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भारत-पाकिस्तान के मध्य अनगाइडेड मिसाइल मिसाइल संकट: यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध-भारत और उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध।
समाचारों में भारत-पाकिस्तान के मध्य मिसाइल संकट
- हाल ही में भारत द्वारा पाकिस्तान में मिसाइल की सांयोगिक फायरिंग दोनों देशों के लिए गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकती थी।
- इससे दो परमाणु-सशस्त्र देशों के मध्य तनाव में अनपेक्षित वृद्धि हो सकती थी, किंतु सौभाग्य से, ऐसा नहीं हुआ।
पाकिस्तान पहुंची अनगाइडेड मिसाइल
- भारत का रुख: भारत सरकार ने कहा है कि 9 मार्च को यह घटना नियमित रखरखाव के दौरान तकनीकी खराबी के कारण घटित हुई थी।
- भारत की प्रतिक्रिया: भारत ने एक उच्च स्तरीय अधिकारिक जांच (कोर्ट ऑफ इंक्वायरी) का आदेश दिया है। इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के राजनयिक मिशन के प्रमुख (चार्ज डी’एफ़ेयर) को पाकिस्तान ने अपनी चिंताओं से अवगत कराने के लिए दो बार बुलाया।
- पाकिस्तान का रुख: पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि यह घटना “रणनीतिक हथियारों के भारतीय संचालन में गंभीर प्रकृति की कई खामियों तथा तकनीकी खामियों को इंगित करती है”।
- पाकिस्तान की मांग: पाकिस्तान ने भारत के आदेश पर जांच को अपर्याप्त बताया. इसने संयुक्त जांच की मांग की है।
- इसने “क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता” को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भागीदारी की भी मांग की है।
मिसाइल घटना के संभावित निहितार्थ
- भारत की तकनीकी क्षमता पर प्रश्न चिन्ह: भारत की एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति होने की वैश्विक छवि दशकों के संयमित शब्दों एवं विचारशील कार्रवाई से निर्मित हुई है।
- यह घटना भारत की उस प्रतिष्ठा को उधेड़ती है एवं भारत में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के विश्वास को बहाल करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
- विगत घटनाएं: इस दुर्घटना में फरवरी 2019 की एक अन्य घटना की भी प्रतिध्वनि है।
- बालाकोट हवाई हमले के एक दिन बाद, जब भारत और पाकिस्तान के लड़ाकू विमान नियंत्रण रेखा के समीप हवाई युद्ध में लगे हुए थे, श्रीनगर से उड़ान भरने के कुछ ही समय पश्चात बडगाम में एक एमआई-17वी5 दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें उसके जवान तथा जमीन पर मौजूद एक नागरिक की मृत्यु हो गई थी।
- कोर्ट ऑफ इंक्वायरी ने पुष्टि की कि इसे भारतीय वायुसेना के सतह से हवा में मार करने वाली इजरायली मूल के स्पाइडर मिसाइल प्रणाली द्वारा शूट किया गया था।
निष्कर्ष
- भारत को परमाणु तथा अन्य सैन्य परिसंपत्तियों को संभालने की अपनी क्षमता के बारे में किसी भी संदेह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़नी चाहिए। उस उद्देश्य को पाकिस्तान के साथ संयुक्त जांच या किसी अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के बिना प्राप्त किया जा सकता है, ]किंतु फिर भी इस उद्देश्य को अवश्य प्राप्त किया जाना चाहिए।