिए।

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एक प्रमुख भ्रांति-  आगे की राह

  • सरकार को इस प्रणाली में में विश्वास बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी राज्यों में सक्षम विशेषज्ञ उपलब्ध हों जो बिना किसी भय अथवा पक्षपात के मूल्यांकन कर सकें।
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