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संपादकीय विश्लेषण- कानून प्रवर्तन के लिए 5जी रोल-आउट के निहितार्थ

कानून प्रवर्तन के लिए 5G रोल-आउट के निहितार्थ- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन III- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी।

कानून प्रवर्तन के लिए 5जी प्रारंभ किए जाने के निहितार्थ

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में घोषणा की कि भारत में 5जी का परिनियोजन उम्मीद से जल्दी प्रारंभ होगा।

 

सुरक्षा सुनिश्चित करना

  • 5जी का प्रारंभ पुलिस को वास्तविक समय में महत्वपूर्ण जानकारी तक पहुंचने एवं अपराधियों को पकड़ने में सहायता करके दक्षता, उत्पादकता एवं सुरक्षा बढ़ाने के लिए तैयार है।
  • 5G में उच्च बैंडविड्थ एवं निम्न प्रसुप्ति काल है, अतः इसे अपनाने से पुलिस उपकरणों जैसे बॉडी कैम, चेहरे की पहचान तकनीक, स्वचालित नंबर-प्लेट पहचान, ड्रोन एवं सीसीटीवी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन सुनिश्चित होगा।
  • 5G स्पष्ट छवियों को प्रसारित करने का वादा करता है जो पुलिस के कार्य को सरल करेगा, जो वर्तमान में, प्रायः उपकरणों से धुंधली छवियों को देखते हैं एवं मामलों पर काम करते समय उन्हें समझने का प्रयास करते हैं।
  • 5G द्वारा वादा की गई बढ़ी हुई भंडारण क्षमता पुलिस को अपनी जांच विधियों को कारगर बनाने की अनुमति प्रदान करेगी।
  • 5G संगठन के भीतर एवं साथ ही नागरिकों तथा आपातकालीन उत्तरदाताओं के मध्य त्वरित एवं सुरक्षित संचार की अनुमति प्रदान करेगा।
  • 5G के साथ, पुलिस अपराध डेटा एवं ट्रैफिक लाइट जैसे अन्य बुनियादी ढांचे से जानकारी का दूरस्थ रूप से उपयोग एवं विश्लेषण कर सकती है।

 

5G को अपनाने में चुनौतियां

  • सरकार एवं दूरसंचार कंपनियों को सर्वप्रथम यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास 5G द्वारा प्रस्तुत की गई सुविधाओं का पूरा लाभ उठाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध है।
  • अधिकांश पुलिस प्रणालियाँ अप्रचलित हो चुकी (पुरानी) हैं एवं हो सकता है कि 5G के साथ संगत न हों। इस प्रौद्योगिकी अंतराल को पाटने के लिए पुलिस को आधुनिक उपकरणों, सॉफ्टवेयर एवं बुनियादी ढांचे में निवेश करना चाहिए।

 

साइबर सुरक्षा चिंताएं

  • जब हमारे पास एक अस्थिर साइबर सुरक्षा नींव है, तो 5G को परि नियोजित करना नरम रेत पर एक संरचना को खड़ा करने जैसा है।
  • चूंकि 5G एक सॉफ्टवेयर-परिभाषित डिजिटल अनुपथन है, जो इसे साइबर खतरों जैसे बॉटनेट हमलों, मैन-इन-द-मिडल हमलों एवं डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस (DDoS) ओवरलोड के प्रति अतिसंवेदनशील बनाता है।
  • इसके अतिरिक्त, चूंकि 5G में आद्यांत कूट लेखन (एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन) का अभाव है, हैकर्स अपने हमलों की अधिक सटीक साजिश रच सकते हैं एवं सिस्टम में हैकिंग या अवैध सामग्री का प्रसार करके साइबर अपराध को अंजाम दे सकते हैं।
  • 5G के कारण बैंडविड्थ विस्तार अपराधियों को सरलता से एवं समय के साथ डेटाबेस का प्रसार करने में सक्षम करेगा, क्योंकि 5G अतिरिक्त उपकरणों से जुड़ता है, जिससे हमलों की आवृत्ति बढ़ सकती है।
  • 5G अपराधियों के लिए साइबर बुलिंग को सरल बना सकता है। कई आपराधिक समूहों के बीच रीयल-टाइम संचार क्षमताओं के कारण आपराधिक समूह सरलता से डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस (DDoS) हमलों का समन्वय करने में सक्षम हो सकते हैं। वे इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) उपकरणों को भी हैक कर सकते हैं एवं सुदूर स्थानों से भी अपराध कारित कर सकते हैं। सभी इंटरनेट ऑफ थिंग्स उपकरणों की सुरक्षा पैचिंग अंततः आवश्यक हो सकती है।
  • 5G से आतंकवादी भी लाभान्वित हो सकते हैं क्योंकि इंटरनेट की उच्च गति उन्हें अधिक तेज़ी से एवं सटीक रूप से हमलों को अंजाम देने की अनुमति देती है।
  • 5G के साथ, आतंकवादी शारीरिक रूप से यात्रा किए बिना या टेलीफोन का उपयोग किए बिना हमलों की योजना बना सकते हैं, जो विधि प्रवर्तन एजेंसियों के लिए कार्रवाई करने के लिए एक निशान छोड़ सकता है।

