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सीलबंद न्याय- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान- सरकार की कार्यपालिका तथा न्यायपालिका, मंत्रालयों एवं विभागों की संरचना, संगठन तथा कार्यकरण।
समाचारों में सीलबंद न्याय
- सरकार अथवा उसकी एजेंसियों द्वारा जमा किए गए ‘सीलबंद कवर’ पर विचार करने से इनकार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने इस अशोभनीय प्रथा से एक उल्लेखनीय और स्वागत योग्य बदलाव किया है।
- हाल ही में, मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन शोषण मामले में, मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना ने आश्चर्य जताया कि एक ‘कार्रवाई की गई’ (एक्शन टेकन) रिपोर्ट भी एक सीलबंद लिफाफे में क्यों होनी चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय का अवलोकन
- एक समाचार चैनल- मीडिया वन के वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया है कि वह चैनल की अपील पर सुनवाई करते हुए ‘सीलबंद कवर न्यायशास्त्र’ के मुद्दे की जांच करेगा।
- अभी के लिए, शीर्ष न्यायालय ने प्रतिसंहरण (रिवोकेशन) आदेश पर रोक लगा दी है एवं चैनल को प्रसारण पुनः प्रारंभ करें की अनुमति प्रदान की है।
सील बंद आवरणों के प्रयोग से संबंधित मुद्दे
- न्यायाधीशों के विवेकाधिकार का विस्तार करता है: न्यायालयों ने प्रायः यह रेखांकित करते हुए तथ्यों पर विचार करने को उचित ठहराया है कि पक्षकारों को खुलासा नहीं किया गया है कि यह उनकी अंतरात्मा को संतुष्ट करने के लिए है।
- कुछ मामलों में, न्यायालयों ने परिणाम निर्धारित करने के लिए ऐसी गुप्त सामग्रियों/ तथ्यों की अनुमति दी है।
- उदाहरण के लिए- केरल उच्च न्यायालय ने मलयालम समाचार चैनल मीडिया वन को दी गई प्रसारण अनुमति को रद्द करने के आदेशों की वैधता को बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश की गई गोपनीय खुफिया जानकारी का अध्ययन किया।
- यह राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर किया गया था।
- विपक्ष के जानने के अधिकार को छीनता है: हाल के वर्षों में, प्रायः सीलबंद लिफाफे की सामग्री को सरकार के विरुद्ध पेश होने वाले वकीलों द्वारा देखे जाने से रोक दिया जाता था, किंतु इसे मात्र न्यायाधीशों द्वारा देखा जाता था।
- इसका तात्पर्य है कि न्यायालय प्रभावित पक्षों को यह जानने का अवसर प्रदान किए बिना कि उनके विरुद्ध क्या हो रहा है, सरकार के पक्ष में निर्णय कर सकती हैं ।
- कानून के व्यापक एवं अस्पष्ट प्रावधानों का दुरुपयोग: सरकार आमतौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा या जारी अन्वेषण की शुद्धता का हवाला देते हुए गुप्त सामग्री को सीधे न्यायालय में समर्पित करने को उचित ठहराती है।
सीलबंद लिफाफों के प्रयोग के अवांछनीय परिणाम
- यह कुछ अपराधों, विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक कथित संकट अथवा मनी लॉन्ड्रिंग एवं भ्रष्टाचार से जुड़े आरोपियों के बचाव के अधिकार से समझौता करता है।
- अघोषित सामग्री का उपयोग प्रायः जमानत देने से इनकार करने के लिए किया जाता है, शीर्ष न्यायालय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के विरुद्ध एक वाद में ऐसा करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय की आलोचना की।
- इसने पाया कि सीलबंद लिफाफे में रखी गई सामग्री के आधार पर निष्कर्ष को अभिलेखित करना उचित नहीं था।
- ‘सील्ड कवर’ प्रथा का मुख्य दोष उस दायरे में निहित है जो राज्य को स्वतंत्रता पर इसके प्रतिबंधों की आवश्यकता एवं आनुपातिकता की गहन जांच से बचने के लिए प्रदान करता है।
निष्कर्ष:
- न्यायनिर्णयन में सहायता के रूप में ‘सीलबंद लिफाफे’ में प्रस्तुत सामग्री का उपयोग एक ऐसी बात है जिसे दृढ़ता से हतोत्साहित एवं निंदा की जाना चाहिए।
- सर्वोच्च न्यायालय को उन परिस्थितियों का निर्धारण एवं परिसीमन करना चाहिए जिनमें गोपनीय सरकारी रिपोर्टें, विशेष रूप से दूसरे पक्ष द्वारा रोकी गई, न्यायालयों द्वारा न्यायनिर्णयन में उपयोग की जा सकती हैं।