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पोषण अभियान: प्रासंगिकता
- जीएस 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का प्रदर्शन
पोषण अभियान: प्रसंग
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पोषण अभियान कार्यक्रम के अंतर्गत जारी की गई धनराशि का बहुत कम मात्रा में उपयोग किया जा रहा है।
पोषण अभियान: मुख्य बिंदु
- आंकड़ों से ज्ञात हुआ है कि पोषण अभियान के लिए आवंटित कुल धनराशि में से लगभग 50% का उपयोग नहीं किया गया था।
- जिन 36 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मंत्रालय ने डेटा जारी किया है, उनमें से किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने पोषण अभियान के लिए अपनी निधि का पूर्ण रूप से उपयोग नहीं किया है।
- मंत्रालय ने यह भी सूचना दी है कि 2020-21 में पोषण कार्यक्रम के लिए जारी धनराशि में पिछले वित्तीय वर्ष में जारी राशि की तुलना में 85 प्रतिशत की कटौती की गई है।
पोषण अभियान: निधियों का अल्प उपयोग
- 2020-21 में, सभी आंगनवाड़ी, महिला एवं बाल विकास केंद्र जो पोषण अभियान के क्रियान्वयन हेतु प्राथमिक स्थल के रूप में कार्य करते हैं, कोविड-19 के कारण लगाए गए प्रतिबंधों के कारण बंद कर दिए गए थे।
- चूंकि लाभार्थी इन केंद्रों पर नहीं आ सके, इसलिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को उनके घर पर पूरक पोषाहार सामग्री वितरित करने हेतु कहा गया।
- 2018 में योजना के आरंभ होने के पश्चात से पोषण अभियान के अंतर्गत वास्तविक निधि का उपयोग केवल लगभग 56 प्रतिशत रहा है।
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की अनुदान की मांग की जांच करने वाली एक संसदीय स्थायी समिति ने भी पोषण अभियान के लिए आवंटित धन के “सकल अल्प उपयोग” को हरी झंडी दिखाई है।
समिति की सिफारिशें
- समिति ने सिफारिश की है कि मंत्रालय को विभिन्न मदों के तहत आवंटित धन का पूर्ण सीमा तक उपयोग करना चाहिए एवं जमीनी स्तर पर परिणाम प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
- इसने यह भी कहा है कि मंत्रालय के दृष्टिकोण को परिव्यय से परिणामों में बदलने की आवश्यकता है एवं मंत्रालय को आगामी वित्तीय वर्ष में व्यय करने, निष्पादित करने एवं मापने योग्य निष्कर्ष-संचालित परिणाम देने में सक्षम होना चाहिए।
पोषण अभियान: वर्तमान स्थिति
- सरकार के पोषण अभियान के तहत वृद्धिरोध (स्टंटिंग) को प्रतिवर्ष दो प्रतिशत अंक कम करने का लक्ष्य था। यहां तक कि एनएफएचएस 5 में देखी गई कमी की गति भी एनएफएचएस 3 एवं एनएफएचएस 4 की तुलना में मंद हो गई है।
- पोषण अभियान के तहत 2022 तक भारत को कुपोषण से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया था। नवीनतम स्वास्थ्य आंकड़ों एवं व्यय की विसंगतियों से संकेत मिलता है कि इसे प्राप्त करने की संभावना नहीं है।