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संपादकीय विश्लेषण- अधिक नौकरियां सृजित करें, रोजगार नीति में सुधार लाएं

अधिक नौकरियां सृजित करें, रोजगार नीति में सुधार लाएं- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 3: भारतीय अर्थव्यवस्था– आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।

अधिक रोजगार सृजित करें, रोजगार नीति में सुधार करें

  • भारत सरकार ने हाल ही में आगामी 18 महीनों में 10 लाख सरकारी नौकरियों के सृजन की अपनी योजना की घोषणा की है।
  • करीब 40 लाख स्वीकृत पदों में से 22 प्रतिशत पद वर्तमान में रिक्त हैं एवं सरकार इन पदों को 18 माह में भर देगी.

 

केंद्र सरकार में रिक्तियां

  • केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में 8.72 लाख पद रिक्त हैं, जैसा कि कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री ने 3 फरवरी, 2022 को राज्यसभा को बताया था।
  • यदि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, रक्षा बलों तथा पुलिस, स्वास्थ्य क्षेत्र, केंद्रीय विद्यालयों एवं केंद्रीय विश्वविद्यालयों तथा न्यायपालिका में विभिन्न पदों को जोड़ा जाए, तो यह संख्या लगभग 30 लाख पदों को छूती है।

 

भारत में रोजगार से संबंधित चिंताएँ

  • अक्षमताएं: जैसा कि स्वीकृत पद मोटे तौर पर सरकार चलाने के लिए आवश्यक आवश्यक पदों को इंगित करते हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि यह सरकार संभवतः कर्मचारियों की गंभीर कमी का सामना कर रही है, जो तब काम में अत्यधिक विलंब, भ्रष्टाचार एवं संभवतः अन्य अक्षमताओं का कारण हो रही है।
  • खराब गुणवत्ता वाला रोजगार:
    • अनुबंध श्रमिकों की बढ़ी हिस्सेदारी: हाल के वर्षों में कुल सरकारी रोजगार में अनुबंध कर्मकारों की हिस्सेदारी में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है – 2017 में 11.11 लाख से 2020 में 13.25 लाख और 2021 में 24.31 लाख हो गई।
    • इसके अतिरिक्त, “मानद कार्यकर्ता” जैसे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, उनकी सहायिका, मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एक्रेडिटेड सोशल हेल्थ वर्कर/आशा) कार्यकर्ता इत्यादि हैं।
    • सरकार के ये कर्मचारी कम वेतन (समेकित वेतन) अर्जित करते हैं एवं सामाजिक सुरक्षा के न्यूनतम पैकेज सहित “समुचित कार्य” शर्तों (अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की सिफारिशों) के हकदार नहीं हैं।
  • बेरोजगारी: लगभग 30 मिलियन बेरोजगार व्यक्तियों के विगत संग्रह (बैकलॉग) को देखते हुए तथा प्रत्येक वर्ष 50 लाख-70 लाख श्रमिकों की वार्षिक वृद्धि (विश्व बैंक)।
    • 42.13% (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड) की श्रम बल भागीदारी दर पर वर्तमान में युवाओं की बेरोजगारी दर लगभग 20% है।
    • सरकार की इस योजना से देश के युवाओं को संभवतः ही कोई राहत मिले एवं बेरोजगारी की वर्तमान समस्या पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

आगे की राह

  • गुणवत्ता पर ध्यान: सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी योजना के अंतर्गत उत्पन्न रोजगार एक मानक गुणवत्ता का हो।
    • इस पर अभी तक सरकार की ओर से कोई आश्वासन प्राप्त नहीं हुआ है।
  • अधिक नौकरियों की आवश्यकता: कोविड-19 एवं निजी क्षेत्र में नौकरियों में कटौती की पृष्ठभूमि में, सरकार के लिए अधिक से अधिक नौकरियों को सुनिश्चित करना अधिक महत्वपूर्ण है।
    • आगामी 18 महीनों में मात्र 10 लाख नौकरियों का सृजन अत्यधिक कम है।
    • यदि सरकार वास्तव में बेरोजगारों एवं युवाओं को रोजगार प्रदान करने हेतु ‘मिशन मोड’ में है, तो उसे जो घोषणा की गई है, उससे कहीं अधिक करना होगा।
  • बुनियादी आवश्यकताओं पर ध्यान देना: सरकार को निजीकरण पर निर्भर हुए बिना – कम से कम 40% आबादी के लिए इन बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने की जिम्मेदारी ग्रहण करने होगी। सरकार के लिए पहला कार्य होगा-
    • मूलभूत कल्याण की बेहतर प्रत्यक्ष देखभाल,
    • मानव विकास एवं मानव संसाधन विकास, तथा
    • इन क्षेत्रों में निजीकरण के बिना आबादी के वंचित वर्गो के लिए बुनियादी ढांचा।
  • औद्योगीकरण नीति को पुनर्भिविन्यासित करना: अर्थव्यवस्था के श्रम प्रधान क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना एवं सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यमों (माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज/एमएसएमई) एवं अनौपचारिक उत्पादन को बढ़ावा देना।
    • यह बेहतर तकनीक एवं उच्च उत्पादकता सुनिश्चित करने, वित्त प्रदान करने (कार्यशील पूंजी सहित) तथा संभावित सभी उद्योगों के लिए सामूहिक (क्लस्टर) विकास को आगे बढ़ाने के द्वारा किया जाना है।

 

निष्कर्ष

  • यदि सरकार में रिक्त पदों को भरने का संकेत रोजगार के मिशन का हिस्सा है, तो इसके लिए सरकार की रोजगार नीति में आमूल-चूल परिवर्तन करना होगा।

 

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