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इथेनॉल सम्मिश्रण को समझना 

इथेनॉल सम्मिश्रण को समझना- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता 

सामान्य अध्ययन III- पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

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इथेनॉल सम्मिश्रण चर्चा में क्यों है

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 76 वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए घोषणा की कि भारत ने निर्धारित समय से पूर्व पेट्रोल में गन्ने से निष्कर्षित किए गए इथेनॉल के 10% सम्मिश्रण का अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है।

 

इथेनॉल सम्मिश्रण क्या है?

  • वाहनों को चलाते समय जीवाश्म ईंधन के कम मात्रा में दहन हेतु पेट्रोल के साथ इथेनॉल को सम्मिश्रित करना इथेनॉल सम्मिश्रण कहलाता है।
  • इथेनॉल एक कृषि उप-उत्पाद है जो मुख्य रूप से गन्ने से चीनी के प्रसंस्करण से प्राप्त होता है, किंतु अन्य स्रोतों जैसे चावल की भूसी अथवा मक्का से भी प्राप्त होता है।
    • वर्तमान में, आपके वाहन को चलाने वाले पेट्रोल का 10% भाग इथेनॉल है।
    • यद्यपि हमने कुछ समय के लिए E10 – या 10% इथेनॉल नीति के रूप में रखा है, यह केवल इस वर्ष हुआ है कि हमने उस अनुपात को प्राप्त किया है।
  • भारत मूल रूप से 2030 तक इस अनुपात को 20% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखता है, किंतु 2021 में, जब नीति आयोग ने इथेनॉल रोडमैप प्रस्तुत किया, तो उस समय सीमा को 2025 तक आगे बढ़ा दिया गया।

 

इथेनॉल सम्मिश्रण का महत्व

  • इथेनॉल सम्मिश्रण तेल आयात के हमारे अंश (लगभग 85%) को कम करने में सहायता करेगा, जिस पर हम काफी मात्रा में बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च करते हैं।
    • अधिक इथेनॉल उत्पादन से किसानों की आय में वृद्धि करने में सहायता मिलेगी।
  • जून 2021 की नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है, “2020-21 में 55 बिलियन डॉलर की लागत से भारत का पेट्रोलियम का शुद्ध आयात 185 मिलियन टन था,” तथा यह कि एक सफल इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम देश का प्रति वर्ष 4 बिलियन डॉलर बचा सकता है।

 

पहली पीढ़ी एवं दूसरी पीढ़ी का इथेनॉल

  • इथेनॉल की आपूर्ति बढ़ाने के उद्देश्य से, सरकार ने शीरे के अतिरिक्त अन्य स्रोतों से उत्पादित इथेनॉल  के क्रय को अनुमति प्रदान की है – जो कि पहली पीढ़ी का इथेनॉल या 1 जी है।
  • इथेनॉल को चावल के भूसे, गेहूं के भूसे, मकई की गुल्ली, मकई के स्टोवर, खोई, बांस एवं काष्ठीय बायोमास जैसी सामग्रियों से निष्कर्षित किया जा सकता है, जो दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल स्रोत या 2 जी हैं।

 

वैश्विक परिदृश्य

  • यद्यपि यू.एस., चीन, कनाडा एवं ब्राजील, इन सभी देशों में इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम मौजूद है, एक विकासशील देश के रूप में, ब्राजील स्पष्ट रूप से अलग दिखता है। इसने विधान निर्मित किया था कि पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा 18-27.5% की सीमा में होनी चाहिए एवं अंत में इसने 2021 में 27% लक्ष्य को प्राप्त कर लिया।

 

भारत का लक्ष्य

  • विगत वर्ष जून में नीति आयोग की रिपोर्ट के समय, उद्योग ने 2023 तक सभी वाहनों को E20 सामग्री के अनुरूप  निर्मित करने हेतु सरकार से प्रतिबद्धता व्यक्त की थी।
  • इसका तात्पर्य यह था कि वाहनों में पेट्रोल पॉइंट, प्लास्टिक, रबर, इस्पात एवं अन्य घटकों को 20% इथेनॉल वाले ईंधन को रखने / भंडारित करने हेतु अनुवर्ती होने की आवश्यकता होगी।
    • इस प्रकार के परिवर्तन के बिना, जंग लगना एक स्पष्ट बाधा है।
  • सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स का कहना है कि उद्योग 2025 तक E20 इंजन के अनुरूप बनने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसका अर्थ है कि पेट्रोल को संसाधित करने के लिए इंजन में सुधार करने की आवश्यकता होगी जिसे 20% इथेनॉल के साथ मिश्रित किया गया है।
  • भले ही उद्योग महामारी से होने वाले आर्थिक नुकसान से उबर रहा हो, किंतु 2070 तक निवल-शून्य उत्सर्जन के भारत के वादे का पालन करने के लिए यह कुछ परिवर्तन करने हेतु बाध्य है।

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चुनौतियां

  • उच्च इथेनॉल सम्मिश्रणों के लिए इंजनों का अनुकूलन एवं ई20 अनुपालन वाहनों को प्रारंभ करने से पूर्व इंजनों तथा क्षेत्र परीक्षणों पर स्थायित्व अध्ययन का संचालन।
  • भंडारण चिंता का मुख्य विषय होने जा रहा है, क्योंकि यदि E10 आपूर्ति को E20 आपूर्ति के साथ अनुक्रमिक रखना है, तो भंडारण को पृथक करना होगा जो तब लागत में वृद्धि करता है।
    • यह एक अन्य प्रमुख प्रदूषक – नाइट्रस ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम नहीं करता है।
  • इथेनॉल के लिए फसल उत्पादित करने हेतु आवश्यक जल चर्चा का एक अन्य बिंदु है- चीनी से एक लीटर इथेनॉल के उत्पादन के लिए 2,860 लीटर जल की आवश्यकता होती है।
  • भविष्य में उत्पादन के बारे में अनिश्चितता को देखते हुए, भारत के लिए घरेलू खाद्य आपूर्ति प्रणालियों को एक साथ सुदृढ़ करना, कम वर्षों के लिए पर्याप्त भंडार को अलग रखना, अनाज के लिए एक निर्यात बाजार बनाए रखना तथा आने वाले वर्षों में अपेक्षित दर पर अनाज को इथेनॉल की ओर मोड़ना आसान नहीं हो सकता है एवं यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर निरंतर अनुश्रवण का आश्वासन अपेक्षित है।

 

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