Categories: हिंदी

संपादकीय विश्लेषण- मूविंग पॉलिसी अवे  फ्रॉम पापुलेशन कंट्रोल

जनसंख्या नियंत्रण से दूर नीति को आगे बढ़ाना- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन I- भारतीय समाज की प्रमुख विशेषताएं, भारत की विविधता।

चर्चा में क्यों है?

  • संयुक्त राष्ट्र की विश्व जनसंख्या प्रत्याशा (वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स/WPP), 2022 का अनुमान है कि भारत 2023 तक 140 करोड़ की आबादी के साथ चीन को पीछे छोड़ते हुए सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएगा।

 

एक आकस्मिक पूर्ण परिवर्तन

  • 1960 के दशक में, भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 2% से अधिक थी। विकास की वर्तमान दर पर, यह 2025 तक गिरकर 1% होने की संभावना है।
  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे/ एनएफएचएस) के अनुसार, विगत वर्ष, भारत एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय मील का पत्थर तक पहुंच गया, प्रथम बार, इसकी कुल प्रजनन दर (टोटल फर्टिलिटी रेट/टीएफआर) प्रतिस्थापन स्तर प्रजनन क्षमता (प्रति महिला 2.1 बच्चे) से नीचे दो तक फिसल गई।
    • स्वतंत्रता के पश्चात, 1950 के दशक में, भारत में टीएफआर छह था।
  • निम्न टीएफआर प्राप्त करने में आने वाली बाधाओं में उच्च निरक्षरता स्तर, बड़े पैमाने पर बाल विवाह,  सापेक्षिक रूप से उच्च स्तर की पांच वर्ष से कम आयु की मृत्यु दर, महिलाओं की निम्न कार्यबल भागीदारी  तथा अन्य राज्यों की तुलना में कम गर्भनिरोधक उपयोग सम्मिलित हैं।
  • भारत में बहुसंख्यक महिलाओं के पास अपने जीवन में बहुत अधिक आर्थिक या निर्णायक निर्णय निर्माण नहीं है एवं समाज में महिलाओं की स्थिति (जीवन की गुणवत्ता) में सुधार किए बिना, मात्र एकतरफा विकास प्राप्त किया जा सकता है।

 

जनसांख्यिकीय लाभांश

  • एक विशाल जनसंख्या का अर्थ वृहत्तर मानव पूंजी, उच्च आर्थिक विकास एवं जीवन निर्वाह स्तर में सुधार माना जाता है।
    • जैसा कि विश्व जनसंख्या प्रत्याशा 2022 में, भारत में वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक वृहद कार्यबल होगा, अर्थात, आगामी 25 वर्षों में, कार्यशील-आयु वर्ग के पांच व्यक्तियों में से एक भारत में निवास कर रहा होगा।
  • कार्यशील-आयु में यह वृद्धि 2050 के दशक के मध्य तक बढ़ती रहेगी एवं भारत को इसका सदुपयोग करना चाहिए।

 

संबंधित क्षेत्र

  1. गंभीर स्वास्थ्य जोखिम
  • इन 75 वर्षों में देश में रोग प्रतिरूप में भी जबरदस्त बदलाव देखा गया है: जबकि भारत स्वतंत्रता के पश्चात संक्रामक रोगों से लड़ रहा था, गैर- संक्रामक रोगों (नॉन कम्युनिकेबल डिजीजेज/एनसीडी) की ओर एक संक्रमण हुआ है, जो कुल मौतों का 62 प्रतिशत से अधिक का कारण है।
  • भारत एक वैश्विक रोग बोझ नेतृत्वकर्ता है क्योंकि 1990 के दशक से गैर- संक्रामक रोगों की हिस्सेदारी लगभग दोगुनी हो गई है, जो चिंता का प्राथमिक कारण है।
  • भारत मधुमेह से पीड़ित आठ करोड़ से अधिक लोगों का घर है। इसके अतिरिक्त, वायु प्रदूषण के कारण वैश्विक स्तर पर होने वाली मौतों में से एक चौथाई से अधिक अकेले भारत में होती हैं।
  • बढ़ते हुए गैर संक्रामक रोगों की चपेट में जरण आबादी के साथ, भारत आने वाले दशकों में एक गंभीर स्वास्थ्य जोखिम का सामना कर रहा है।
  • इसके विपरीत, भारत का स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचा अत्यधिक अपर्याप्त एवं एवं अक्षम है।
  • इसके अतिरिक्त, भारत का सार्वजनिक स्वास्थ्य वित्तपोषण कम है, जो सकल घरेलू उत्पाद के 1% एवं 1.5% के  मध्य है, जो विश्व में सबसे कम प्रतिशत में से एक है।
  1. प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर तक पहुंचने के बाद भी, जनसंख्या गति (उनके प्रजनन आयु समूहों में महिलाओं के बड़े समूह) के कारण जनसंख्या तीन से चार दशकों तक बढ़ती रहेगी।
  2. जनसांख्यिकीय लाभांश
  • इस जनसांख्यिकीय लाभांश को प्राप्त करने में अनेक बाधाएं हैं।
  • भारत की श्रम शक्ति कार्यबल से महिलाओं की अनुपस्थिति से बाधित है; केवल एक चौथाई महिलाएं ही नियोजित हैं।
  • शैक्षिक उपलब्धियों की गुणवत्ता आदर्श के अनुकूल नहीं है एवं देश के कार्यबल में आधुनिक रोजगार बाजार के लिए आवश्यक बुनियादी कौशल का बुरी तरह से अभाव है।
  • विश्व की न्यूनतम रोजगार दरों में से एक के साथ सर्वाधिक वृहद आबादी होने के कारण ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ प्राप्त करने में एक और बड़ी बाधा है।
  • स्वतंत्र भारत की एक अन्य जनसांख्यिकीय चिंता पुरुष प्रधान लिंगानुपात है।
  • भारत में प्रजनन आयु वर्ग की प्रत्येक दूसरी महिला रक्ताल्पता पीड़ित (एनीमिक) है एवं पांच वर्ष से कम  आयु का प्रत्येक तीसरा बच्चा अविकसित है।
  • वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) में भारत 116 देशों में से 101वें स्थान पर है; यह एक ऐसे देश के लिए अत्यंत कठिन है, जिसके पास सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं मध्याह्न भोजन योजना के माध्यम से खाद्य सुरक्षा के लिए सर्वाधिक व्यापक कल्याणकारी कार्यक्रम हैं।

