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सुधार उत्प्रेरक के रूप में जीएसटी क्षतिपूर्ति का विस्तार- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान- संघवाद
- संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व,
- संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे एवं चुनौतियां,
- स्थानीय स्तर तक शक्तियों एवं वित्त का हस्तांतरण तथा अंतर्निहित चुनौतियां।
सुधार उत्प्रेरक के रूप में जीएसटी क्षतिपूर्ति का विस्तार- पृष्ठभूमि
- यह दावा किया गया है कि भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का कार्यान्वयन सहकारी संघवाद में एक भव्य प्रयोग था।
- जीएसटी व्यवस्था में सोपानी घरेलू व्यापार करों को युक्तिसंगत बनाने एवं वस्तुओं तथा सेवाओं पर मूल्य वर्धित कर विकसित करने हेतु केंद्र एवं राज्यों दोनों की भागीदारी सम्मिलित है।
सुधार उत्प्रेरक के रूप में जीएसटी क्षतिपूर्ति का विस्तार- जीएसटी व्यवस्था के बारे में मुख्य बिंदु
- क्षतिपूर्ति का प्रावधान: राज्यों को संभावित राजस्व हानि की आशंकाओं को दूर करने हेतु, केंद्र सरकार ने पांच वर्ष के विकास के चरण में राजस्व की किसी भी हानि के लिए क्षतिपूर्ति का भुगतान करने का वादा किया।
- क्षतिपूर्ति की गणना जीएसटी में वास्तविक राजस्व संग्रह में कमी के रूप में की जानी थी, जो राज्यों को जीएसटी में विलय किए गए करों से प्राप्त होने वाले राजस्व से होती।
- 2015-16 मेंविलय किए गए करों से राजस्व को आधार मानकर एवं प्रत्येक वर्ष 14% की वृद्धि दर को लागू करके इसका अनुमान लगाया गया था।
- जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर: यह राज्यों की क्षतिपूर्ति की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु केंद्र सरकार द्वारा आरोपित किया गया था।
- यह तंबाकू उत्पादों, ऑटोमोबाइल, कोयला एवं लिग्नाइट, पान मसाला तथा वातित जल से निर्मित ठोस ईंधन जैसी कुछ वस्तुओं पर आरोपित किया जाता था।
- कोविड-19 एवं जीएसटी: देश में कोविड-19 महामारी के कारण हुए लॉकडाउन के परिणामस्वरूप राज्यों को राजस्व की हानि हुई, जिसके लगभग 3 लाख करोड़ रुपए के होने का अनुमान है।
- क्षतिपूर्ति उपकर से 65,000 करोड़ रुपये प्राप्त होने की संभावना थी।
- शेष 35 लाख करोड़ रुपये में से, केंद्र सरकार ने एक विशेष विंडो के तहत भारतीय रिजर्व बैंक से उधार लेकर 1.1 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्णय लिया एवं
- भविष्य में क्षतिपूर्ति उपकर के संग्रह से ब्याज एवं पुनर्भुगतान का भुगतान किया जाना था।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद
सुधार उत्प्रेरक के रूप में जीएसटी क्षतिपूर्ति का विस्तार- जीएसटी व्यवस्था के साथ मुद्दे
यद्यपि यह आशा की गई थी कि कर संरचना प्रथम पांच वर्षों में स्थिर हो जाएगी, सुधार अभी भी संक्रमण की अवस्था में है। कुछ मुद्दों का उल्लेख नीचे किया गया है-
- प्रतिकूल राजस्व संग्रह: प्रौद्योगिकी मंच को दीर्घकाल तक अंतिम रूप नहीं प्रदान किया जा सका, जिसके कारण प्रारंभ में नियोजित रिटर्न दाखिल नहीं किया जा सका।
- इसके कारण नकली चालानों का उपयोग करके इनपुट टैक्स क्रेडिट का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ।
