Home   »   How to prepare for UPSC CSE...   »   व्यापार एवं विकास रिपोर्ट 2021

व्यापार एवं विकास रिपोर्ट 2021

प्रासंगिकता

  • जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।

 

प्रसंग

  • हाल ही में, अंकटाड (संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन) ने,व्यापार और विकास रिपोर्ट’ 2021 नामक एक नई रिपोर्ट जारी की है।

UPSC Current Affairs

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी हेतु निशुल्क वीडियो प्राप्त कीजिए एवं आईएएस/ आईपीएस/ आईआरएस बनने के अपने सपने को साकार कीजिए

 

मुख्य बिंदु

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक विकास दर 5.3% तक पहुंच जाएगी, जो लगभग पांच दशकों में इसकी सर्वाधिक तीव्र दर है।
  • 2022 में, अंकटाड ने वैश्विक विकास दर 3.6% तक मंद होने की संभावना व्यक्त की है, जिससे वैश्विक आय अभी भी 3.7% नीचे रह जाएगी, जहां इसकी महामारी- पूर्व उपनति ने इसे उपस्थापित किया होगा।
  • रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में प्रारंभ हुए उग्र सुधारवादी नीतिगत हस्तक्षेपों की निरंतरता एवं विकसित अर्थव्यवस्थाओं में एक सफल वैक्सीन बहिर्वेल्लन (रोल-आउट) के कारण इस वर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था में उछाल आएगा।

विश्व सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट 2020-22

अनियमित वृद्धि

  • भौगोलिक, आय एवं क्षेत्रीय प्रणालियों में पुनः प्राप्ति अनियमित होगी।
  • विकसित अर्थव्यवस्थाओं के भीतर, किरायाजीवी वर्ग ने धन में विस्फोट का अनुभव किया है, जबकि अल्प आय अर्जित करने वालों ने संघर्ष किया है।
  • मौद्रिक स्वायत्तता का अभाव एवं टीकों तक पहुंच अनेक विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को पीछे कर रही है,  विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ इनकी खाई (अंतराल) को और व्यापक कर रही है एवं एक अन्य गँवाए हुए दशक में प्रवेश करने की आशंका प्रकट कर रहा है।
  • अनेक विकासशील देशों को वैश्विक वित्तीय संकट की तुलना में बहुत अधिक हानि हुई है, जबकि उनके वर्तमान के भारी ऋणों के बोझ ने राजकोषीय नीति के लिए उनके अवसरों को कम कर दिया है।
  • विकसित देशों में महामारी की प्रतिक्रिया ने एक पुनरुत्थानवादी राज्य को सक्रिय कर दिया है एवं राजकोषीय बाधाओं को स्थगित कर दिया है, किंतु अंतरराष्ट्रीय नियम एवं प्रथाएं विकासशील देशों को महामारी-पूर्व प्रतिक्रियाओं तथा आर्थिक तनाव की अर्ध-स्थायी स्थिति में अवरुद्ध कर देती हैं।
  • घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय दोनों प्रकार के ये बढ़ते अंतराल इस बात का स्मरण कराते हैं कि यदि अंतर्निहित स्थितियों को उनके स्थान पर छोड़ दिया जाता है, तो मात्र कुछ एक विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्तियों को समुत्थानशक्ति एवं विकास की विलासिता का आनंद प्राप्त होगा।
  • संपूर्ण विश्व में, किंतु विशेष रूप से विकासशील क्षेत्रों में, विशेष रूप से अफ्रीका एवं दक्षिण एशिया में कोविड-19 संकट से होने वाली क्षति वैश्विक वित्तीय संकट (जीएफसी) से अधिक हुई है
  • महत्वपूर्ण असफलताओं को छोड़कर, वैश्विक उत्पादन मात्र 2016-19 की प्रवृत्ति को 2030 तक पुनः प्रारंभ करेगा

उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण (सीसीएस)

महामारी से चार सबक

  • विकासशील देशों में वित्तीय समुत्थानशक्ति (लचीलेपन) की कोई भी बात असामयिक होगी क्योंकि अनेक मामलों में निवेश प्रवाह अस्थिर रहता है तथा ऋणग्रस्तता का बोझ असहनीय होता है।
  • महामारी ने महत्वपूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र के हस्तक्षेप की आवश्यकता के संबंध में एक आम सहमति देखी है,  किंतु प्रतिचक्रीय उपायों से परे इसमें क्या सम्मिलित होगा, इस पर सहमति अपेक्षाकृत कम है।
    • इसमें एक जोखिम अंतर्निहित है कि विस्तारित राजकोषीय उपायों को केवल अग्निशमन उपकरण के रूप में माना जाएगा, जबकि वास्तव में, वे दीर्घकालिक विकास के महत्वपूर्ण साधन हैं।
  • बेहतर निर्माण के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करने हेतु व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में अत्यधिक नीति समन्वय की आवश्यकता होगी।
  • वैक्सीन के प्रति अनिच्छा न केवल अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि संपूर्ण समाज के लिए खतरनाक है। हाल के एक अनुमान के अनुसार, 2025 तक विलंबित टीकाकरण की संचयी लागत 3 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी, जिसमें विकासशील विश्व उस लागत का बड़ा हिस्सा वहन करेंगे।

 

Sharing is caring!

व्यापार एवं विकास रिपोर्ट 2021_3.1