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सूचना का अधिकार अधिनियम
- सूचना का अधिकार अधिनियम, जिसे मात्र आरटीआई के रूप में भी जाना जाता है, एक क्रांतिकारी अधिनियम है जिसका उद्देश्य भारत में सरकारी संस्थानों में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में भ्रष्टाचार-विरोधी कार्यकर्ताओं के निरंतर प्रयासों के बाद अस्तित्व में आया।
- भ्रष्टाचार एवं घोटालों, अंतरराष्ट्रीय दबाव तथा सक्रियता, आधुनिकीकरण एवं सूचना समाज जैसे कारक 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम के अधिनियमन हेतु उत्तरदायी थे।
- महत्वपूर्ण तिथियां:
- विधान का अधिनियमन: 15 जून 2005 को भारत की संसद के विधान द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम निर्मित किया गया है।
- प्रवर्तित हुआ: 12 अक्टूबर 2005 को, एवं तब से इसे करोड़ों भारतीय नागरिकों को सूचना उपलब्ध कराने हेतु लागू किया गया है।
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सूचना का अधिकार अधिनियम- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा 1948 को अंगीकृत करना: इसने सभी को किसी भी मीडिया के माध्यम से एवं सीमाओं की परवाह किए बिना सूचनाओं एवं अभिप्रायों की मांग करने, प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया। इसने भारत में सूचना के अधिकार की मांग को और अधिक प्रामाणिकता प्रदान की।
- नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदा 1966: इसमें कहा गया है कि सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सभी प्रकार की सूचनाओं एवं अभिप्रायों को प्राप्त करने एवं प्रकट करने की स्वतंत्रता का अधिकार होगा।
- राज नारायण बनाम उत्तर प्रदेश राज्य वाद: सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि संविधान के अनुच्छेद 19 के अंतर्गत सूचना के अधिकार को मौलिक अधिकार माना जाएगा।
सूचना का अधिकार अधिनियम-मुख्य उद्देश्य
- सूचना का अधिकार अधिनियम का उद्देश्य एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करना है जहां नागरिकों एवं सरकार दोनों के मध्य दो-तरफा संचार स्थापित हो।
- नागरिकों को सरकार के कामकाज के बारे में पता रहे एवं वह अपने कर राजस्व को किस प्रकार व्यय कर रही है एवं अंततः उन नीतियों के निर्माण में भाग लें जो अधिक प्रासंगिक हैं तथा नागरिकों की आवश्यकताओं के अनुरूप हो।
- इसका उद्देश्य देश में सुशासन के प्रमुख तत्वों – एक मुक्त, पारदर्शी एवं प्रभावी सरकार का निर्माण करना है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं-
- नागरिकों को सरकार से प्रश्न करने हेतु सशक्त बनाना।
- सरकार के कामकाज में पारदर्शिता एवं जवाबदेही को बढ़ावा देना।
- सरकार में भ्रष्टाचार को रोकने में सहायता करना तथा लोगों के लिए बेहतर रूप से कार्य करना।
- नागरिकों के बेहतर संसूचित (अवगत) होने को सुनिश्चित करना जो सरकारी तंत्र के कामकाज के बारे में आवश्यक निगरानी रखेंगे।
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