Categories: हिंदी

आईपीईएफ का व्यापार स्तंभ

आईपीईएफ व्यापार स्तंभ- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन II- भारत को सम्मिलित करने वाले एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समूह तथा समझौते।

आईपीईएफ का व्यापार स्तंभ चर्चा में क्यों है?

  • भारत लॉस एंजिल्स में अमेरिका के नेतृत्व वाले भारत प्रशांत आर्थिक ढांचा (इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क/आईपीईएफ) मंत्रिस्तरीय बैठक के व्यापार स्तंभ पर संयुक्त घोषणा से बाहर रहा, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के विरुद्ध संभावित भेदभाव पर चिंताओं का हवाला दिया।

 

भारत ने व्यापार स्तंभ से बाहर निकलने का विकल्प क्यों चुना?

  • व्यापार स्तंभ से बाहर रहने का एक कारण यह था कि ढांचे की रूपरेखा अभी तक प्रकट नहीं हुई थी।
  • यह विशेष रूप से उस तरह की प्रतिबद्धता के बारे में है जिसे प्रत्येक देश को “पर्यावरण, श्रम, डिजिटल व्यापार एवं सार्वजनिक क्रय” पर करना होगा।
  • भारत का निर्णय क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (रीजनल कंप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप/RCEP) से सात  वर्ष की वार्ता के पश्चात बाहर निकलने के निर्णय को भी प्रदर्शित करता है।

 

आईपीईएफ क्या है?

  • यह भाग लेने वाले देशों के लिए अपने संबंधों को मजबूत करने एवं क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण आर्थिक तथा व्यापार मामलों, जैसे कि महामारी से पस्त लोचशील आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण में संलग्न होने के लिए अमेरिकी-नेतृत्व वाला एक ढांचा है।
  • यह एक मुक्त व्यापार समझौता नहीं है। कोई बाजार पहुंच या प्रशुल्क कटौती की रूपरेखा तैयार नहीं की गई है, यद्यपि विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यापार सौदों का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

 

आईपीईएफ के सदस्य

  • सदस्य देशों में ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड एवं वियतनाम सम्मिलित हैं।
  • इसमें एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस (आसियान), सभी चार क्वाड देशों  एवं न्यूजीलैंड के 10 में से सात सदस्य सम्मिलित हैं।
  • सम्मिलित रूप से ये देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 40 प्रतिशत का योगदान करते हैं।

 

आईपीईएफ के चार स्तंभ

  1. व्यापार जिसमें डिजिटल अर्थव्यवस्था तथा उभरती हुई प्रौद्योगिकी, श्रम प्रतिबद्धताएं, पर्यावरण, व्यापार सुविधा, पारदर्शिता एवं समुचित नियामक प्रथाएं तथा कॉर्पोरेट उत्तरदायित्व, सीमा पारीय डेटा प्रवाह एवं डेटा स्थानीयकरण पर मानक सम्मिलित होंगे;
  2. आपूर्ति श्रृंखला प्रत्यास्थता “अपनी तरह का प्रथम आपूर्ति श्रृंखला समझौता” विकसित करने के लिए जो व्यवधानों का पूर्वानुमान लगाएगा एवं रोकथाम करेगा;
  3. स्वच्छ ऊर्जा एवं विकार्बनीकरण (डीकार्बोनाइजेशन) जिसमें “उच्च-महत्वाकांक्षा प्रतिबद्धताओं” जैसे नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य, कार्बन समाप्ति क्रय प्रतिबद्धताओं, ऊर्जा दक्षता मानकों एवं मीथेन उत्सर्जन से निपटने हेतु नवीन उपाय सम्मिलित होंगे; तथा
  4. कर एवं भ्रष्टाचार विरोधी, “प्रभावी कर, धन शोधन विरोधी, [अमेरिकी] मूल्यों के अनुरूप रिश्वत विरोधी योजनाओं को लागू करने तथा प्रवर्तित करने की प्रतिबद्धताओं के साथ”।

 

सदस्य किस प्रकार भाग लेते हैं?

