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शासन में सहायता: प्रासंगिकता
- जीएस 2: विकास प्रक्रियाएं एवं विकास उद्योग – गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों तथा संघों, दाताओं, न्यासों, संस्थागत एवं अन्य हितधारकों की भूमिका।
शासन में सहायता: मुख्य बिंदु
- सरकार, बाजार एवं गैर-राज्य अनौपचारिक संस्थानों के मध्य एक सहयोगात्मक प्रयास से देश का विकास होता है।
- सीएसआर: कंपनी अधिनियम उन व्यावसायिक घरानों/इकाइयों को जो एक निश्चित स्तर के लाभ एवं टर्नओवर से परे हैं, उन्हें विकास के क्षेत्र में कर पूर्व अपने निवल लाभ का कम से कम 2% भुगतान करने हेतु अधिदेशित करता है। यह निजी क्षेत्र को गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) एवं सिविल सोसाइटी संगठनों (सीएसओ) जैसे गैर-राज्य प्रतिभागियों के साथ विकासात्मक प्रयासों के लिए सहयोग करने को अनिवार्य बनाता है।
शासन में सहायता: गैर सरकारी संगठनों के लाभ
- गैर-सरकारी संगठन जैसे गैर-राज्य प्रतिभागी नागरिक वर्ग-निजी भागीदारी को सुदृढ़ करते हैं।
- गैर-राज्य प्रतिभागी, समुदायों के साथ अपने जुड़ाव की गहराई के कारण, कॉर्पोरेट बोर्डरूम में धैर्यवान पूंजी लाते हैं एवं कल्याणकारी गतिविधियों में सम्मिलित होकर राज्य की सहायता भी करते हैं।
- गैर सरकारी संगठनों एवं स्वैच्छिक समूहों/संगठनों ने सरकारों के उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने हेतु नागरिकों की क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- वे लोगों की मांगों को औपचारिक संस्थानों तक ले जाने का माध्यम बन जाते हैं। उदाहरण के लिए, गैर सरकारी संगठनों के प्रयासों के कारण ही आरटीआई अधिनियम अधिनियमित किया गया था।
- गैर सरकारी संगठन व्यक्तियों एवं व्यावसायिक कंपनियों/राज्य के मध्य एक सेतु का काम करते हैं। वे विभिन्न प्रमुख परियोजनाओं को क्रियान्वित करने में सहायता करते हैं एवं इसलिए स्थानीय स्तर पर विकास लाते हैं।
- एनजीओ एवं सीएसओ कभी-कभी भारी बोझ उठाते हैं एवं यह सुनिश्चित करते हैं कि आपदा की स्थिति में भी योजनाएं अंतिम व्यक्ति तक पहुंचें। जब गैर-राज्य प्रतिभागी राज्य के कंधे से एक बड़ा भार हटाकर स्वयं पर ग्रहण करते हैं, तो राज्य शासन पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकता है।
- अनुसंधान से ज्ञात होता है कि गैर सरकारी संगठनों, सरकार एवं कॉरपोरेट्स का सामंजस्य विकास की पवित्र मृगतृष्णा है।