Home   »   National Logistics Policy 2022   »   India's Logistics Sector

द आइडियल ट्रैक टू रन इंडियाज लॉजिस्टिक्स सिस्टम, द हिंदू संपादकीय विश्लेषण

द हिंदू संपादकीय विश्लेषण: यूपीएससी एवं अन्य राज्य पीएससी परीक्षाओं के लिए प्रासंगिक विभिन्न अवधारणाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से द हिंदू अखबारों के संपादकीय लेखों का संपादकीय विश्लेषण। संपादकीय विश्लेषण ज्ञान के आधार का विस्तार करने के साथ-साथ मुख्य परीक्षा के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले उत्तरों को तैयार करने में सहायता करता है। आज का हिंदू संपादकीय विश्लेषण दक्ष एवं त्वरित आर्थिक वृद्धि तथा विकास के लिए अग्रणी भारत की रसद प्रणाली को संचालित करने हेतु आदर्श ट्रैक के बारे में चर्चा करता है।

भारत की रसद प्रणाली चर्चा में क्यों है

हाल ही में जारी केंद्रीय बजट 2023 में पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय महायोजना (मास्टर प्लान) को राज्यों के लिए 5,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपए कर दिया गया है। केंद्रीय बजट 2023 में भारतीय रेलवे के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय की घोषणा की गई है।

भारतीय रेलवे एवं पीएम गति शक्ति योजना

पीएम गति शक्ति योजना सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों, बंदरगाहों, जन परिवहन, जलमार्गों एवं रसद आधारिक अवसंरचना के इंजनों पर निर्भर आर्थिक विकास तथा सतत विकास के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है।

  • रेलवे अपने अखिल भारतीय नेटवर्क को देखते हुए रसद संचलन का एक दक्ष एवं आर्थिक माध्यम प्रदान करता है तथा एक समन्वित एवं एकीकृत रसद प्रणाली को सक्षम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • पीएम गति शक्ति का 2030 तक माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी 27% से बढ़ाकर 45% करने और माल ढुलाई को 1.2 बिलियन टन से बढ़ाकर 3.3 बिलियन टन करने का लक्ष्य है।
  • इसके साथ, पीएम गति शक्ति उन ढांचागत चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक उचित मंच प्रदान करता है, जिन्होंने रेल द्वारा माल के आवागमन को बाधित किया है।

सड़क परिवहन का विषम हिस्सा

वर्तमान में, भारत में माल ढुलाई के संदर्भ में प्रायिकता मिश्रण सड़क परिवहन के पक्ष में अत्यधिक विषम है, जिसमें सड़क मार्ग से माल ढुलाई का 65% हिस्सा है।

  • प्रभाव सड़कों पर बढ़ा हुआ बोझ है, एवं इसलिए, अत्यधिक भीड़ भाड़, प्रदूषण में वृद्धि एवं परिणामी रसद लागत में वृद्धि।
  • परिवहन के विभिन्न रूपों की तुलनीय लागतों पर एक दृष्टि डालने से पता चलता है कि सड़क क्षेत्र में माल ढुलाई लागत सर्वाधिक- रेल लागत का लगभग दोगुना है ।
  • हालाँकि, सड़क परिवहन की सुविधा ने लागत पर वरीयता प्राप्त कर ली है एवं भारत में रेलवे अन्य अधिक  लोचशील तरीकों से माल ढुलाई का हिस्सा खो रहा है।
  • 2020-21 में, कोयले ने 1.2 बिलियन टन के कुल माल ढुलाई का 44% हिस्सा गठित किया, इसके बाद लौह अयस्क (13%), सीमेंट (10%), खाद्यान्न (5%), उर्वरक (4%), लोह एवं इस्पात (4%), इत्यादि।
  • गैर-थोक वस्तुओं के परिवहन का रेल माल ढुलाई में बहुत कम हिस्सा है।

कंटेनर यातायात में वृद्धि

भारत में, कंटेनरों में गैर-थोक वस्तुओं को ले जाने की सुविधा के कारण विगत एक दशक में कंटेनरीकृत यातायात में वृद्धि हुई है, जो 2008 में 7.6 मिलियन 20 फुट समतुल्य इकाई (ट्वेंटी-फुट इक्विवेलेंट यूनिट/TEU) से बढ़कर 2020 में 16.2 मिलियन TEU हो गई है। TEU कार्गो क्षमता की एक इकाई है।

  • विश्व स्तर पर, रेलवे प्रणाली त्वरित एवं अल्प लागत वाले कंटेनर आवागमन हेतु उन्नत रेल अवसंरचना में भारी निवेश कर रहे हैं।
  • उदाहरण के लिए, चीन कंटेनरों को ले जाने के लिए विशेष ट्रेनों का उपयोग करता है जो महत्वपूर्ण बंदरगाहों को अंतर्देशीय से जोड़ता है एवं अधिक दक्षता के लिए कंटेनर यातायात तथा नियोजित डबल डेकर कंटेनर कैरिज को स्थानांतरित करने के लिए समर्पित रेल लाइनें हैं।

भारतीय रेल के समक्ष अन्य चुनौतियाँ

राष्ट्रीय परिवाहक (नेशनल ट्रांसपोर्टर) को कई अवसंरचनात्मक, परिचालन एवं कनेक्टिविटी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप माल यातायात सड़कों पर स्थानांतरित हो जाता है।

