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संपादकीय विश्लेषण- राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव

राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव- यूपीएससी ब्लॉग हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।

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भारत-श्रीलंका मछुआरा संघर्ष: संदर्भ

  • हाल ही में, श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा तमिलनाडु से 68 भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी के साथ भारत एवं श्रीलंका के मध्य मछुआरा संघर्ष फिर से भड़क उठा है।
  • पाक खाड़ी, दक्षिण-पूर्वी भारत एवं उत्तरी श्रीलंका के मध्य का एक महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र, लंबे समय से विवाद का स्रोत रहा है।

 

भारत-श्रीलंका मछुआरा संघर्ष- पृष्ठभूमि

  • विवाद की उत्पत्ति की जड़ें अक्टूबर 1921 में मद्रास और सीलोन की सरकारों के प्रतिनिधियों के मध्य हुए वार्ता से खोजी जा सकती हैं।
  • यह वार्ता पाक जलडमरूमध्य एवं मन्नार की खाड़ी के परिसीमन की आवश्यकता पर आरंभ हुई थी।
  • 1970 के दशक के मध्य में भारत एवं श्रीलंका द्वारा दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय सामुद्रिक सीमा रेखा (आईएमबीएल) अस्तित्व में आई।
  • आईएमबीएल ने कच्चातीवू को श्रीलंका का एक हिस्सा बना दिया, भले ही यह छोटा द्वीप (आइलेट) कभी रामनाथपुरम के राजा की जमींदारी के अधीन एक क्षेत्र था।
  • समझौतों की अपेक्षाओं के विपरीत जिसने नई समस्याओं को जन्म दिया, जिसमें तमिलनाडु के मछुआरों द्वारा आईएमबीएल को पार करने एवं श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा पकड़े जाने की पुनरावृत्तिक घटनाएं शामिल हैं।

 

राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव- संबद्ध मुद्दे

  • जीवन की हानि: अनेक अवसरों पर, कई मछुआरों की जान चली गई।
    • इस वर्ष, श्रीलंकाई अधिकारियों की जहाजों एवं मछली पकड़ने वाली नौकाओं के मध्य टक्कर में पांच मछुआरे मारे गए।
  • मछली पकड़ने के तरीकों की असममित प्रकृति: जबकि तमिलनाडु का मछली पकड़ने वाला समुदाय मशीनीकृत बॉटम ट्रॉलर का उपयोग करता है, वहीं इसके समकक्ष (श्रीलंकाई) मछली पकड़ने के पारंपरिक रूपों का उपयोग करते हैं, क्योंकि श्रीलंका में ट्रॉलिंग पर प्रतिबंध है।
  • उत्तम मत्स्य संसाधन: तमिलनाडु के मछुआरे आईएमबीएल को पार करना जारी रखते हैं, क्योंकि खाड़ी के श्रीलंकाई किनारे को भारतीय किनारे की तुलना में अधिक मत्स्य संसाधन युक्त माना जाता है।

 

राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव- भारत द्वारा उठाए गए कदम

  • बॉटम ट्रॉलिंग को प्रतिबंधित करना: तमिलनाडु के मछुआरों को बॉटम ट्रॉलिंग से दूर करने हेतु अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।
  • डीप सी फिशिंग प्रोजेक्ट: इसे जुलाई 2017 में आरंभ किया गया था, किंतु इसके वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हुए हैं।
    • मछुआरों से अधिक प्रतिक्रिया प्राप्त करने हेतु परियोजना के मानदंडों में शिथिलता प्रदान करना केंद्र सरकार के विचाराधीन है।

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राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव- आगे की राह

  • गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को बढ़ावा देना: सरकार को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को निरंतर प्रोत्साहन देना चाहिए क्योंकि इसमें लंबी अवधि लगती है एवं मछली पकड़ने वाले समुदाय के द्वारा वर्तमान में जो पुनरावर्ती लागत अनुभव की जा रही है, उसकी तुलना में प्रति यात्रा की पुनरावर्ती लागत अधिक होती है।
  • धारणीय मत्स्य पालन हेतु रणनीतियों को प्रोत्साहित करना: विशेषज्ञों का कहना है कि समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने, खुले समुद्र में पिंजरे में मत्स्यन (केज कल्टीवेशन), समुद्री शैवाल की खेती एवं प्रसंस्करण तथा समुद्र/महासागर पशु संबंधी उद्यमों को बढ़ावा देने सहित विभिन्न रणनीतियों को अपनाया जाना चाहिए।
  • मत्स्य किसान उत्पादक संगठनों के गठन को प्रोत्साहन देनाः मत्स्य पालन समुदायों को मत्स्य किसान उत्पादक संगठन निर्मित करने हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
    • मत्स्य किसान उत्पादक संगठन निर्मित करने से मत्स्यन (मछली पकड़ने) की धारणीय प्रथाएं अपनाई जा सकती हैं।
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