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श्रीलंका में राजनीतिक अशांति- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध भारत एवं उसके पड़ोस- संबंध।
श्रीलंका में आर्थिक संकट
- श्रीलंका में व्यापक सार्वजनिक अशांति ने एक विशाल महत्व की राजनीतिक क्रांति के आयाम ग्रहण कर लिए हैं।
- ब्लोटेड सरकार, अत्यधिक सुरक्षा व्यय, सत्ता पर आसीन लोगों के अपव्ययी तरीके, घरेलू उत्पादन पर ध्यान की कमी तथा निर्णय निर्माण में केंद्रीकरण सभी ने अव्यवस्था में योगदान दिया है।
श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल
- सभी समुदायों के क्रोध से निर्देशित: यह स्पष्ट है कि श्रीलंकाई राजनीतिक संकट सर्वव्याप्त क्रोध एवं एक सामूहिक इच्छा से प्रेरित है जो सभी प्रजातियों में व्याप्त है।
- निरंकुश शासन में बदलना: श्रीलंकाई राजनीतिक व्यवस्था एक उदासीन राजनीतिक नेतृत्व में परिवर्तित हो रहा है जो बिना किसी उत्तरदायित्व के महान शक्ति का संचालन करता है।
- इससे लोग बदलाव तथा राहत की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए।
- सार्वजनिक एवं राजनीतिक समर्थन की हानि: जैसे-जैसे विरोध बढ़ता है, श्रीलंका सरकार के प्रशासन ने जनता का समर्थन तथा अपने राजनीतिक सहयोगियों का विश्वास खो दिया है।
- विपक्ष ने राष्ट्रपति के बहुदलीय मंत्रिमंडल के आह्वान को खारिज कर दिया है।
- श्रीलंका फ्रीडम पार्टी जैसे प्रमुख सहयोगी सत्तारूढ़ गठबंधन से बाहर हो गए हैं एवं
- नवनियुक्त वित्त मंत्री ने कार्यभार ग्रहण करना उचित नहीं समझा।
श्रीलंका में चुनौतियां
- आर्थिक संकट: श्रीलंका एक गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है, जो राजनीतिक उथल-पुथल से जुड़ा हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप श्रीलंका के लिए एक जटिल स्थिति उत्पन्न हो गई है।
- सरकार बनाने हेतु विपक्ष की इच्छाशक्ति का अभाव: यह स्पष्ट नहीं है कि दुर्गम आर्थिक संकट के मध्य कोई भी कार्यभार संभालने को तैयार होगा या नहीं।
- चूंकि 40 से अधिक विधायक सत्तारूढ़ गठबंधन से बहिर्गमन कर चुके हैं, वर्तमान शासन को संसद में बहुमत के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
- वास्तविक प्रश्न यह है कि क्या विपक्ष वैकल्पिक व्यवस्था बनाने को तैयार होगा।
- चौराहे पर श्रीलंका: श्रीलंका एक चौराहे पर है।
- एकदिशीय मार्ग पर जाने से ऋणों का जाल, सॉवरेन डिफॉल्ट तथा संभावित दिवालियापन हो सकता है।
- दूसरी ओर, वर्तमान अशांति अपने राजनीतिक एवं प्रशासनिक प्रतिमान को परिवर्तित करने का एक असाधारण अवसर प्रदान करती है।
श्रीलंका के लिए आगे की राह
- विवेकपूर्ण पुनर्प्राप्ति योजना: श्रीलंका को अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं से संपर्क करने तथा व्यापक आर्थिक स्थिरता लाने के लिए एक आर्थिक सुधार योजना की आवश्यकता है।
- राजनीतिक व्यवस्था में परिवर्तन: श्रीलंका की आर्थिक सुधार तभी व्यवहार्य है जब वर्तमान सरकार व्यवस्था को एक सरोकारी एवं जवाबदेह शासन द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है।
- श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था को वित्त पोषण: अर्थशास्त्रियों ने सुझाव दिया है कि श्रीलंका को एक ब्रिज ऋण की आवश्यकता हो सकती है, जबकि एक बाह्य ऋण पुनर्गठन योजना लागू की जाती है।
निष्कर्ष
- लोगों को यह महसूस करना होगा कि जाति एवं धर्म से जुड़े भावनात्मक मुद्दों पर मतदान करने से मात्र शासक वर्ग को लाभ प्राप्त होता है एवं संभवतः ही कभी उन्हें लाभ होता है। राजनीतिक तथा सामाजिक स्तर पर इतना महत्वपूर्ण परिवर्तन ही उनकी आर्थिक उद्धार की ओर ले जाएगा।