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बिम्सटेक शिखर सम्मेलन 2022- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
समाचारों में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन 2022
- हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री ने 5वें बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल/बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी- सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनामिक कोऑपरेशन) शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
- 5वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी बिम्सटेक के वर्तमान अध्यक्ष श्रीलंका द्वारा वर्चुअल मोड में आयोजित की जा रही है।
बिम्सटेक सम्मेलन 2022 के बारे में मुख्य बिंदु
- बिम्सटेक चार्टर को अंगीकृत करना: पांचवां बिम्सटेक सम्मेलन बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के समय में 25 वर्षीय समूह को पुनः क्रियाशील करने का वादा करता है।
- चार्टर से सात-सदस्यीय संगठन (बिम्सटेक) को और अधिक संसक्त दृष्टिकोण (कनेक्टेड विजन) प्रदान करने में सहायता प्राप्त होने की संभावना है।
- सुरक्षा स्तंभ का नेतृत्व करना: भारत ने पुनर्जीवित बिम्सटेक के सात नामित स्तंभों में से ‘सुरक्षा स्तंभ’ का नेतृत्व करने का निर्णय लिया है,
- इसने भारत की क्षेत्रीय आकांक्षाओं को एक नई दिशा प्रदान की है, जो गतिहीन सार्क से दूर है, जो नवंबर 2014 से पूरा करने में असमर्थ रहा है।
- बिम्सटेक मुक्त व्यापार समझौते के अपने आह्वान के साथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समूह में व्यापार संपर्क को सुदृढ़ करने हेतु भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया है।
- तुलनात्मक लाभ: सार्क के विपरीत, जो भारत-पाकिस्तान शत्रुता के कारण बोझिल है, बिम्सटेक अपेक्षाकृत द्विपक्षीय प्रखर असहमति से मुक्त है एवं भारत को अपने स्वयं के सहकारी क्षेत्र प्रदान करने का वादा करता है।
बिम्सटेक समूह में पेचीदा क्षेत्र
- विलंबित निर्णय: बिम्सटेक चार्टर को अंतिम रूप प्राप्त करने में अत्यधिक समय लगा, जो बिम्सटेक ग्रुपिंग के समक्ष आने वाली अंतर्निहित चुनौतियों को दिखाता है।
- रोहिंग्या संकट: इसने द्विपक्षीय बांग्लादेश-म्यांमार संबंधों को कमजोर कर दिया है, ढाका ने शरणार्थियों के पूर्ण प्रत्यावर्तन की मांग की तथा नायपीडॉ ने अंतरराष्ट्रीय दलीलों का सकारात्मक प्रतिक्रिया देने के प्रति अनिच्छा प्रकट की।
आगे की राह
- बिम्सटेक को रोहिंग्या संकट जैसी समस्याओं को आर्थिक तथा सुरक्षा परिणामों के निर्बाध वितरण में बाधा बनने से रोकने के लिए निरंतर द्विपक्षीय एवं समूह-स्तरीय चर्चा की आवश्यकता होगी।
- भारत को भी नेपाल, श्रीलंका एवं बांग्लादेश जैसे भागीदारों के साथ समान रूप से निरंतर राजनीतिक जुड़ाव सुनिश्चित करना होगा ताकि किसी भी घरेलू राजनीतिक फैलाव को द्विपक्षीय तथा समूह-स्तर के क्रियाशील संबंधों को प्रभावित करने से रोका जा सके।
- एक बिम्सटेक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करना: म्यांमार तथा श्रीलंका जैसे समुद्री संसाधन संपन्न सदस्यों में विस्तृत एक मुक्त व्यापार समझौता (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट/एफटीए) सभी सदस्यों के लिए प्रभावशाली लाभ प्रदान कर सकता है।
- विफलताओं से सीखना: संकटग्रस्त सार्क तथा साफ्टा के अनुभवों से सुरक्षा एवं व्यापार से संबंधित सबक भी दीर्घकाल में बिम्सटेक की उचित प्रकार से सहायता करेंगे।
- एक ‘तटीय शिपिंग पारिस्थितिकी तंत्र’ तथा एक अंतर्संबंधित विद्युत ग्रिड, परिवहन संपर्क के लिए अपनाए गए मास्टर प्लान के अलावे, अंतर्क्षेत्रीय व्यापार एवं आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने की क्षमता रखता है।
निष्कर्ष
- भारत को अंतः समूह (इंट्राग्रुप) शक्ति असंतुलन के छोटे सदस्यों के मध्य किसी भी आशंका को शांत करने में नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभानी होगी।
- भारत को व्यक्तियों तथा वस्तुओं के आवागमन हेतु बाधाओं को कम करके सीमा पार से संपर्क तथा निवेश के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने का भी प्रयास करना चाहिए।