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द हिंदू संपादकीय विश्लेषण- ऑफ-बजट बॉरोइंग, ए स्टेट-वार लुक

द हिंदू संपादकीय विश्लेषण: यूपीएससी एवं अन्य राज्यों की पीएससी परीक्षाओं के लिए प्रासंगिक विभिन्न अवधारणाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से द हिंदू समाचार पत्रों के संपादकीय लेखों का संपादकीय विश्लेषण। संपादकीय विश्लेषण ज्ञान के आधार का विस्तार करने के साथ-साथ मुख्य परीक्षा के  बेहतर गुणवत्ता वाले उत्तरों को तैयार करने में सहायता करता है। आज का हिंदू संपादकीय विश्लेषण भारत में राज्यों की ऑफ-बजट उधारी की जांच पड़ताल करता है।

 

ऑफ-बजट उधार चर्चा में क्यों है?

एक सप्ताह पूर्व बजट प्रस्तुत करते हुए तेलंगाना के वित्त मंत्री टी. हरीश राव ने केंद्र पर राज्य के विकास में “बाधाओं के बाद बाधाएं उत्पन्न करने” का आरोप लगाया था।

  • उन्होंने कहा कि राज्य ने कम से कम समय में सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए ऑफ-बजट उधारी का आश्रय लिया था, किंतु केंद्र ने उधार की सीमा तय कर दी थी।
  • उधार सीमा में इस कटौती को भारतीय संविधान में “संघवाद की भावना” के विरुद्ध माना गया था।

 

ऑफ-बजट उधार क्या है?

ऑफ-बजट उधार सरकारी संस्थाओं द्वारा प्राप्त ऋण हैं, जैसे कि पीएसयू या विशेष प्रयोजन वाहन, सरकार की ओर से अपने व्यय को वित्त करने हेतु।

  • भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अनुसार, राज्य सरकारों के ऋण एवं राजकोषीय घाटे की गणना करते समय इन उधारों को शामिल नहीं किया जाता है।
  • हालांकि, राज्य सरकार अपने बजट से ऋण चुकाने एवं कर्ज चुकाने के लिए उत्तरदायि है।
  • चूंकि अतिरिक्त-बजटीय उधारी का बजट दस्तावेजों में कोई उल्लेख प्राप्त नहीं होता है, अतः किसी को भी आंकड़ों का पता लगाने के लिए  नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल/कैग) की रिपोर्ट पर निर्भर रहना पड़ता है।

 

राज्यों द्वारा ऑफ-बजट उधारी की स्थिति

पांच दक्षिणी राज्यों – तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु एवं कर्नाटक – का विश्लेषण ग्यारह प्रमुख राज्यों की कुल ऑफ-बजट देनदारियों का 2.34 लाख करोड़, लगभग 93% है।

  • मार्च 2021 तक, आंध्र प्रदेश के बाद तेलंगाना में इस तरह के ऋणों का सर्वाधिक बोझ था।
  • आंध्र प्रदेश पर 86,260 करोड़ रुपये की ऑफ-बजट उधारी थी। राज्य के नागरिक आपूर्ति निगम ने 35% उधार लिया, जबकि  आंध्र प्रदेश ऊर्जा वित्त निगम (आंध्र प्रदेश पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन) की हिस्सेदारी 18% थी।
  • इसके अतिरिक्त, बैंकों से ऋण या उधार लेने के लिए राज्यों द्वारा पीएसयू एवं एसपीवी को दी गई  प्रत्याभूतियों अथवा गारंटियों में भी वृद्धि की प्रवृत्ति देखी जा रही है।
  • राज्य के वित्त का मूल्यांकन करने वाले भारतीय रिजर्व बैंक के शोध पत्र के आंकड़ों के अनुसार, जीएसडीपी के एक भाग के रूप में राज्यों द्वारा जारी की गई प्रत्याभूति पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों में बढ़ती प्रवृत्ति पर रही है।

 

बजट से इतर उधारी का प्रभाव

कैग का तर्क है कि अतिरिक्त बजटीय संसाधनों का आश्रय लेने से वे कर्ज के जाल में फंस जाएंगे। लगभग सभी राज्यों में, यदि ऑफ-बजट ऋणों को उनके घोषित ऋण में जोड़ दिया जाता है, तो यह उनके ऋण-जीएसडीपी अनुपात को राज्य के लक्ष्यों से और भी दूर ले जा सकता है।

  • कर्नाटक को छोड़कर, ऋण-जीएसडीपी अनुपात पूर्व में ही सभी राज्यों में लक्ष्य से अधिक हो गया है।
  • यदि ऑफ-बजट ऋणों को भी शामिल किया गया, तो इसने राज्यों के ऋण-से-जीएसडीपी अनुपात को और बढ़ा दिया।
  • उदाहरण के लिए, आंध्र प्रदेश में बकाया देनदारियां जीएसडीपी का 35.3% थीं, जो राज्य के 35% के लक्ष्य से थोड़ा अधिक था। किंतु यदि बजट से इतर उधारी को सम्मिलित किया जाए, तो राज्य का जीएसडीपी -से-ऋण अनुपात 44% तक बढ़ गया।
  • कर्नाटक पूर्व से ही अन्य के विपरीत अपनी ऋण गणना में बजट-बजट उधारी का हिसाब रखता है।

 

बजट से इतर उधार  के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. ऑफ-बजट उधारी क्या है?

उत्तर.ऑफ-बजट उधार सरकारी संस्थाओं द्वारा प्राप्त ऋण हैं, जैसे कि पीएसयू या विशेष प्रयोजन वाहन, सरकार की ओर से अपने व्यय को वित्त करने के लिए।

प्र. बजट से इतर उधारी का राज्य के वित्त पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर. कैग का तर्क है कि अतिरिक्त बजटीय संसाधनों का सहारा लेने से वे कर्ज के जाल में फंस जाएंगे।  लगभग सभी राज्यों में, यदि ऑफ-बजट ऋणों को उनके घोषित ऋण में जोड़ दिया जाता है, तो यह उनके ऋण-जीएसडीपी अनुपात को राज्य के लक्ष्यों से और भी दूर ले जा सकता है।

प्र. किस राज्य ने हाल ही में अपनी ऋण गणना में बजट से इतर उधारी को सम्मिलित किया है?

उत्तर. अन्य के विपरीत, कर्नाटक अपनी ऋण गणना में बजट से इतर उधारी का हिसाब रखता है।

 

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FAQs

What is Off-budget borrowings?

Off-Budget borrowings are loans obtained by government entities, such as PSUs or special purpose vehicles, on behalf of the government to finance its expenditure.

What is the impact of Off-budget borrowings on state finances?

The CAG’s contention is that resorting to extra-budgetary resources will lead them to a debt trap. In almost all States, if the off-Budget loans were added to their declared debt, it can take their debt-to-GSDP ratio even further away from State targets.

Which state has recently included its off-budget borrowings in in its debt calculation?

Karnataka accounts its off-Budget borrowing in its debt calculation, unlike the others.