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भारत- ब्रिटेन संबंध- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
समाचारों में भारत-ब्रिटेन संबंध
- हाल ही में, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने 2021 के प्रारंभ में कोविड-19 महामारी के कारण अंतिम समय पर दो बार रद्द होने के बाद, नई दिल्ली, भारत का दौरा किया।
- ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिटेन व्यापार, रक्षा, जलवायु परिवर्तन से निपटने एवं साइबर सुरक्षा पर भारत के साथ अधिक सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की यात्रा के प्रमुख परिणाम
- व्यापार पर फसल पूर्व समझौता: यद्यपि इसे इस अप्रैल तक संपन्न किया जाना था, किंतु दोनों नेता अक्टूबर के अंत या दीपावली तक पूर्ण एफटीए पूरा करने पर सहमत हुए।
- यह 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने की दृष्टि से किया गया है।
- जॉनसन आशावादी प्रतीत हो रहे थे, भारत ने संयुक्त अरब अमीरात एवं ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने एफटीए को तीव्र गति से ट्रैक किया।
- स्कॉच व्हिस्की पर भारतीय प्रशुल्क समाप्त करना: ब्रिटेन की यह चिंता कुछ हद तक आगे बढ़ सकती है, क्योंकि भारत ने ऑस्ट्रेलियाई शराब पर कम प्रशुल्क स्वीकार कर लिया है।
- पेशेवर वीजा: भारतीय पेशेवरों के लिए वीजा जारी करने में वृद्धि करने में ब्रिटेन अधिक लोचशील प्रतीत होता है।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग: दोनों प्रधानमंत्रियों ने रक्षा संबंधों को सुदृढ़ करने एवं हिंद-प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) में रणनीतिक रूप से सहयोग करने पर चर्चा की।
- जलवायु परिवर्तन पर सहयोग: भारत-यूके ने हरित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वित्त पर भी चर्चा की।
- यद्यपि, भारत ने अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के लिए लिखित रूप में प्रतिबद्ध नहीं किया है, जिसका वर्णन श्री मोदी ने ग्लासगो में कॉप 26 में किया था।
- रूस-यूक्रेन युद्ध पर: ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने दो सप्ताह पूर्व अपनी विदेश मंत्री की यात्रा के विपरीत, भारत की स्थिति की समझ व्यक्त करते हुए रूस के साथ भारत के लंबे समय से चले आ रहे संबंधों का उल्लेख किया।
- चरमपंथ का मुकाबला: भारत एवं ब्रिटेन के अंदर “अतिवाद” का अध्ययन करने के लिए एक उप-समूह की स्थापना की जानी है, जिसे श्री जॉनसन ने सुझाव दिया था कि खालिस्तानी समूहों की निगरानी के लिए इसका इस्तेमाल किया जाएगा।
- इसके पास “हिंसक उग्रवाद एवं आतंकवाद को उकसाने की कोशिश करने वाले” सभी समूहों एवं व्यक्तियों का मुकाबला करने के लिए एक व्यापक अधिदेश भी प्राप्त है।
भारत-ब्रिटेन संबंध- आगे की राह
- जबकि रिश्ते में साइड-स्टेपिंग अड़चनें समझौतों की संभावनाओं में वृद्धि कर सकती हैं, यह वास्तविक कार्य तथा कठिन परिश्रम को वर्षों की गतिहीनता के पश्चात संबंधों को कुछ गति प्रदान करने हेतु आवश्यक रूप से परिवर्तित नहीं कर सकती है।
- नई दिल्ली एवं लंदन दोनों को निकट भविष्य में उन समझौतों को अंतिम रूप प्रदान करने के लिए और अधिक ठोस प्रयास सुनिश्चित करने चाहिए, ताकि “रोडमैप 2030” के तहत अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए 2021 में अंतिम शिखर सम्मेलन में सहमति व्यक्त की जा सके।