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यूआईडीएआई ऑडिट: सीएजी ने आधार कार्ड में कई मुद्दों को चिन्हित किया

सीएजी द्वारा यूआईडीएआई ऑडिट: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनके अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

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आधार ऑडिट: संदर्भ

  • हाल ही में, एक नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल/CAG) की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत की गई थी, जहां यह वर्तमान आधार व्यवस्था के साथ विभिन्न मुद्दों को सूचीबद्ध करती है।

 

सीएजी द्वारा आधार का अंकेक्षण: मुख्य बिंदु

  • रिपोर्ट के निष्कर्ष यूआईडीएआई के सीएजी द्वारा प्रथम निष्पादन समीक्षा का हिस्सा हैं, जिसे वित्त वर्ष 2015 तथा वित्त वर्ष 2019 के मध्य चार वर्ष की अवधि में किया गया था।

 

आधार ऑडिट सीएजी: प्रमुख निष्कर्ष

गोपनीयता जोखिम

  • रिपोर्ट में पाया गया है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया/आईडीएआई) ने यह सुनिश्चित नहीं किया था कि इसके प्रमाणीकरण पारिस्थितिकी तंत्र भागीदारों द्वारा उपयोग किए जाने वाले क्लाइंट एप्लिकेशन निवासियों की व्यक्तिगत जानकारी संग्रहीत करने में सक्षम नहीं थे, इस प्रकार निवासियों की गोपनीयता को खतरे में डालते हैं।
  • आधार प्रमाणीकरण पारिस्थितिकी तंत्र उन एजेंसियों को संदर्भित करता है जो प्रायः आवेदक सत्यापन के लिए 12 अंकों की आईडी संख्या का उपयोग करती हैं। इनमें बैंक अथवा दूरसंचार कंपनियां शामिल हैं।
  • यूआईडीएआई ने भी आधार वॉल्ट में डेटा की सुरक्षा एवं संरक्षा सुनिश्चित नहीं की थी।
  • यूआईडीएआई ने सम्मिलित प्रक्रिया के अनुपालन का स्वतंत्र रूप से कोई सत्यापन नहीं किया था।
  • यूआईडीएआई ने बायोमेट्रिक्स के प्रबंधन के लिए संविदाकारों तथा आउटसोर्सिंग एजेंसियों पर अत्यधिक विश्वास प्रदर्शित किया है।

 

डुप्लीकेट आधार नंबर

  • कैग की रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि UIDAI ने आधार नंबर “अधूरे दस्तावेजों के साथ” तैयार किए।
  • प्राधिकरण ने यह स्थापित नहीं किया कि आवेदक उचित दस्तावेजों के साथ देश में निवास कर रहे थे  अथवा नहीं एवं खराब गुणवत्ता वाले बायोमेट्रिक्स को स्वीकार किया।
  • यूआईडीएआई के नियम निर्दिष्ट करते हैं कि एक व्यक्ति को आवेदन करने से पूर्व 182 दिनों के लिए देश में होना चाहिए,यद्यपि, एजेंसी के पास इसे सत्यापित करने का कोई तरीका नहीं है।

 

स्वयं की विफलताओं के लिए लोगों पर आरोप लगाया

  • UIDAI ने बायोमेट्रिक अपडेट के लिए लोगों पर आरोप लगाया जब नामांकन के दौरान खराब गुणवत्ता वाले डेटा को फीड किया गया था।
  • 73% बायोमेट्रिक अपडेट स्वैच्छिक अपडेट थे, और यूआईडीएआई ने निवासियों पर आरोप लगाया, जिनकी कोई गलती नहीं थी
  • सीएजी ने पाया कि यूआईडीएआई ने खराब गुणवत्ता वाले बायोमेट्रिक्स की जिम्मेदारी नहीं ली तथा  निवासियों पर आरोप लगाया एवं इसके लिए शुल्क वसूल किया।
  • यूआईडीएआई के पास डाक विभाग के साथ कोई पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण बड़ी संख्या में आधार कार्ड सरकार को वापस कर दिए गए थे, क्योंकि वे अपने इच्छित प्राप्तकर्ताओं को वितरित नहीं किए जा सके।

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बाल आधार की समीक्षा की आवश्यकता

  • कैग ने बाल आधार – बायोमेट्रिक्स के बिना बच्चों तथा नवजात शिशुओं को आधार कार्ड जारी करने की एक पहल की भी आलोचना की थी
  • विशिष्ट पहचान का मिलान नहीं किया जाता है क्योंकि यह माता-पिता के दस्तावेजों के आधार पर जारी किया जाता है एवं 5 वर्ष पश्चात एक बच्चे को नए नियमित आधार के लिए पुनः आवेदन करना पड़ता है।
  • कैग ने कहा कि वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने के अतिरिक्त, यूआईडीएआई ने बाल आधार पर 310 करोड़ रुपये का परिहार्य व्यय किया है।

 

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