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संपादकीय विश्लेषण- इंडियाज सेमीकंडक्टर ड्रीम

इंडियाज सेमीकंडक्टर ड्रीम- यूपीएससी परीक्षा

  • जीएस पेपर 3 के लिए प्रासंगिकता: भारतीय अर्थव्यवस्था– नियोजन, संसाधनों का अभिनियोजन, विकास, विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे।

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भारत का सेमीकंडक्टर स्वप्न- संदर्भ

  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की महामारी से प्रेरित नाजुक स्थिति की पृष्ठभूमि में, भारत सहित अनेक देशों ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र को सहायता प्रदान की है।
  • महत्व: अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) चौथी औद्योगिक क्रांति प्रौद्योगिकियों के मूल में हैं। यह वर्तमान भू-राजनीतिक गतिशीलता के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

 

 भारत का सेमीकंडक्टर ड्रीम- संबद्ध मुद्दे

  • कोविड-19 प्रभाव: महामारी ने अर्धचालकों के निर्माण की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की नाजुक स्थिति को सामने ला दिया है।
  • अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा: फैब निर्माण के लिए पूर्वी एशिया पर विश्व की अत्यधिक निर्भरता, सिलिकॉन की बढ़ती कीमतें तथा चीन-यू.एस. व्यापार युद्ध के कारण स्थिति और विकट हो गई है।

 

 इंडियाज सेमीकंडक्टर ड्रीम- देशों द्वारा समर्थन

  • भारत: भारत ने देश में अर्धचालकों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए 10 अरब डॉलर के पैकेज को  स्वीकृति प्रदान की है।
    • सरकार ने प्रमुख अंतरराष्ट्रीय निर्माताओं को या तो स्वयं अथवा स्थानीय भागीदार की सहायता से भारत में अपनी विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन की एक सूची तैयार की है।
  • यूएसए: अमेरिका ने वहां संधानशालाएं (फाउंड्री) बनाने के लिए 50 बिलियन डॉलर के पैकेज की घोषणा की है।
    • इंटेल अपने एरिज़ोना परिसर में दो और फाउंड्री जोड़ रहा है तथा टीएसएमएससी एवं यूएमसी जैसे चिप-निर्माताओं के साथ प्रतिस्पर्धा करने हेतु अपना  स्वयं का फाउंड्री व्यवसाय भी विकसित कर रहा है।
    • टीएसएमएससी, जो 24% सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को नियंत्रित करती है, एरिज़ोना में 12 बिलियन  डॉलर की इकाई स्थापित कर रही है।
  • जापान तथा जर्मनी: जापान एवं जर्मनी को अपने-अपने देशों में विशेष प्रौद्योगिकी फैब आरंभ करने के लिए टीएसएमएससी प्राप्त हो गया है।

 

भारत का सेमीकंडक्टर ड्रीम- संबद्ध लाभ 

  • मजबूत डिजाइन: फैब विनिर्माण के यहां होने से डिजाइन में भी भारत की क्षमता का निर्माण होगा।
    • अमेरिका के बाहर चिप डिजाइनरों की सबसे बड़ी संख्या भारत में है जो अत्याधुनिक प्रणालियों एवं प्रौद्योगिकियों पर कार्य कर रहे हैं।
    • उदाहरण के लिए, कर्नाटक में विभिन्न वैश्विक कंपनियों के 85 से अधिक फैबलेस चिप डिजाइन हाउस हैं।
  • ईडीए (इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन ऑटोमेशन) उपकरणों में हमारे सेमीकंडक्टर डिजाइन पेशेवरों की सुदृढ़ विशेषज्ञता विनिर्माण की ओर बढ़ने के लिए ठोस आधार प्रदान करती है।

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भारत का सेमीकंडक्टर ड्रीम- आगे की राह

