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संपादकीय विश्लेषण: प्लास्टिक अपशिष्ट से निपटने की योजना में खामियां

प्रारूप ईपीआर दिशा निर्देश: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

प्रारूप ईपीआर दिशा निर्देश: प्रसंग

 

प्रारूप ईपीआर दिशा निर्देश: विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (ईपीआर) क्या है?

  • विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (ईपीआर) एक महत्वपूर्ण नीति उपकरण है जो निर्माताओं को उनके प्लास्टिक उत्पादों एवं पैकेजिंग के जीवन काल की समाप्ति के प्रभावों के प्रति उत्तरदायी बनाता है।
  • यह व्यापार क्षेत्र में समग्र पर्यावरण-अभिकल्पना को प्रोत्साहित करने हेतु एक तंत्र है।
  • उदाहरण के लिए: एक एफएमसीजी कंपनी न केवल चिप्स के एक पैकेट को बनाने, पैक करने एवं वितरित करने की लागत के लिए जिम्मेदार है, बल्कि पैकेट के संग्रहण एवं पुनर्चक्रण / पुनः: उपयोग के लिए भी जिम्मेदार है।

 

ईपीआर दिशा निर्देश भारत: आलोचना

  • अनौपचारिक क्षेत्र की अवहेलना: प्रारूप दिशा-निर्देशों का उल्लेख न करके अपशिष्ट संग्रहकर्ताओं की साख गिराता है
  • बेरोजगारी में वृद्धि: प्रारूप दिशा निर्देश उत्पादकों को एक निजी, समानांतर प्लास्टिक अपशिष्ट संग्रहण एवं पुनर्चक्रण श्रृंखला स्थापित करने का निर्देश देते हैं। यह अपशिष्ट संग्रह करने वालों (कचरा बीनने वालों) को उनकी आजीविका के साधन से बेदखल कर देगा।
  • ईपीआर का सीमित दायरा: प्रारूप दिशा-निर्देशों के दायरे से सैनिटरी पैड, चप्पल एवं पॉलिएस्टर जैसे अनेक बहु-सामग्री प्लास्टिक वस्तुओं को छोड़ दिया गया है।
    • बहु-स्तरित एवं बहु-द्रव्यात्मक प्लास्टिक प्रचुर मात्रा में प्लास्टिक अपशिष्ट का निर्माण करते हैं। ये कम वजन एवं आकार में बड़े होते हैं, जिससे इन्हें संभालना एवं परिवहन करना महंगा हो जाता है।
    • चूंकि वे मुख्य रूप से खाद्य पैकेजिंग में उपयोग किए जाते हैं, वे प्रायः कृन्तकों को आकर्षित करते हैं, जिससे भंडारण समस्याग्रस्त हो जाता है। यहां तक ​​कि यदि इस प्लास्टिक को एकत्र किया जाता है, तो पुनर्चक्रण तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है क्योंकि यह विषमांगी सामग्री है।
    • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों ने इन प्लास्टिकों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना अधिदेशित कर दिया है। यद्यपि, 2018 में इस अधिदेश को प्रतिलोमित कर दिया गया था।
  • अधारणीय प्रसंस्करण: अपशिष्ट-से-ऊर्जा, सह-प्रसंस्करण एवं भस्मीकरण जैसी प्रक्रियाएं, कणिकीय पदार्थ (पार्टिकुलेट मैटर), अन्य हानिकारक रसायनों के साथ कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त करती हैं। इनका जलवायु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है एवं स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव भी हैं।
  • इसके अतिरिक्त, रासायनिक पुनर्चक्रण एवं तापीय अपघटन (पायरोलिसिस) जैसी प्रौद्योगिकियां पूंजी-गहन हैं, कम लाभ देती हैं एवं निरंतर विकार तथा तकनीकी समस्याओं के दौर से गुजर रही हैं।

प्रारूप ईपीआर दिशा निर्देश: सिफारिशें

  • पीपल/लोग: ईपीआर फंड को अनौपचारिक क्षेत्र के संचालकों के मानचित्रण एवं पंजीकरण, उनकी क्षमता निर्माण, आधारिक अवसंरचना के उन्नयन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को प्रोत्साहन एवं क्लोज्ड लूप फीडबैक तथा निगरानी तंत्र निर्मित करने हेतु परिनियोजित किया जा सकता है।
  • प्लास्टिक: सभी पुनर्चक्रण योग्य प्लास्टिक को पुनर्चक्रित करने के लिए, सरकार पर्याप्त भौतिक स्थानों, आधारिक संरचना इत्यादि में अंतराल को पाटकर अनौपचारिक पुनर्चक्रण श्रृंखला का समर्थन एवं सुदृढ़ीकरण कर सकती है।
    • इन दिशानिर्देशों द्वारा आच्छादित प्लास्टिक के दायरे में परिवर्तन किया जा सकता है ताकि उन प्लास्टिकों को अपवर्जित किया जा सके जो पहले से ही दक्षता पूर्वक पुनर्चक्रित हो चुके हैं एवं अन्य प्लास्टिक तथा बहु-सामग्री वस्तुओं को शामिल कर सकते हैं।
  • प्रोसेसिंग/प्रसंस्करण: और जीवन काल के अंत की प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों का न केवल उनके स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय प्रभावों के आधार पर, बल्कि निम्न-गुणवत्ता एवं बहु-स्तरित प्लास्टिक के निरंतर उत्पादन के प्रभावों का भी ध्यानपूर्वक मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

 

प्रारूप ईपीआर दिशा निर्देश: आगे की राह

  • एक प्रभावी ईपीआर संरचना को वर्तमान मशीनरी के साथ अनुक्रमिक रूप से प्लास्टिक एवं प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दे को हल करना चाहिए, दोहराव को कम करना चाहिए एवं गैर-अनुपालन के लिए दंड सहित निगरानी तंत्र के साथ सकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव उत्पन्न करना चाहिए।
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manish

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