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महिला कार्यबल की क्षमता का दोहन: यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।
महिला कार्यबल की क्षमता का दोहन: संदर्भ
- डिजिटल एवं स्मार्टफोन प्रौद्योगिकियों को व्यापक स्तर पर अपनाने तथा व्यक्तिगत देखभाल की बढ़ती आवश्यकता ने महिलाओं के लिए विभिन्न प्रकार के रोजगार के अवसर खोले हैं। यद्यपि, हमें इस बाजार के अवसर का लाभ उठाने के लिए एक ठोस प्रयास की आवश्यकता है।
महिला कार्यबल की क्षमता का दोहन: आवश्यक कदम
- महिला श्रम शक्ति भागीदारी में वृद्धि: भारत की महिला श्रम शक्ति भागीदारी (फीमेल लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन/एफएलएफपी) दर ब्रिक्स देशों में सबसे कम है। इसे न केवल आर्थिक विकास प्राप्त करने के लिए बल्कि समावेशी विकास को बढ़ावा देने एवं सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भी बढ़ाया जाना चाहिए।
- स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में निवेश: बेहतर स्वास्थ्य एवं देखभाल सुविधाओं में निवेश में वृद्धि होने से भारत के लोगों के कल्याण में सुधार होता है एवं इसलिए उनकी आर्थिक उत्पादकता, विशेष रूप से महिलाओं की आर्थिक उत्पादकता में सुधार होता है ।
- देखभाल सेवा क्षेत्र, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अन्य व्यक्तिगत देखभाल सेवाएं सम्मिलित हैं, विनिर्माण, निर्माण अथवा अन्य सेवा क्षेत्रों जैसे क्षेत्रों की तुलना में अधिक श्रम प्रधान है।
- गिग एवं प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था: गिग एवं प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था लोचशीलता तथा स्वतंत्र (फ्रीलांसिंग) नौकरियों की पेशकश करती है। आईएलओ ग्लोबल सर्वे (2021) ने यह भी नोट किया है कि घर से कार्य करना या नौकरी में लचीलापन महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। हालांकि, स्मार्टफोन का पास में होना – दूरस्थ कार्य के लिए एक शर्त – अभी भी अधिकांश महिलाओं के लिए एक मुद्दा है। गिग एवं प्लेटफॉर्म क्षेत्र में महिलाओं के रोजगार को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
- उच्च शिक्षा तथा कौशल प्रशिक्षण तक पहुंच: महिलाओं एवं उनके परिवारों को उनके रोजगार परिणामों में सुधार के लिए छात्रवृत्ति के साथ-साथ परिवहन एवं छात्रावास सुविधाओं जैसे प्रोत्साहनों के माध्यम से उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु प्रेरित करने की आवश्यकता है।
महिला कार्यबल की क्षमता का दोहन: आगे की राह
- सरकारों, कौशल प्रशिक्षण भागीदारों, निजी कंपनियों, व्यावसायिक घरानों एवं उद्योग संघों के साथ-साथ नागरिक समाज संगठनों को महिलाओं के लिए सक्षम उपाय निर्मित करने हेतु एक साथ आने की आवश्यकता है।