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इलाहाबाद की संधि 1765- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 1: भारतीय इतिहास- अठारहवीं शताब्दी के मध्य से लेकर वर्तमान तक आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्वपूर्ण घटनाएं, व्यक्तित्व, मुद्दे।
इलाहाबाद की संधि 1765- पृष्ठभूमि
- 1765 ईसवी की इलाहाबाद की संधि, 1764 के बक्सर के युद्ध का परिणाम थी, जो मुगल सम्राट, अवध एवं बंगाल के नवाब तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (ईआईसी) की संयुक्त सेना के मध्य लड़ा गया था।
- मुगलों, अवध एवं मीर कासिम से संबंधित 40,000 की एक संयुक्त सेना को 10,000 सैनिकों से गठित ब्रिटिश सेना ने बेरहमी से पराजित किया था।
- 22 अक्टूबर, 1764 को भारतीय पक्ष युद्ध में पराजित हो गया।
- मीर कासिम युद्ध से पलायन कर गया एवं अन्य दो ने अंग्रेजी सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगल बादशाह एवं अवध के नवाब को 1765 में इलाहाबाद की अपमानजनक संधि के लिए बाध्य किया।
इलाहाबाद की संधि 1765- प्रमुख बिंदु
- 1764 में बक्सर के युद्ध में विजय के पश्चात, रॉबर्ट क्लाइव ने दोपृथक – पृथक संधियों पर, एक शुजा-उद-दौला (अवध के नवाब) के साथ तथा दूसरी शाह आलम-द्वितीय (मुगल सम्राट) के साथ 1765 में इलाहाबाद में हस्ताक्षर किए।
- 12 अगस्त 1765 को, अंग्रेजों ने मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय को इलाहाबाद की संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया।
- मुगल सम्राट ने बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा से अंग्रेजों के पक्ष में कर (दीवानी अधिकार) एकत्र करने के अधिकार त्याग दिया।
- इलाहाबाद की संधि की मुख्य शर्तें नीचे दी गई हैं-
इलाहाबाद की संधि 1765- अवध के नवाब एवं ईस्ट इंडिया कंपनी के मध्य संधि
- इलाहाबाद का समर्पण: रॉबर्ट क्लाइव ने शुजा-उद-दौला को इलाहाबाद तथा शाह आलम द्वितीय (मुगल सम्राट) को कड़ा मानिकपुर सौंपने हेतु बाध्य किया।
- युद्ध क्षतिपूर्ति खंड: आर. क्लाइव ने युद्ध के लिए नवाब एवं उसके सहयोगियों को दोषी ठहराया तथा 50 लाख का युद्ध क्षतिपूर्ति दंड लगाया जो नवाब को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (ईआईसी) को देना था।
- नवाब की संपत्ति छीनना: रॉबर्ट क्लाइव ने नवाब को अपनी संपत्ति का पूरा नियंत्रण बलवंत सिंह (बनारस के जमींदार) को सौंपने हेतु बाध्य किया।
इलाहाबाद की संधि 1765- मुगल सम्राट एवं ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के मध्य संधि
- कंपनी ने शाह आलम द्वितीय को दिल्ली छोड़ने के लिए बाध्य किया एवं ईस्ट इंडिया कंपनी के संरक्षण में इलाहाबाद (इलाहाबाद की संधि के तहत शुजा-उद-दौला द्वारा आत्मसमर्पण) में रहने हेतु विवश किया।
- दीवानी अधिकार प्रदान किए गए: कंपनी ने सम्राट को 26 लाख रुपये के वार्षिक भुगतान के बदले ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा की दीवानी प्रदान करने हेतु एक ‘फरमान’ जारी करने के लिए बाध्य किया।
- निजामत कार्य: कंपनी ने मुगल सम्राट से बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा प्रांतों के निजामत कार्यों (सैन्य रक्षा, पुलिस एवं न्याय प्रशासन) के बदले में 53 लाख रुपये की राशि वसूल की।