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भारत में प्रवासन यूपीएससी: प्रासंगिकता
- केंद्र एवं राज्यों द्वारा आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं।
प्रवासी विधेयक 2021: संदर्भ
- 2021 में, केंद्र सरकार ने एक नया उत्प्रवास विधेयक प्रस्तावित किया है जिसका उद्देश्य उत्प्रवास प्रबंधन को एकीकृत करना तथा उत्प्रवासी श्रमिकों के कल्याण को सुव्यवस्थित करना है।
भारत से उत्प्रवास
- विदेश मंत्रालय के अनुसार, संपूर्ण विश्व में 13.4 मिलियन से अधिक अनिवासी भारतीय (नॉन रेजिडेंट इंडियंस/एनआरआई) हैं।
- कुल अनिवासी भारतीयों में से, 64% खाड़ी सहयोग परिषद (गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल/जीसीसी) देशों में निवास करते हैं।
- प्रवासी भारतीयों के लिए गंतव्य के अन्य महत्वपूर्ण देश यू.एस., यू.के., ऑस्ट्रेलिया एवं कनाडा हैं।
- विश्व बैंक समूह की रिपोर्ट (2021) के अनुसार, भारत को हस्तांतरित वार्षिक प्रेषण 87 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है, जो विश्व में सर्वाधिक है।
- यद्यपि यह गर्व की बात है कि भारतीय मूल के अधिकारी अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भारतीय प्रतिभा के योगदान को चिन्हांकित करने वाली शीर्ष अमेरिकी कंपनियों के सीईओ बनते हैं, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन/ILO) के अनुमानों के अनुसार यह चिंता का विषय है कि जीसीसी देशों में निवास करने वाले लगभग 90% भारतीय प्रवासी अल्प-तथा अर्ध-कुशल श्रमिक हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रेषण का प्रभाव
- सामाजिक आर्थिक विकास: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस) की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रेषण प्राप्त करने वाले शहरी एवं ग्रामीण परिवारों (अंतरराष्ट्रीय तथा घरेलू दोनों) में गैर-प्रेषण प्राप्त करने वाले परिवारों की तुलना में बेहतर वित्तीय क्षमता है।
- एफडीआई की तुलना में निम्न उतार-चढ़ाव: भारत में प्रेषण कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट/एफडीआई) की तुलना में काफी अधिक रहा है एवं एफडीआई की तुलना में प्रेषण का प्रवाह बहुत कम उतार-चढ़ाव वाला है।
- हेजिंग रणनीति: किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए अव्यवस्थित जोखिमों के प्रति श्रम प्रवास एक अच्छी हेजिंग रणनीति है।
- शॉक एब्जॉर्बर: अनेक देशों के लिए, प्रेषण एक आघात के पश्चात घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण समर्थन का रहा है। उदाहरण के लिए, नेपाल में 2015 में आए भूकंप के बाद, विदेशी नेपालियों ने प्रेषण को सकल घरेलू उत्पाद के अनुमानित 30% तक बढ़ा दिया।
संस्तुतियां
- मानव पूंजी को भी वित्तीय पूंजी के समान विविध पोर्टफोलियो में निवेश किया जाना चाहिए। ऐसे श्रमिकों की भर्ती की लागत एवं भारत में प्रेषण वापस भेजने की लागत में कमी आनी चाहिए।
- अनौपचारिक/गैर-दस्तावेज प्रवास को कम करने पता सभी प्रेषणों को औपचारिक रूप प्रदान करने पर उचित ध्यान दिया जा रहा है।
- भारत छोड़ने वाले प्रवासी कामगारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने वाली भर्ती एजेंसियों को भी विनियमित किया जाना चाहिए।
- सरकार द्वारा 2015 में एक एकीकृत शिकायत निवारण पोर्टल, ‘मदद‘ विमोचित किया गया था।
उत्प्रवास विधेयक 2021 के बारे में
- विधेयक में 18 अधिसूचित देशों में प्रवास के लिए आवेदन करने वाले श्रमिकों की इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड (ईसीआर) श्रेणी की प्रणाली को संशोधित करने का प्रस्ताव है।
- ईसीआर श्रेणी में मुख्य रूप से वे व्यक्ति सम्मिलित हैं जिन्होंने 10वीं कक्षा उत्तीर्ण नहीं की है और जो जोखिम भरे अनौपचारिक उत्प्रवास तथा बाद में विदेशों में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
- यह विधेयक सभी श्रेणियों के श्रमिकों के लिए विश्व के किसी भी देश में जाने से पूर्व पंजीकरण कराना अनिवार्य बनाता है ताकि कमजोरियों के मामले में उनके लिए बेहतर सुरक्षा, समर्थन एवं सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- प्रस्तावित उत्प्रवास प्रबंधन प्राधिकरण नीतिगत मार्गदर्शन प्रदान करने वाला प्रमुख प्राधिकरण होगा।
- विधेयक के प्रावधान जैसे सभी प्रवासियों का पंजीकरण, कौशल उन्नयन तथा प्रशिक्षण एवं प्रस्थान पूर्व अभिविन्यास सुरक्षा उपायों को बढ़ाएंगे।
- इस विधेयक में उन छात्रों को भी सम्मिलित किया गया है– जिनकी संख्या लगभग 0.5 मिलियन है- जो प्रत्येक वर्ष भारत से शिक्षा के लिए प्रवास करते हैं।