Table of Contents
यूआईडीएआई आधार डेटा लीक
- जीएस पेपर 2: शासन के महत्वपूर्ण पहलू- पारदर्शिता एवं जवाबदेही; ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, शक्तिमान, सफलताएं, सीमाएं एवं क्षमता।
यूआईडीएआई आधार डेटा लीक
- हाल ही में, एक विचित्र उलटफेर में, केंद्र सरकार ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया/यूआईडीएआई) कार्यालय से एक अधिसूचना वापस ले ली, जिसमें लोगों को उनके आधार कार्ड की फोटोकॉपी साझा करने के विरुद्ध चेतावनी दी गई थी।
- इससे पूर्व, सरकार ने उपरोक्त परामर्शिका को यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि इसका “गलत अर्थ” लगाया जाएगा।
यूआईडीएआई आधार डेटा लीक पर सरकारी परामर्शिका
- UIDAI के बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय ने लोगों से गोपित आधार संख्या सुविधा का उपयोग करने का आग्रह किया – जिसे UIDAI की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है।
- गोपित आधार संख्या सुविधा आधार संख्या के केवल अंतिम चार अंक प्रदर्शित करती है।
- गोपित आधार सुविधा 2018 से लागू है।
- सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी की एक रिपोर्ट के बाद गोपित आधार सुविधा का उपयोग करने के लिए सरकार की परामर्शिका आई।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटासेट में संवेदनशील विवरण जैसे पूर्ण आधार संख्या विवरण तथा व्यक्तियों के बैंक खाते का विवरण भी सम्मिलित था।
आधार डेटाबेस का दुरुपयोग
- कई एजेंसियों को पूर्ण आधार संख्या प्रदान करने के खतरे इस बात से स्पष्ट हैं कि इन नंबरों का उपयोग धोखेबाजों द्वारा आपराधिक उद्देश्यों के लिए किया गया है जैसे-
- पहचान की चोरी,
- हाल के वर्षों में अपने ग्राहक को जानिए (नो योर कस्टमर/केवाईसी) से संबंधित धोखाधड़ी।
- यूआईडीएआई ने स्वयं विगत वर्षों की तुलना में हाल के वर्षों में ऊपर प्रदर्शित किए गए मुद्दे से संबंधित संभावित धोखाधड़ी के अत्यधिक मामले दर्ज किए हैं।
- अन्य घोटाले जो उच्च स्तर के हैं, हाल ही में बायोमेट्रिक्स चोरी से संबंधित हैं, जिन्होंने वास्तविक लाभार्थियों की कीमत पर घोटालेबाजों को कल्याणकारी लाभ चोरी करने की अनुमति दी है।
- इंटरनेट लीक हुए डेटा से भरा हुआ है कथा यह उपयोगकर्ता की गोपनीयता के लिए एक बड़ा खतरा है।
यूआईडीएआई की उभयवृत्तिता
- यूआईडीएआई नागरिकों द्वारा आधार संख्या या आधार कार्ड के अंधाधुंध उपयोग में निहित खतरों के बारे में उभयभावी (अस्पष्ट) रहा है।
- यह इस नवीनतम वापसी नोटिस से पूर्व ही इस मुद्दे पर फ्लिप-फ्लॉप की अपनी श्रृंखला में स्पष्ट है।
- आधार संख्या के संभावित दुरुपयोग के मुद्दे पर यूआईडीएआई प्राधिकरण के अंतर्गत विचारों का विरोधाभास प्रतीत होता है।
- एक ओर, किसी के आधार नंबर को प्रकट करने में सावधानी तथा उपयोगकर्ता के विवेक की सलाह देने वाले वक्तव्यों में, यह नागरिकों द्वारा प्राधिकरण को प्रदान किए गए बायोमेट्रिक्स की भांति ही संवेदनशील जानकारी के रूप में व्यवहार करने की मांग कर रहा है।
- फिर भी, दूसरी ओर, इसने मिशनरी उत्साह के साथ एक पहचान दस्तावेज के रूप में आधार के मुक्त उपयोग को सार्वभौमिक बनाने की मांग की है तथा ऐसा करने के जोखिमों को कम करके आंका है।
निष्कर्ष
- यूआईडीएआई को एक प्रारंभ के रूप में गोपित आधार सुविधा के उपयोग को लोकप्रिय बनाना चाहिए तथा आधार संख्या किस प्रकार जारी एवं उपयोग की जाती है, इस पर जांच को सुदृढ़ करने के तरीकों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
- उपरोक्त के अतिरिक्त, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को डेटा लीक एवं आधार से संबंधित जानकारी को प्रकट करने वाली वेबसाइटों पर करारी चोट करनी चाहिए।