  • देश के भीतर मांग सुनिश्चित करना: फैब निर्माण के लिए पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करने हेतु, देश के भीतर उत्पादित अर्धचालकों की मांग को बंद करना महत्वपूर्ण है।
    • अर्धचालकों की कुल मांग 24 अरब डॉलर का है। इसके 2030 तक बढ़कर 80-90 अरब डॉलर होने की संभावना है।
    • ऑटोमोटिव निर्माताओं जैसे अर्धचालकों के उपभोक्ताओं के साथ एक समझौता करना आदर्श होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जो कुछ भी उत्पादित हो उसका उपभोग कर लिया जाता हो।
  • कच्चे माल की आपूर्ति क्षमताओं का विकास  करना: इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन फैब तथा एटीएमपी (असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग एवं पैकेजिंग) उद्योग को खनिज  तथा गैसों जैसे संसाधित कच्चे माल की आपूर्ति प्रारंभ करने का अवसर तलाश रहा है।
    • यह भारतीय गैस, सामग्री और खान उद्योग को बढ़ावा देगा और अर्धचालक उपकरण, पुर्जों और सेवा उद्योग के अवसरों का भी विस्तार करेगा।
    • यह भारतीय गैस, सामग्री एवं खनन उद्योग को बढ़ावा देगा  तथा अर्धचालक उपकरण, कलपुर्जों  एवं सेवा उद्योग के अवसरों का भी विस्तार करेगा।
  • फैब  संकुलन को बढ़ावा देना: यह वह  स्थान है जहां प्रमुख सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाएं तथा संबंधित व्यवसाय  पश्चगामी एवं अग्रगामी संयोजन (बैकवर्ड एंड फॉरवर्ड लिंकेज) निर्मित करने हेतु एक ही स्थान पर उपस्थित हैं।
    • फैब क्लस्टरिंग सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र  निर्मित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
    • इस प्रकार के एक पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए एक बल गुणक के रूप में कार्य करने हेतु इस तरह के स्थल को विशुद्ध रूप से अवस्थिति की क्षमता के आधार पर चयनित किया जाना चाहिए।
  • महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना: महिलाओं के लिए रात्रि पाली में कार्य करने के साथ-साथ शून्य श्रम विवादों के लिए एक अनुकूल वातावरण निर्मित करने की आवश्यकता है।
  • निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना: इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा देने के साथ-साथ, भारत को भारतीय निर्माताओं एवं स्टार्ट-अप्स को जटिल अनुसंधान एवं विकास ( रिसर्च एंड डेवलपमेंट/आर एंड डी) तथा विनिर्माण उदग्रों (वर्टिकल) में प्रवेश करने एवं कुशलता प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहित करने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
    • यह सुनिश्चित करेगा कि मूल्यवान बौद्धिक संपदा का निर्माण तथा स्वामित्व भारतीय कंपनियों के पास निहित हो।
  • अत्याधुनिक तकनीकों के विकास को सुगम बनाना: अर्धचालक उद्योग तेजी से परिवर्तित हो रहा है क्योंकि नवीन योग की प्रौद्योगिकियों को डिजाइन, सामग्री तथा प्रक्रिया स्तरों पर नवाचार की आवश्यकता होती है।
    • हमें भारतीय इंजीनियरों को आकर्षक सरकारी अनुदान एवं कर प्रोत्साहन के साथ अपने डिजाइन स्टार्ट-अप्स स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए।
    • भारतीय विज्ञान संस्थान जैसे प्रमुख शोध संस्थानों को भी चिप डिजाइनिंग तथा निर्माण में अनुसंधान एवं विकास पर अति महत्वाकांक्षी तरीके से कार्य करने हेतु कहा जाना चाहिए।
    • सरकार को लिडार तथा फेज्ड ऐरे जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देना चाहिए जिसमें पदस्थों को असंगत लाभ प्राप्त नहीं होता है एवं प्रवेश की बाधा कम होती है।

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भारत का सेमीकंडक्टर स्वप्न- आगे की राह

  • नवीन अत्याधुनिक  प्रौद्योगिकियों में अति महत्वाकांक्षी तरीके से कार्य करके, भारत यह सुनिश्चित कर सकता है कि वह,विशेष रूप से अर्धचालक निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन जाए।

 

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