Table of Contents
कॉप 27: प्रासंगिकता
- जीएस 3: खाद्य सुरक्षा
कॉप 27: प्रसंग
- जलवायु परिवर्तन संपूर्ण विश्व में खाद्य प्रणाली को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है एवं आगामी कॉप, कॉप 27 को इस मुद्दे का समाधान करना चाहिए।
कॉप 27: मुख्य बिंदु
- कॉप 26: सर्वाधिक संवेदनशील आबादी का सहयोग करने हेतु रिकॉर्ड तोड़ने वाले 356 मिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता प्रशंसनीय है, यद्यपि, यह पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस की सीमा से नीचे रहने हेतु पर्याप्त नहीं है।
कॉप 27: जलवायु संकट एवं भूख
- एसडीजी 2 में 2030 तक वैश्विक भूख एवं कुपोषण को उसके सभी रूपों में समाप्त करने का उल्लेख है। यद्यपि, यह कार्य सूची विभिन्न मुद्दों के कारण महत्वपूर्ण मुद्दों का सामना कर रही है।
- जलवायु संकट एवं भूख के मध्य के संबंध को संपूर्ण विश्व में भली-भांति अभिस्वीकृत है।
- संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के विश्लेषण से पता चलता है कि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से औसत वैश्विक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से लगभग 190 मिलियन अतिरिक्त लोग भूख की चपेट में आ जाएंगे।
- इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जलवायु संकट न केवल खाद्य उत्पादन एवं आजीविका को प्रभावित करेगा, बल्कि बहु- उपजाऊ क्षेत्र (मल्टी-ब्रेड बास्केट) विफलताओं के माध्यम से पोषण के लिए भी संकट उत्पन्न करेगा।
- कोविड-19 महामारी ने केवल स्थिति को और खराब किया है क्योंकि इसने दीर्घकालिक भूख के अंतर्गत आने वाली आबादी को 130 मिलियन से बढ़ाकर 270 मिलियन तक दोगुना कर दिया है।
- किसान, मछुआरे जैसे अतिसंवेदनशील समुदाय जो जलवायु संकट में कम से कम योगदान करते हैं, वे प्रभावों का खामियाजा भुगतते रहेंगे। खाद्य सुरक्षा जाल जैसे सामाजिक सुरक्षा उपायों की अनुपस्थिति खाद्य असुरक्षित देशों को जीवित रहने के लिए मानवीय सहायता पर निर्भर रहने हेतु बाध्य करती है।
- शीर्ष 10 सर्वाधिक खाद्य-असुरक्षित देश वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में केवल 08% का योगदान करते हैं।
कॉप 27: अनुकूलन अत्यावश्यक है
- अपने निष्कर्ष दस्तावेज़ में, कॉप 26 ने स्वीकार किया है कि बढ़ते तापमान का अतिसंवेदनशील व्यक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता रहेगा।
- अनुकूलन क्षमता बढ़ाने, प्रतिस्थितित्व को सुदृढ़ करने एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता को कम करने के लिए वित्त, क्षमता निर्माण एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित कार्रवाई एवं सहयोग में वृद्धि करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया है।
कॉप 27: अनुकूलन वित्त
- कॉप 26 ने अवलोकन किया कि अनुकूलन कोष एवं अल्पविकसित देशों के कोष में किए गए योगदान, विगत प्रयासों की तुलना में महत्वपूर्ण प्रगति का निरूपण करते हैं।
- यद्यपि, अनुकूलन के लिए वर्तमान जलवायु वित्त बिगड़ते जलवायु परिवर्तन प्रभावों का प्रत्युत्तर देने हेतु अपर्याप्त बना हुआ है।
- विकासशील देशों के लिए, जलवायु संकट के अनुकूलन एवं प्रतिस्थितित्व हेतु 50% वित्त पोषण की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, विकासशील देशों को अनुकूलन के लिए पहले से ही 70 बिलियन डॉलर की आवश्यकता है एवं इस दशक के अंत तक यह आंकड़ा चौगुने से अधिक 300 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष हो सकता है।
- भारत में, विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) एवं पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन तथा वानिकी मंत्रालय अनुकूलन कोष से संभावित समर्थन के साथ अनुकूलन एवं शमन पर एक सर्वोत्तम अभ्यास प्रतिमान विकसित करने की योजना निर्मित कर रहे हैं।
कॉप 27: ध्यान केंद्रित करने के प्रमुख क्षेत्र
- अतिसंवेदनशील समुदायों की आजीविका की रक्षा एवं उसमें सुधार करके प्रतिरोधक क्षमता पूर्ण आजीविका एवं खाद्य सुरक्षा समाधान निर्मित करना।
- पोषण सुरक्षा के लिए जलवायु के अनुकूल खाद्य फसलों, जैसे बाजरा, का अनुकूलन।
- उत्पादन प्रक्रियाओं एवं परिसंपत्तियों पर महिलाओं के नियंत्रण तथा स्वामित्व को सक्षम बनाना एवं मूल्यवर्धन तथा स्थानीय समाधानों में वृद्धि करना।
- जलवायु संबंधी सूचनाओं एवं तैयारियों के साथ, छोटे किसानों हेतु धारणीय अवसर, वित्त तक पहुंच एवं नवाचार निर्मित कर एक प्रतिस्कंदी कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देना।
- खाद्य सुरक्षा एवं जलवायु जोखिम के मध्य की कड़ी को संबोधित करके खाद्य सुरक्षा बढ़ाने हेतु भेद्यता विश्लेषण के लिए नागरिक समाज एवं सरकारों की क्षमता तथा ज्ञान का निर्माण करना।
खंडित खाद्य प्रणालियों का सुधार करना
- कॉप 26 से कुछ माह पूर्व आयोजित संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन ने खुलासा किया कि खाद्य प्रणालियां असमान, तनावपूर्ण अथवा विखंडित हैं क्योंकि 811 मिलियन लोग भूखे सोने हेतु बाध्य हैं।
- इस महत्वपूर्ण मुद्दे के लिए विकास एवं धारणीयता को संतुलित करने, जलवायु परिवर्तन को कम करने, स्वस्थ, सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण एवं किफायती भोजन सुनिश्चित करने हेतु खाद्य प्रणाली की पुनर्कल्पना, जैव विविधता को बनाए रखने, प्रतिस्थितित्व में सुधार एवं छोटे जोतदारों और युवाओं को आकर्षक आय एवं कार्य वातावरण प्रस्तुत करते हुए किसानों का समर्थन करने में सरकारों एवं निजी क्षेत्र से निवेश की आवश्यकता है।