  • रेल एवं आवागमन-पूर्व एवं आवागमन- पश्चात प्रक्रियात्मक विलंब जैसे वैगन प्लेसमेंट, लोडिंग एवं अनलोडिंग संचालन, मल्टी-मोडल हैंडलिंग, इत्यादि द्वारा बढ़ा हुआ पारगमन समय, रेल द्वारा माल ढुलाई में बाधा डालता है।
  • आवश्यक टर्मिनल अवसंरचना की कमी, अच्छे शेड एवं गोदामों का रखरखाव तथा वैगनों की अनिश्चित आपूर्ति कुछ ऐसी बुनियादी ढांचागत चुनौतियाँ हैं जिनका ग्राहकों को सामना करना पड़ता है।
  • इसके परिणामस्वरूप उच्च नेटवर्क संकुलन, निम्न सेवा स्तर एवं बढ़ा हुआ पारगमन समय होता है।
  • रेल द्वारा एकीकृत आरंभिक बिंदु से अंतिम बिंदु तक संपर्क (फर्स्ट एवं लास्ट-माइल कनेक्टिविटी) के अभाव में विविध प्रबंधन के कारण नुकसान की संभावना बढ़ जाती है एवं इन्वेंट्री होल्डिंग लागत भी बढ़ जाती है।

आगे की राह

भारत की रसद प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए कार्गो आवागमन हेतु एक माध्यम के रूप में रेलवे को अपनाना महत्वपूर्ण है।

  • भारत के पूर्वी एवं पश्चिमी गलियारों  तथा बहुविध रसद (मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स) पार्कों के साथ आने वाले डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर अति व्यस्त (ओवर सैचुरेटेड) लाइन क्षमता बाधाओं को कम करेंगे एवं ट्रेनों के समय में सुधार करेंगे।
  • निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में इंटर मॉडल लॉजिस्टिक्स के प्रबंधन हेतु रेलवे के तहत एक विशेष इकाई की स्थापना से रेलवे के समक्ष उपस्थित होने वाले पहले एवं आखिरी मील के मुद्दे को दूर करने में सहायता मिलेगी।
    • कंपनी कार्गो आवागमन तथा भुगतान लेनदेन के लिए ग्राहकों  हेतु एकल खिड़की के रूप में कार्य कर सकती है।
  • प्रत्येक यात्री ट्रेन में दो माल डिब्बे होते हैं। उद्योग जगत की सिफारिशों के आधार पर, दो कार्गो वैगनों में से एक के लिए उबर जैसा मॉडल पेश करना, जिसमें ग्राहक ऑनलाइन एप्लिकेशन का उपयोग करके वैगन बुक कर सकता है, इन वैगनों की उपयोगिता दर बढ़ाने में सहायता कर सकता है।
    • जब तक प्रस्तावित मॉडल की सफलता स्थापित नहीं हो जाती, तब तक भारतीय रेलवे अन्य वैगनों का संचालन जारी रख सकता है, जिस तरह से यह वर्तमान में किया जाता है।
    • यह आधारिक अवसंरचना में किसी अतिरिक्त निवेश के बिना सीधे माल ढुलाई बढ़ा सकता है।
  • सड़कों के साथ रेल आवागमन को प्रतिस्पर्धी बनाने एवं नेपाल तथा बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों को रेल द्वारा निर्यात की सुविधा के लिए प्रथम एवं अंतिम बिंदु संपर्क के साथ एक एकीकृत रसद अवसंरचना आवश्यक है।

निष्कर्ष

भारतीय रेलवे को आधारिक अवसंरचना (बुनियादी ढांचे) में सुधार करने की आवश्यकता है जो पर्याप्त नीतिगत साधनों द्वारा समर्थित है एवं संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने के लिए टर्मिनलों, कंटेनरों तथा गोदामों के संचालन एवं प्रबंधन में निजी भागीदारी को भी प्रोत्साहित करता है।

 

भारतीय रेलवे एवं पीएम गति शक्ति योजना के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न. भारत में कुल माल ढुलाई में सड़क क्षेत्र का हिस्सा कितना है?

उत्तर. भारत में माल ढुलाई के मामले में मोडल मिश्रण सड़क परिवहन के पक्ष में अत्यधिक विषम है, जिसमें सड़क मार्ग से 65% माल ढुलाई होती है।

 

प्रश्न. केंद्रीय बजट 2023-24 में भारतीय रेलवे की हिस्सेदारी कितनी है?

उत्तर. केंद्रीय बजट 2023 में भारतीय रेलवे के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय की घोषणा की गई है।

 

Sharing is caring!

द आइडियल ट्रैक टू रन इंडियाज लॉजिस्टिक्स सिस्टम, द हिंदू संपादकीय विश्लेषण_3.1

FAQs

What is the share of Road sector in total freight movement in India?

The modal mix in terms of freight movement in India is highly skewed in favour of road transport, with 65% of freight movement by road.

What is the share of Indian Railways in the Union Budget 2023-24?

The Union Budget 2023 has announced an outlay of ₹2.4 lakh crore for the Indian Railways.