आगे की राह

  • लिंगानुपात में सुधार एक प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि कुछ समुदायों को विवाह दबाव (एक विशिष्ट समाज में विवाह के लिए उपलब्ध पुरुषों एवं महिलाओं की संख्या के मध्य असंतुलन) एवं अंततः दुल्हन की खरीद से गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • भारत को एक युवा राष्ट्र कहा जाता है, जिसकी 50% जनसंख्या 25 वर्ष से कम आयु की है।
  • वृद्ध लोगों के लिए एक मजबूत सामाजिक, वित्तीय एवं स्वास्थ्य देखभाल सहायता प्रणाली के विकास में अग्रिम निवेश समय की आवश्यकता है।
  • कार्रवाई का केंद्र बिंदु (फोकस) मानव पूंजी में व्यापक निवेश, गरिमा के साथ रहने वाले वृद्ध वयस्कों तथा  वृद्ध जनसंख्या  के स्वस्थ रहने पर होना चाहिए।
  • हमें उपयुक्त बुनियादी ढांचे, अनुकूल सामाजिक कल्याण योजनाओं एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा स्वास्थ्य में बड़े पैमाने पर निवेश के साथ तैयार रहना चाहिए।
  • जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित नहीं किया जाना चाहिए; हमें अब इतनी गंभीर समस्या नहीं है। इसके  स्थान पर, जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि प्राथमिकता होनी चाहिए।

 

आवश्यक वस्तु अधिनियम संपादकीय विश्लेषण- द कमिंग 75 इयर्स मंथन प्लेटफॉर्म विमोचित पालन ​​1000 राष्ट्रीय अभियान एवं पेरेंटिंग ऐप
इथेनॉल सम्मिश्रण को समझना बाल आधार पहल संपादकीय विश्लेषण- ए ट्रिस्ट विद द पास्ट पोलियो वायरस: लंदन, न्यूयॉर्क और जेरूसलम में मिला
डिजी-यात्रा: इसके बारे में, कार्य एवं संबद्ध लाभ राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन (एनआईपीएएम) 76 वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से प्रधानमंत्री का संबोधन संपादकीय विश्लेषण- ए  टाइमली जेस्चर
manish

Recent Posts

UPSC Preparation Tips for Beginners, Check Step by Step Guide

For those just beginning their UPSC journey, a few tips can make the process smoother.…

55 mins ago

UPSC Previous Year Question Papers PDF, Last 10 Years Papers

It is advised you should start your study by working with the UPSC Previous Year…

1 hour ago

UKPSC Exam Date 2024 Out, Check UKPSC Prelims Schedule

The UKPSC Exam Date 2024 has been released by the Uttarakhand Public Service Commission (UKPSC)…

1 hour ago

The Right to Vote in India: A Constitutional Perspective

The right to vote is fundamental to the functioning of any democracy, acting as the…

2 hours ago

New Criminal Laws in India 2024

India’s criminal justice system has embarked on a historic transformation with the enactment of three…

2 hours ago

UPSC Eligibility Criteria 2024- Check Age Limit, Education, and more

The candidate must fulfill UPSC Eligibility Criteria for the civil services examination 2024. Union Public…

2 hours ago