- इसके कारण राजस्व संग्रह पर प्रतिकूल प्रभाव महामारी-प्रेरित लॉकडाउन द्वारा विवृत्त हो गया था।
- कोविड –19 प्रभाव: कोविड महामारी के कारण राज्यों द्वारा व्यक्तियों के जीवन एवं आजीविका को सुरक्षित करने अधिक व्यय एवं कोविड-19 प्रेरित लॉकडाउन के कारण कम राजस्व सृजन हुआ।
- उनके राजस्व के प्रमुख स्रोत के रूप में जीएसटी में कोविड-19 की अवधि के दौरान काफी गिरावट आई एवं राज्यों को क्षतिपूर्ति के लिए तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता महसूस हुई।
- जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर: राजस्व की हानि के लिए क्षतिपूर्ति का भुगतान करने का समझौता पांच वर्ष की अवधि के लिए था जो जून 2022 तक समाप्त हो जाएगा।
- कोविड महामारी की पृष्ठभूमि में यह राज्यों की आर्थिक स्थिति को और कमजोर करता है।
- राजस्व संग्रह में अनिश्चितता को देखते हुए, राज्य मांग कर रहे हैं कि क्षतिपूर्ति योजना आगामी पांच वर्षों तक जारी रहनी चाहिए।
- जटिल जीएसटी व्यवस्था: वर्तमान जीएसटी संरचना चार मुख्य दरों (5%, 12%, 18% एवं 28%) के साथ अत्याधिक जटिल है।
- यह बहुमूल्य एवं अर्ध-बहुमूल्य पत्थरों एवं धातुओं पर विशेष दरों एवं ‘अयोग्य’ तथा विलासिता की वस्तुओं पर लागू कर दर के 15% से 96% तक की दरों पर उपकर के अतिरिक्त है।
सुधार उत्प्रेरक के रूप में जीएसटी क्षतिपूर्ति का विस्तार- आगे की राह
- राज्यों की राजस्व क्षमता का अभिवर्धन करना: जीएसटी व्यवस्था में राज्यों के सहयोग से सुधार की आवश्यकता है एवं इस कठिन समय में लोगों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में राज्यों की सहायता करने हेतु जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की अवधि में भी वृद्धि की जानी चाहिए।
- कर आधार का विस्तार: विशेष रूप से, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में शामिल उपभोग वस्तुओं का लगभग 50% जीएसटी से उन्मुक्ति प्राप्त सूची में है।
- पेट्रोलियम उत्पादों, स्थावर संपदा (रियल एस्टेट), मानव उपभोग हेतु अल्कोहल एवं विद्युत को जीएसटी के दायरे में लाना आवश्यक है।
- जीएसटी कर व्यवस्था को सरल बनाना: दरों को एकीकृत करने हेतु कर संरचना में सुधार अनिवार्य है एवं यह राज्यों के सहयोग के बिना नहीं किया जा सकता है।
- यह राज्यों को होने वाली राजस्व हानि के लिए क्षतिपूर्ति के भुगतान को जारी रखकर किया जा सकता है। सरलीकृत जीएसटी व्यवस्था के निम्नलिखित लाभ होंगे-
- मध्यम अवधि में कर की उछाल में वृद्धि करना
- व्यापारिक सुगमता में सुधार लाने एवं विकृतियों को कम करने हेतु प्रशासनिक एवं अनुपालन लागत को कम करना।
- यह राज्यों को होने वाली राजस्व हानि के लिए क्षतिपूर्ति के भुगतान को जारी रखकर किया जा सकता है। सरलीकृत जीएसटी व्यवस्था के निम्नलिखित लाभ होंगे-
- क्षतिपूर्ति को एसजीडीपी से जोड़ना: क्षतिपूर्ति की गणना हेतु संदर्भ राजस्व की वृद्धि दर को राज्यों में जीएसडीपी की वृद्धि से जोड़ा जा सकता है।
- यह राजस्व पर न्यूनतम निश्चितता का आश्वासन सुनिश्चित करेगा।
- यह राज्यों को सहकारी संघवाद की वास्तविक भावना में सुधार को पूरा करने हेतु भी प्रोत्साहित करेगा।