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बढ़ती असमानता: प्रासंगिकता
- जीएस 1: भारतीय समाज की प्रमुख विशेषताएं, भारत की विविधता।
बढ़ती असमानता: प्रसंग
- कोविड-19 महामारी ने समृद्धि एवं निर्धन के मध्य के वास्तविक किंतु अप्रिय अंतराल को प्रकट कर दिया है। हमारे देश में असमानता को निम्नलिखित तथ्यों से देखा जा सकता है।
- वैश्विक जनसंख्या के शीर्ष 10% कुल आय का 52% हिस्सा साझा करते हैं, जबकि अंतिम का आधा हिस्सा मात्र 5% के साथ गुजारा करता है।
- धन के मामले में, वैश्विक जनसंख्या का शीर्ष 10% कुल संपत्ति के 76% हिस्से का स्वामित्व रखता है, जबकि अंतिम का 50% मात्र 2% साझा करता है।
दुनिया भर में असमानता
- यूरोप में शीर्ष 10% आय का 36% का हिस्सा साझा करते हैं, जबकि पश्चिम एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका में शीर्ष 10% कुल आय का 58% हिस्सा साझा करते हैं। इसका अर्थ है कि यूरोप में असमानता मध्यम एवं अफ्रीका में तीव्र है।
- एक सिद्धांत है कि राष्ट्रीय आय में वृद्धि के साथ असमानता में भी वृद्धि होती है। यद्यपि, यह सिद्धांत अनेक मामलों में सत्य नहीं है।
- उदाहरण के लिए, अमेरिका जैसे उच्च आय वाले देशों में स्वीडन, जहां असमानता का स्तर मध्यम है, जैसे देशों की तुलना में असमानता का उच्च स्तर है।
- इसी तरह के विरोधाभास तब भी देखने को मिलते हैं जब हम ब्राजील, भारत एवं चीन जैसे मध्यम आय वाले देशों की तुलना मलेशिया एवं उरुग्वे से करते हैं।
- अतः, यह कहा जा सकता है कि दुनिया भर में असमानताएं औसत आय में वृद्धि के कारण कम व्याप्त हैं एवं खराब पुनर्वितरण नीतियों के कारण अधिक व्याप्त हैं।
बढ़ती असमानताओं का क्या अर्थ है
- धन का संकेन्द्रण एवं बढ़ती असमानता राष्ट्रों को धनी बना रही है किंतु सरकार को निर्धन बना रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि संसाधन सीमित हैं जो धीरे-धीरे निजी हाथों में जा रहे हैं।
- परिदृश्य निस्संदेह पुनर्वितरण उपायों की अप्रभाविता एवं संचय को हतोत्साहित करने वाले उपायों की पूर्ण अनुपस्थिति का परिणाम है।
- असमानता की इस व्याख्या की कुछ अतिरिक्त विशेषताएं आय में महिलाओं के हिस्से के असंतुलन से भी संबंधित हैं।
- यह विभेदक कार्बन उत्सर्जन स्तरों द्वारा इंगित पारिस्थितिक असमानताओं को भी दर्शाता है।