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पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) – यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने “पेटेंट कार्यालयों के अतिरिक्त, उपयोगकर्ताओं के लिए पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी/TKDL) डेटाबेस की व्यापक पहुंच को स्वीकृति प्रदान की है।
टीकेडीएल तक पहुंच बढ़ाने का महत्व
- उपयोगकर्ताओं के लिए टीकेडीएल डेटाबेस को खोलना भारत सरकार द्वारा एक महत्वाकांक्षी एवं दूरदर्शी कार्रवाई है।
- नवीन शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परम्परा के माध्यम से विचार एवं ज्ञान नेतृत्व को अंतर्निविष्ट करने हेतु भी टीकेडीएल का मार्ग प्रशस्त किया गया है।
- यह नवाचार एवं व्यापार को बढ़ाने की दिशा में मौजूदा पद्धतियों के साथ पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत करने एवं सह-चयन करने पर बल देता है।
- टीकेडीएल ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए पारंपरिक ज्ञान सूचना के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य करेगा।
- टीकेडीएल की वर्तमान सामग्री भारतीय पारंपरिक दवाओं को व्यापक रूप से अपनाने की सुविधा प्रदान करेगी, साथ ही नए निर्माताओं एवं नवप्रवर्तकों को हमारी मूल्यवान ज्ञान विरासत के आधार पर उद्यमों का लाभप्रद निर्माण करने के लिए प्रेरित करेगी।
पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL)
- पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL) के बारे में: पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL) 2001 में स्थापित भारतीय पारंपरिक ज्ञान का एक पूर्ववर्ती कला डेटाबेस है।
- अधिदेश: टीकेडीएल का प्राथमिक अधिदेश भारतीय पारंपरिक ज्ञान पर गलत पेटेंट के अनुदान को रोकना है।
- टीकेडीएल डेटाबेस रचनात्मक मस्तिष्कों को एक स्वस्थ एवं प्रौद्योगिकी संपन्न आबादी के लिए बेहतर, सुरक्षित एवं अधिक प्रभावी समाधानों के लिए नवाचार करने हेतु प्रेरित करेगा।
- कार्यान्वयन निकाय: पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) का प्रबंधन वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च/सीएसआईआर) तथा भारतीय चिकित्सा प्रणाली और होम्योपैथी विभाग ( डिपार्टमेंट ऑफ इंडियन सिस्टम्स ऑफ मेडिसिन एंड होम्योपैथी/आईएसएम एंड एच, अब आयुष मंत्रालय) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।
- अभिगम्यता: अब तक, टीकेडीएल के संपूर्ण डेटाबेस तक पहुंच खोज एवं जांच के प्रयोजनों के लिए संपूर्ण विश्व के 14 पेटेंट कार्यालयों तक सीमित है।
- टीकेडीएल के माध्यम से यह रक्षात्मक संरक्षण भारतीय पारंपरिक ज्ञान को दुरूपयोग से बचाने में प्रभावी रहा है तथा इसे वैश्विक मानदंड माना जाता है।
- अभिगम्यता शुल्क: टीकेडीएल डेटाबेस तक पहुंच राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय उपयोगकर्ताओं के लिए चरण-वार उद्घाटन के साथ एक सशुल्क सदस्यता मॉडल के माध्यम से होगी।
पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) – प्रमुख विशेषताएं
- TKDL विश्व स्तर पर अपनी तरह का प्रथम है एवं अन्य देशों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल के रूप में कार्य कर रहा है।
- टीकेडीएल में वर्तमान में आईएसएम से संबंधित मौजूदा साहित्य जैसे आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा एवं योग की जानकारी शामिल है।
- जानकारी को पांच अंतरराष्ट्रीय भाषाओं यथा अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, जापानी तथा स्पेनिश में डिजिटल प्रारूप में प्रलेखित किया गया है हैं।
- टीकेडीएल संपूर्ण विश्व में पेटेंट कार्यालयों में पेटेंट परीक्षकों द्वारा समझने योग्य भाषाओं एवं प्रारूप में जानकारी प्रदान करता है, ताकि पेटेंट के त्रुटिपूर्ण अनुदान को रोका जा सके।