 

क्या किया जा सकता है?

  • अधिकारियों को 5जी तकनीक द्वारा सुगम अपराधों को रोकने के उपाय अपनाने होंगे।
  • पहला, पुलिस को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होगी ताकि वे 5G-सक्षम नवीन प्रकार के अपराधों को पहचान सकें।
  • दूसरा, ऐसे अपराधों पर ध्यान केंद्रित करने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित किए जाने चाहिए। इसमें नए प्रकार के अपराधों एवं उनकी रोकथाम के लिए संभावित परिदृश्यों की पहचान करना सम्मिलित है।
  • तीसरा, सरकार एवं दूरसंचार कंपनियां नए अपराधों की निगरानी एवं पहचान करने तथा जवाबी उपायों को विकसित करने के लिए 5जी अपराध निगरानी कार्य बल गठित करने के बारे में सोच सकती हैं।
  • चौथा, ऐसे नियम बनाना अनिवार्य है जो लोगों के लिए अपराध कारित करने के लिए 5G तकनीक का उपयोग करना अपराध बना दें। इस तरह के विनियमन से अपराधियों को चोरी के अथवा नकली  उपकरणों का उपयोग करने से रोकने में सहायता प्राप्त हो सकती है क्योंकि दूरसंचार कंपनियां उपकरण के स्थान को ट्रैक करने तथा इसे दूर से बंद करने में सक्षम होंगी।
  • पांचवां, विनियमों में दूरसंचार कंपनियों के लिए भी आवश्यक हो सकता है कि वे पुलिस अधिकारियों को उनके उपकरणों तक पहुंच की अनुमति प्रदान करें ताकि पीड़ितों एवं अपराधियों के स्थान को ट्रैक करने के लिए 5G-सुविधा वाले अपराधों का प्रतिकार किया जा सके। ये उपाय न केवल महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की रक्षा कर सकते हैं बल्कि 5G तकनीक का उपयोग करके निजी नागरिकों को साइबर हमलों से भी बचा सकते हैं।
  • अंत में, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को 5G-सुविधा वाले अपराधों के पीड़ितों की पहचान करने, उनका पता लगाने  एवं ऐसे अपराधों के अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए रणनीति विकसित करनी होगी।

निष्कर्ष

  • 5जी का प्रारंभ (रोल-आउट) कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए गेम-चेंजर सिद्ध होगा। इससे पुलिस को अपराध से प्रभावी ढंग से लड़ने में सहायता प्राप्त होगी। वहीं, 5जी का आपराधिक उपयोग अपरिहार्य है। इस संदर्भ में, भारत के दूरसंचार नियामक प्राधिकरण की हालिया सिफारिश में सरकार को 5G को सर्वोत्तम संभव तरीके से लागू करने के लिए एक राष्ट्रीय रोडमैप विकसित करने हेतु विधि प्रवर्तन आवश्यकताओं को शामिल करना चाहिए।

 

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