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रूस यूक्रेन युद्ध यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 3: भारत के हितों, भारतीय प्रवासियों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।
रूस यूक्रेन संकट: संदर्भ
- यूक्रेन के साथ रूसी युद्ध अभी भी जारी है एवं विश्व व्यवस्था पर इसके प्रभाव पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
रूस यूक्रेन संघर्ष: भारत के लिए मुद्दे
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र में मतदान से अनुपस्थित रहकर रूस की कार्रवाई की आलोचना करने से इनकार कर दिया है।
- इस निर्णय से पश्चिम के साथ, विशेष रुप से अमेरिका के साथ भारत के संबंधों पर असर पड़ सकता है।
- अमेरिका द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों से भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व हानि हो सकती है।
- इसके अतिरिक्त, संकट का वैश्विक विश्व व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
रूस यूक्रेन युद्ध: चरमराती विश्व व्यवस्था
- संयुक्त राष्ट्र संघ एवं सुरक्षा परिषद: यूक्रेन में रूस की कार्रवाइयों ने संयुक्त राष्ट्र संघ तथा सुरक्षा परिषद को उनकी पूर्ण अक्षमता के लिए बेनकाब कर दिया है।
- यूक्रेन के शहरों पर रूस द्वारा प्रतिदिन बमबारी एवं रूस को संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्गत लाने के स्थान पर उस पर प्रतिबंध लगाने की पश्चिमी प्रतिक्रिया वैश्विक व्यवस्था के लिए एक गंभीर चिंता का कारण है।
- परमाणु सुरक्षा उपायों को क्षीण करना: रूस ने चेरनोबिल के समीप के क्षेत्रों एवं ज़ापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के पास शेल इमारतों को लक्षित किया है, जो यूरोप का सर्वाधिक वृहद परमाणु संयंत्र है जो एक नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था के लिए एक चिंताजनक संकेत है।
- इसके अतिरिक्त, तथ्य यह है कि यूक्रेन एवं लीबिया, जिन्होंने स्वेच्छा से अपने परमाणु कार्यक्रम का त्याग कर दिया है, पर आक्रमण किया गया; एवं ईरान तथा उत्तर कोरिया कभी भी वैश्विक व्यवस्था की अवहेलना कर सकते हैं क्योंकि उन्होंने अपने परमाणु निवारकों को अपने नियंत्रण में रखा है, परमाणु अप्रसार प्रणाली की विश्वसनीयता के बारे में बहुत कुछ कहता है।
- आर्थिक प्रतिबंध: पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए मनमाने एवं एकतरफा प्रतिबंधों ने विश्व व्यापार संगठन के अंतर्गत स्थापित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को दुष्प्रभावित किया।
- इसके अतिरिक्त, तथ्य यह है कि अब तक घोषित प्रतिबंधों में रूस के कुछ सबसे बड़े बैंक जैसे Sberbank एवं Gazprombank तथा ऊर्जा एजेंसियां (रूस से तेल एवं गैस के व्यवधान से बचने के लिए) सम्मिलित नहीं हैं, ने भी इस तरह के प्रतिबंधों की विश्वसनीयता के बारे में अनेक प्रश्न उठाए हैं।
- विश्व गैर-डॉलर प्रणाली की दिशा में आगे बढ़ रहा है क्योंकि भारत रूस से हमारे आयात के वित्तपोषण के लिए एक रुपया-रूबल तंत्र का उपयोग कर रहा है तथा रूसी बैंक अब ऑनलाइन लेनदेन के लिए चीनी “यूनियनपे” का उपयोग करेंगे।
- अलगाव के कारण संकट: पश्चिमी देश रूस को सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से अलग-थलग करने का लक्ष्य बना रहे हैं, जो वैश्विक उदार व्यवस्था के विरुद्ध है।
- इसके अतिरिक्त, उनकी स्वीकारोक्ति कि उनका युद्ध रूसी नागरिकों के साथ नहीं है, उनके कार्रवाईयों के साथ भी संगत नहीं है क्योंकि उनके अधिकांश कार्रवाईयों से सामान्य रूसी नागरिकों को क्षति पहुंचेगी।
रूस यूक्रेन युद्ध: आगे की राह
- भारत को समान विचारधारा वाले राष्ट्रों के साथ आगे बढ़ना चाहिए ताकि वैश्विक व्यवस्था को सक्रिय रूप से बनाए रखा जा सके, मजबूत किया जा सके एवं विश्व को एक सुरक्षित स्थान बनाया जा सके।
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