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ओबीसी आरक्षण- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां– विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
समाचारों में ओबीसी आरक्षण
- हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट/एससी) ने मध्य प्रदेश को अन्य पिछड़ा वर्ग (अदर बैकवर्ड क्लासेस/ओबीसी) के लिए 14% आरक्षण लागू करने तथा दो सप्ताह के भीतर लगभग 23,263 स्थानीय निकायों के चुनावों को अधिसूचित करने की अनुमति प्रदान की है।
मध्य प्रदेश में ओबीसी कोटे पर सर्वोच्च न्यायालय का विचार
- सर्वोच्च न्यायालय ने 10 मई को राज्य को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे के बिना चुनाव आयोजित कराने का आदेश दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने तब से स्वयं को आश्वस्त किया है कि राज्य ने स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण के लिए 2010 में स्थापित ‘ट्रिपल टेस्ट’ मानदंडों को पूरा किया है।
- त्रिस्तरीय परीक्षण/ट्रिपल टेस्ट मानदंड: सर्वोच्च न्यायालय ने निम्नलिखित ट्रिपल टेस्ट निर्धारित किए/
- एक आयोग जिसने स्थानीय निकायों के संदर्भ में पिछड़ेपन की प्रकृति एवं निहितार्थों की समसामयिक अनुभवजन्य जांच की,
- स्थानीय निकाय-वार आरक्षण का विवरण, तथा
- कोटा पर 50% की सीमा का पालन।
मध्य प्रदेश (एमपी) में स्थानीय निकाय आरक्षण
- मध्य प्रदेश ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अतिरिक्त महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान पहले ही कर दिया था।
- ओबीसी के लिए मध्य प्रदेश का प्रस्तावित कोटा 14% है, जो कुल 50% अधिकतम सीमा-ट्रिपल टेस्ट मानदंड के तहत परीक्षणों में से एक के भीतर रखेगा।
संबंधित मुद्दे
- मध्य प्रदेश आयोग की रिपोर्ट की स्वीकार्यता: राज्य ने न्यायालय को आश्वस्त किया है कि वह वास्तव में ट्रिपल टेस्ट को पूरा कर चुका है, किंतु आयोग की रिपोर्ट की वैधता एवं परिशुद्धता आगे न्यायिक जांच के लिए खुली है।
- राजनीतिक क्षेत्र में आरक्षण: ओबीसी आरक्षण एक विवादास्पद प्रश्न बना हुआ है जिस पर कानून अभी भी विकसित हो रहा है तथा जिस पर जनता की राय खंडित है।
- वर्तमान मानदंड की उपयुक्तता: न्यायालय ने माना है कि नौकरी तथा शिक्षा में आरक्षण के मानदंड, जो सामाजिक एवं शैक्षिक पिछड़ापन है, को स्थानीय निकायों में आरक्षण के लिए लागू करने की आवश्यकता नहीं है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राजनीतिक आरक्षण के लिए स्थापित किया जाने वाला पिछड़ापन एक अलग प्रकृति का हो सकता है।
राजनीति में आरक्षण- आगे की राह
- जहां कोटा सशक्तिकरण एवं न्याय का एक प्रभावी साधन सिद्ध हुआ है, वहीं उनके आसपास की प्रतिस्पर्धी राजनीति अक्सर राजनीति एवं शासन के पक्षाघात की ओर ले जाती है।
- आरक्षण व्यवस्था को निष्पक्ष, वस्तुनिष्ठ एवं अनुभवजन्य बनाना शासन के समक्ष एक बड़ी चुनौती है तथा उस दिशा में न्यायालय के प्रयासों का स्वागत है।
- राजनीतिक दलों एवं सरकारों को न्यायपालिका के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि आरक्षण कार्यक्रम विभाजनकारी न हो बल्कि विकास के उद्देश्य की पूर्ति करें।