  • देश किसी भी निर्धारित स्तंभ के तहत पहल में सम्मिलित होने (अथवा सम्मिलित नहीं होने) के लिए स्वतंत्र हैं, किंतु एक बार नामांकन करने के पश्चात सभी प्रतिबद्धताओं का पालन करने की अपेक्षा की जाती है।
  • वार्ता प्रत्येक स्तंभ के तहत प्रावधानों को निर्धारित करने एवं सूचीबद्ध करने एवं देशों के लिए अपनी ‘प्रतिबद्धताओं’ को चयनित करने हेतु वार्ता प्रारंभ करने हेतु होती है।
  • भविष्य में सम्मिलित होने के इच्छुक अन्य देशों के लिए ढांचा खुला होगा बशर्ते वे निर्धारित लक्ष्यों एवं अन्य आवश्यक दायित्वों का पालन करने के इच्छुक हों।

 

आईपीईएफ के निर्माण के कारण

  • खोई हुई विश्वसनीयता हासिल कर रहा अमेरिका: आईपीईएफ को एक ऐसे साधन के रूप में भी देखा जाता है जिसके द्वारा ट्रंप के प्रशांत पारीय साझेदारी (ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप/टीपीपी) से हटने के पश्चात अमेरिका इस क्षेत्र में विश्वसनीयता हासिल करने प्रयत्न कर रहा है।
  • चीन का बढ़ता प्रभाव: तब से इस क्षेत्र में चीन के आर्थिक प्रभाव का प्रतिरोध करने हेतु एक विश्वसनीय अमेरिकी आर्थिक एवं व्यापार रणनीति के अभाव पर चिंता व्यक्त की जा रही है।
  • प्रतियोगी क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी: यह 14-सदस्यीय क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी में भी सम्मिलित है, जिसका अमेरिका सदस्य नहीं है (भारत रीजनल कंप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप/RCEP से हट गया)।
  • “एशिया की ओर धुरी” रणनीति: अमेरिका ने अपने आर्थिक एवं भू-राजनीतिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए व्यापक एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ अपने जुड़ाव को और गहन कर दिया है।

 

आईपीईएफ के बारे में भारत की धारणा

  • प्रधानमंत्री मोदी ने समूह को हिंद-प्रशांत क्षेत्र को वैश्विक आर्थिक विकास का इंजन बनाने की सामूहिक इच्छा से उत्पन्न हुआ बताया।
  • भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए साझा एवं रचनात्मक समाधान का आह्वान किया है।

 

इसका चीन से क्या संबंध है?

  • अमेरिकी रणनीतिकारों का मानना ​​है कि 2017 के पश्चात से इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते आर्थिक प्रभाव का  प्रतिरोध करने हेतु अमेरिका के पास आर्थिक एवं व्यापारिक रणनीति का अभाव है।
  • अमेरिकी कंपनियां चीन में विनिर्माण करने से दूर जाना चाहती हैं।
  • अतः भारत प्रशांत आर्थिक ढांचा भाग लेने वाले देशों को एक लाभ प्रदान करेगा, जिससे वे उन व्यवसायों को अपने क्षेत्र में ला सकेंगे।
  • यद्यपि, इसमें सम्मिलित होने की इच्छा एवं आर्थिक योग्यता के बावजूद ताइवान को आधिकारिक तौर पर बाहर रखा गया।
  • यह वाशिंगटन की भू-राजनीतिक सतर्कता को प्रदर्शित करता है।

 

विरोधियों की प्रतिक्रिया

  • चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने इस पहल की आलोचना करते हुए इसे चीन से आर्थिक रूप से पृथक करने का प्रयास बताया।
  • उन्होंने तर्क दिया कि इस पहल एवं समग्र रूप से यूएस इंडो-पैसिफिक रणनीति ने विभाजन उत्पन्न किया  तथा टकराव को प्रेरित किया। अंतत: असफल होना पूर्वनिर्दिष्ट है।
  • इंडोनेशिया जैसे प्रमुख “फेंस-सीटर” (तटस्थ) देशों को प्रसन्न करने हेतु ताइवान को बाहर रखा गया था, जिनकी सरकारों को चीन को नाराज करने का भय था।

