Home   »   यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क   »   यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क

यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क

यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, अभिकरण एवं मंच – उनकी संरचना, अधिदेश।

 

यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क: प्रसंग

  • हाल ही में, यूनेस्को ने श्रीनगर सहित 49 शहरों को यूनेस्को के रचनात्मक शहरों के नेटवर्क के तहत उनके विकास के केंद्र में संस्कृति एवं रचनात्मकता को प्रतिस्थापित करने एवं ज्ञान तथा सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की प्रतिबद्धता हेतु नामित किया है

UPSC Current Affairs

क्या आपने यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2021 को उत्तीर्ण कर लिया है?  निशुल्क पाठ्य सामग्री प्राप्त करने के लिए यहां रजिस्टर करें

 

यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क: मुख्य बिंदु

  • श्रीनगर को शिल्प एवं लोक कलाओं के रचनात्मक शहर के रूप में नामित किया गया है।

 

भारत में यूनेस्को सीसीएन

  • चेन्नई एवं वाराणसी – संगीत के यूनेस्को शहर;
  • जयपुर एवं श्रीनगर- शिल्प और लोक कलाओं का यूनेस्को शहर;
  • मुंबई – फिल्म का यूनेस्को शहर; एवं
  • हैदराबाद – पाक कला (गैस्ट्रोनॉमी) का यूनेस्को शहर।

 

नेटवर्क में सात रचनात्मक क्षेत्र शामिल हैं:

  • शिल्प एवं लोक कला,
  • मीडिया कला,
  • फिल्म,
  • डिजाइन,
  • पाक कला (गैस्ट्रोनॉमी),
  • साहित्य, एवं
  • संगीत

यूनेस्को की भारत के लिए शिक्षा की स्थिति रिपोर्ट 2021

यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क के बारे में

  • यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क (यूसीसीएन) 2004 में उन शहरों के साथ एवं उनके मध्य सहयोग को प्रोत्साहन प्रदान करने हेतु निर्मित किया गया था, जिन्होंने सतत शहरी विकास के लिए एक रणनीतिक कारक के रूप में रचनात्मकता की पहचान की है।
  • 246 शहर जो वर्तमान में इस नेटवर्क को बनाते हैं, रचनात्मकता एवं सांस्कृतिक उद्योगों को स्थानीय स्तर पर अपनी विकास योजनाओं के केंद्र में रखने एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय रूप से सहयोग करने के एक सामान्य उद्देश्य की दिशा में मिलकर कार्य करते हैं।
  • नेटवर्क में शामिल होने से, शहर सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के साथ-साथ नागरिक समाज को शामिल करते हुए अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं एवं विकासशील सहभागिता को साझा करने हेतु प्रतिबद्ध हैं:
    • सांस्कृतिक गतिविधियों, वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्माण, उत्पादन, वितरण तथा प्रसार को सुदृढ़ करना;
    • रचनात्मकता एवं नवोन्मेष के केंद्र विकसित करना एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में रचनाकारों एवं पेशेवरों के लिए अवसरों का विस्तार करना;
    • सांस्कृतिक जीवन में, विशेष रूप से उपेक्षित अथवा संवेदनशील वर्गों (कमजोर समूहों) एवं व्यक्तियों के लिए अधिगम एवं सहभागिता में सुधार करना;
    • सतत विकास योजनाओं में संस्कृति एवं रचनात्मकता को पूर्ण रूप से एकीकृत करने के लिए।

UPSC Current Affairs

Sharing is caring!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *