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संपादकीय विश्लेषण: भारत में उचित आशय, भ्रमित करने वाली विषय वस्तु 

ई अपशिष्ट प्रबंधन: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

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ई अपशिष्ट प्रबंधन नियम: संदर्भ

  • हाल ही में, पर्यावरण मंत्रालय ने सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए प्रारूप ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 जारी किया है। विगत माह भारत में ई-अपशिष्ट (प्रबंधन एवं संचालन) नियम को प्रवर्तन में आए एक दशक बीत चुका है।

 

ई अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2022: प्रमुख बिंदु

  • प्रारूप नियम कहता है कि ई-वस्तुओं के उत्पादकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके द्वारा उत्पादित ई-अपशिष्ट का कम से कम 60% 2023 तक पुनर्नवीनीकरण किया जाए।
  • प्रारूप नियम यह भी कहते हैं कि नियमों के “समग्र कार्यान्वयन, अनुश्रवण एवं पर्यवेक्षण” की देखरेख के लिए एक संचालन समिति का समावेशन किया जाएगा।

 

ई अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2022: मुद्दे

  • भारत में ई-अपशिष्ट का व्यापक पैमाने पर पुनर्चक्रण अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है। अनौपचारिक क्षेत्र के अंतर्गत अकुशल एवं असुरक्षित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके अधिकांश मूल्यवान सामग्री का पुनर्चक्रण किया जाता है।
  • यदि नियामक लक्ष्य पुनर्चक्रण हेतु एक जीवंत बाजार निर्मित करना था, तो मौजूदा औपचारिक  एवं अनौपचारिक प्रतिभागियों को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। यद्यपि, पंजीकृत संग्राहकों (कलेक्टरों), उद्ध्वंसकों (डिस्मेंटलर) एवं उत्पादक उत्तरदायित्व संगठनों को विनियमित करने पर पूर्ण रूप से मौन धारण करना हैरान करने वाला है।
  • नियम सीपीसीबी के अध्यक्ष को समिति के अध्यक्ष के रूप में प्रस्तावित करते हैं, जिसमें पर्यावरण मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रतिनिधि एवं उत्पादक तथा पुनर्चक्रणकर्ताओं के संघ सम्मिलित होंगे। यद्यपि, इसमें विज्ञान/शिक्षाविदों एवं नागरिक समाज संगठनों का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है।

 

भारत में ई अपशिष्ट की समस्या

  • विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) द्वारा 2018 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत 180 देशों में 177वें स्थान पर है एवं पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2018 में पांच निम्नतम देशों में सम्मिलित है।
  • साथ ही, भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान तथा जर्मनी के  पश्चात शीर्ष ई- अपशिष्ट उत्पादक देशों में  विश्व में पांचवें स्थान पर है
  • भारत प्रतिवर्ष औपचारिक रूप से उत्पन्न होने वाले कुल ई- अपशिष्ट के 2 प्रतिशत से भी कम का पुनर्चक्रण करता है।
  • भारत प्रतिवर्ष दो मिलियन टन से अधिक ई-अपशिष्ट उत्पन्न करता है एवं संपूर्ण विश्व के अन्य देशों से भारी मात्रा में ई- अपशिष्ट का आयात करता है।
  • खुले में डंपिंग करना एक आम दृश्य है जो भूजल संदूषण, खराब स्वास्थ्य तथा ऐसे अन्य अनेक मुद्दों को जन्म देता है।
  • ई- अपशिष्ट संग्रह, परिवहन, प्रसंस्करण एवं पुनर्चक्रण के क्षेत्र में अनौपचारिक क्षेत्र का प्रभुत्व है।

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ई-अपशिष्ट से क्या तात्पर्य है?

  • इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट अथवा ई- अपशिष्ट तब उत्पन्न होता है जब इलेक्ट्रॉनिक एवं विद्युत उपकरण अपने मूल उपयोग हेतु अनुपयुक्त हो जाते हैं अथवा अपनी समाप्ति तिथि को पार कर जाते हैं।
  • उदाहरण: कंप्यूटर, सर्वर, मेनफ्रेम, मॉनिटर, कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी), प्रिंटर, स्कैनर, कैलकुलेटर, फैक्स मशीन, बैटरी सेल, सेल्यूलर फोन, टीवी, आईपोड, चिकित्सा उपकरण, वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर एवं एयर कंडीशनर ई -अपशिष्ट (जब उपयोग के लिए अनुपयुक्त) के उदाहरण हैं।
  • ई-अपशिष्ट में आमतौर पर धातु, प्लास्टिक, कैथोड रे ट्यूब (सीआरटी), प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, केबल  इत्यादि सम्मिलित होते हैं।
  • तरल क्रिस्टल, लिथियम, मरकरी, निकेल, पॉलीक्लोरिनेटेड बाई फिनाइल (पीसीबी), कैडमियम, क्रोम, कोबाल्ट, तांबा एवं सीसा जैसे विषाक्त पदार्थों की उपस्थिति इसे अत्यंत खतरनाक बनाती है।

 

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