 

आईपीईएफ ढांचे से संबंधित मुद्दे

  • आईपीईएफ न तो ‘मुक्त व्यापार समझौते’ का गठन करेगा, न ही प्रशुल्क कटौती या बाजार पहुंच में वृद्धि करने पर चर्चा करने के लिए एक मंच का गठन करेगा।
  • एक पारंपरिक व्यापार समझौते के विपरीत, अमेरिकी प्रशासन को आईपीईएफ के तहत कार्य करने के लिए कांग्रेस के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। अतः इसकी विधिक स्थिति संदिग्ध है।
  • यह संभावित प्रतिभागियों के मध्य समझौते के तहत महत्वपूर्ण रियायतों की पेशकश करने की अनिच्छा के बारे में भी संदेह उत्पन्न करता है।
  • अमेरिकी घरेलू राजनीति की अस्थिरता ने आईपीईएफ के स्थायित्व के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं।
  • पारंपरिक एफटीए के विपरीत, आईपीईएफ एकल उपक्रम सिद्धांत को स्वीकार नहीं करता है, जहां एजेंडा पर सभी मदों पर एक साथ वार्ता की जाती है।

अमेरिकी राजनीति की विभाजनकारी प्रकृति को देखते हुए, यह स्पष्ट नहीं है कि आईपीईएफ बाइडेन प्रशासन से आगे निकल पाएगा या नहीं।

 

आगे की राह

  • टोक्यो में आईपीईएफ का शुभारंभ प्रतीकात्मक प्रकृति का था; आईपीईएफ को सफल बनाने में महत्वपूर्ण घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय चुनौतियां सम्मिलित होंगी।
  • कांग्रेस द्वारा अनुसमर्थन के बिना, आईपीईएफ की सफलता अनिश्चय की स्थिति में रहेगी।
  • आगे बढ़ते हुए, अमेरिका एवं संस्थापक भागीदारों को प्रक्रिया तथा मानदंड विकसित करने की आवश्यकता है जिसके द्वारा क्षेत्र के अन्य देशों को आईपीईएफ पर वार्ता में सम्मिलित होने हेतु आमंत्रित किया जाएगा।

 

नए दत्तक नियम नागरिकता संशोधन अधिनियम कश्मीरी पंडित कुशियारा नदी संधि
भारत में शराब कानून दारा शिकोह प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ सतत एवं हरित पर्यटन (सस्टेनेबल एंड ग्रीन टूरिज्म
भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद यूएस स्टार्टअप सेतु – परिवर्तन एवं कौशल उन्नयन कार्यक्रम में उद्यमियों का समर्थन स्वच्छ वायु दिवस- नीले आकाश हेतु स्वच्छ वायु का अंतर्राष्ट्रीय दिवस संपादकीय विश्लेषण- द आउटलाइन ऑफ एन एसेंशियल ग्लोबल पैंडेमिक ट्रीटी
manish

Recent Posts

UPSC EPFO Personal Assistant Question Paper 2024, Download PDF

For the first time, UPSC conducted an offline exam on July 7th to fill the…

14 hours ago

UPSC EPFO PA Exam Date 2024 Out, Check Exam Schedule

The UPSC EPFO Personal Assistant Exam date 2024 has been released by the Union Public…

16 hours ago

UPSC EPFO Personal Assistant Syllabus 2024, Check PA Exam Pattern

The latest EPFO Personal Assistant Syllabus has been released on the official website of UPSC.…

16 hours ago

TSPSC Group 1 Exam Date 2024, Check Mains Exam Schedule

The TSPSC Group 1 Exam Date 2024 has been announced by the Telangana State Public Service…

17 hours ago

TSPSC Group 1 Application Form 2024, Correction Window Open on 23 March

The TSPSC Group 1 online registration was over on 16 March 2024. If applicant find…

17 hours ago

TSPSC Group 1 Salary 2024, Check In-Hand Salary, Job Profile

TSPSC Group 1 Salary 2024: The Telangana State Public Service Commission (TSPSC) has released the…

17 hours ago