Categories: Uncategorised

संपादकीय विश्लेषण: वन अधिकार अधिनियम से परे देखना

वन अधिकार अधिनियम: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं

कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

 

वन अधिकार अधिनियम: प्रसंग

  • अप्रैल 2020 तक, जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने 46% आवेदकों के मध्य वन-भूमि के दावों का वितरण किया है। यद्यपि, आदिवासी अधिकारों के समर्थकों का आरोप है कि वन विभाग ने  जनजातीय (आदिवासी) व्यक्तियों के वास्तविक दावों की अनदेखी की है

वन अधिकार अधिनियम क्या है?

  • अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006, सामाजिक-आर्थिक वर्ग के उपेक्षित नागरिकों की रक्षा करने एवं उनके जीवन तथा आजीविका के अधिकार के साथ पर्यावरण के अधिकार को संतुलित करने हेतु अधिनियमित किया गया था।

 

वन अधिकार अधिनियम: कार्यान्वयन में मुद्दे

  • ग्राम सभा का वर्जन: अधिनियम एक वन अधिकार समिति, जिसमें गांव के सदस्य सम्मिलित होंगे जिन्हें एक ग्राम सभा का आयोजन कर बैठक में उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई सदस्यों के साथ गठन का प्रावधान करता है। इन समितियों का गठन अधिकांशतः पंचायत सचिवों द्वारा ग्राम सभा को दरकिनार करते हुए जिलाधिकारियों से अल्प सूचना पर प्राप्त निर्देशों पर किया गया था।
  • मनोनीत सदस्य: तालुका-स्तर एवं जिला-स्तरीय समितियों के सदस्यों के लिए नामांकन भी पारदर्शी नहीं थे।
  • महिलाओं का अधीनीकरण: वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) महिलाओं के लिए अधिनियम के अंतर्गत जारी स्वामित्वों में समान अधिकार का प्रावधान करता है। यद्यपि जमीनी स्तर पर इस प्रावधान का क्रियान्वयन वास्तविकता से कोसों दूर है।
  • स्वीकार्य प्रमाणों की उपेक्षा: कार्यान्वयन के प्रारंभिक चरणों में, साक्ष्य के रूप में उपग्रह चित्रों पर बल दिया गया था जबकि अन्य स्वीकार्य प्रमाणों की अनदेखी की गई थी। इसके परिणामस्वरूप अधिकारियों द्वारा दावों को व्यापक पैमाने पर अस्वीकार कर दिया गया है।
  • अपर्याप्त जागरूकता: अधिनियम के बारे में जनजातीय लोगों के मध्य कम जागरूकता के स्तर ने भी अपना दावा प्रभावी ढंग से रखने के उनके निर्णय को प्रभावित किया है। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ के कुछ गांवों में, प्रदत भूमि की सीमा, निर्धारित सीमा के भीतर दावा किए गए भूमि की तुलना में बहुत कम थी। दावेदारों ने यह अनुमान लगाते हुए विरोध नहीं किया कि उन्हें जो कुछ स्वामित्व भी मिला है, वह अधिकारियों द्वारा वापस ले लिया जा सकता है।

वन अधिकार अधिनियम: जनजातीय क्षेत्रों में मुद्दे

  • भारत में बहुसंख्यक आदिवासी समुदाय निर्धन एवं भूमिहीन हैं।
  • आदिवासियों में वनोपज की गुणवत्ता में गिरावट देखी जा रही है। इसके अतिरिक्त, बिहार से मजदूरों की आमद, जो कम मजदूरी पर काम करने के इच्छुक थे, ने आदिवासियों की होने वाली आय में कमी की है।
  • वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत मान्यता प्राप्त भूमि सहित आदिवासियों की भूमि बहुत उपजाऊ नहीं है। इसके अतिरिक्त, सिंचाई सुविधाओं का अभाव उन्हें केवल वर्षा पर निर्भर रहने हेतु बाध्य करता है।
  • अपनी आय में वृद्धि करने हेतु, वे विनिर्माण या सड़क बनाने वाले मजदूरों के रूप में कार्य करने हेतु पलायन करते हैं।

 

वन अधिकार अधिनियम: आगे की राह

  • बागवानी पर ध्यान केंद्रित करना: यदि सुनिश्चित बाजार के साथ बांस एवं घृतकुमारी (एलोवेरा) के बागानों के अतिरिक्त बागवानी प्रथाओं को बढ़ावा दिया जाए तो स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार होगा।
  • पारिस्थितिकी पर्यटन: केरल मॉडल की तर्ज पर चिकित्सा एवं पारिस्थितिकी पर्यटन भी आदिवासी लोगों की आय में वृद्धि कर सकते हैं, एवं आदिवासी/जनजातीय निर्धनता के कारण को हल करने में सहायता कर सकते हैं।
  • कौशल आधारित शिक्षा: सुनिश्चित रोजगार के साथ कौशल आधारित शिक्षा प्रदान करना इन क्षेत्रों में अद्भुत काम करेगा।
  • योजनाओं एवं अधिनियमों का उचित कार्यान्वयन: जनजातीय व्यक्तियों की स्थिति में सुधार हेतु, पहले से उपलब्ध योजनाओं जैसे पीएम वन-धन योजना एवं वन अधिकार अधिनियम तथा पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 जैसे अधिनियमों को उचित प्रकार से क्रियान्वित किया जाना चाहिए।
डेरिवेटिव्स: परिभाषा, अवधारणा एवं प्रकार बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021- विवाह में स्वीय विधि भारतीय रेलवे पर सीएजी की रिपोर्ट भरतनाट्यम- भारतीय शास्त्रीय नृत्य
बीज ग्राम योजना: बीज ग्राम कार्यक्रम संपादकीय विश्लेषण- थिंकिंग बिफोर लिंकिंग साउथ-साउथ इनोवेशन प्लेटफॉर्म: प्रथम एग्री-टेक सहयोग की घोषणा की गई भारत में प्रमुख बांध एवं जल विद्युत परियोजनाएं
सेबी ने कृषि जिंसों में व्युत्पन्न व्यापार पर प्रतिबंध लगाया विकलांग बच्चों हेतु दीक्षा थार रेगिस्तान में प्रसार एवं भूमि क्षरण भारत की भौतिक विशेषताएं: भारतीय मरुस्थल
manish

Recent Posts

MPSC Admit Card 2024 Out Soon, Check Download Link Here

The Maharashtra Public Service Commission (MPSC) will soon release the MPSC Admit Card for the…

3 hours ago

UPSC Syllabus in Hindi, यूपीएससी सिलेबस प्रीलिम्स और मेन्स देखें यहाँ

UPSC Syllabus in Hindi- संघ लोक सेवा आयोग अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर 14 फरवरी 2024…

4 hours ago

UPSC EPFO PA Answer Key 2024, Download Answer Key PDF

UPSC EPFO PA Answer Key 2024: The UPSC EPFO Personal Assistant Exam has been conducted…

5 hours ago

UPSC EPFO PA Exam Date 2024 Out, Check Exam Schedule

The UPSC EPFO Personal Assistant Exam date 2024 has been released by the Union Public…

5 hours ago

भारत में बांधों की सूची- महत्वपूर्ण बांध, सबसे ऊंचे एवं सबसे पुराने  बांधों की सूची

बांध एक संरचना है जिसे जलधाराओं, नदियों या अन्य जलाशयों के प्रवाह को रोकने, निर्देशित…

6 hours ago

Birsa Munda Biography, History, Birth Date, Death June 9, 1900

Birsa Munda was born on November 15, 1875, near Ranchi in a place called Ulihatu.…

7 hours ago