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रूस यूक्रेन युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद संकल्प- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।
रूस यूक्रेन युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद संकल्प समाचारों में
- हाल ही में, जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स काउंसिल/यूएनएचआरसी) में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध पर मतदान संपन्न हुआ।
- भारत ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में मतदान से स्वयं को पृथक रखा क्योंकि परिषद ने यूक्रेन में रूस की कार्रवाईयों की जांच के लिए एक अंतरराष्ट्रीय आयोग का गठन करने का निर्णय लिया।
- रूस यूक्रेन संघर्ष पर, भारत ने अब तक स्वयं को पृथक रखा है-
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तीन वोट,
- न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में दो वोट,
- जिनेवा में मानवाधिकार परिषद में दो वोट, एवं
- वियना में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) में एक वोट।
यूक्रेन में रूस की कार्रवाई पर यूएनएचआरसी संकल्प
- संयुक्त राष्ट्र प्रणाली द्वारा अंगीकृत किया जाने वाला अभी तक शेष सर्वाधिक सशक्त, यूएनएचआरसी प्रस्ताव रूस द्वारा आक्रामकता की “कड़ी निंदा” करता है, एवं
- यूएनएचआरसी के प्रस्ताव में कहा गया है कि वह रूसी बलों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन, नागरिक हताहतों एवं आबादी वाले क्षेत्रों में रूसी “बमबारी एवं गोलाबारी” के कारण 6,60,000 शरणार्थियों के जबरन विस्थापन की रिपोर्टों के बारे में “गंभीर रूप से चिंतित” था।
- जांच के लिए अंतर्राष्ट्रीय आयोग की स्थापना:
- समर्थन में वोट: 32 देशों या परिषद के लगभग दो-तिहाई देशों ने उस संकल्प के पक्ष में मतदान किया जिसमें मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को एक वर्ष के लिए तीन मानवाधिकार विशेषज्ञ नियुक्त करने के लिए कहा गया था।
- यह “समस्त कथित उल्लंघनों एवं मानवाधिकारों के दुरुपयोग तथा अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के उल्लंघन एवं संबंधित अपराधों की जांच करने हेतु अधिदेशित है।
- मतदान से अनुपस्थित: भारत, चीन, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, सूडान, उज्बेकिस्तान एवं वेनेजुएला सहित यूएनएचआरसी के 48 सदस्यों में से कुल 13 सदस्य रूस यूक्रेन युद्ध पर प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहे।
- मतदान का विरोध: मात्र रूस एवं इरिट्रिया ने प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान किया।
- समर्थन में वोट: 32 देशों या परिषद के लगभग दो-तिहाई देशों ने उस संकल्प के पक्ष में मतदान किया जिसमें मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को एक वर्ष के लिए तीन मानवाधिकार विशेषज्ञ नियुक्त करने के लिए कहा गया था।
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