Table of Contents
यूएनएफसीसीसी एवं प्रसिद्ध कॉप: प्रासंगिकता
- जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।
यूएनएफसीसीसी क्या है?
- यूएनएफसीसीसी (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संरचना अभिसमय / कन्वेंशन) संयुक्त राष्ट्र आधारित ढांचा है जो जलवायु परिवर्तन के खतरे के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया का समर्थन करता है।
- 1992 में रियो डी जेनेरियो में आयोजित पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीईडी), जिसे अनौपचारिक रूप से पृथ्वी सम्मेलन के रूप में जाना जाता है, में 154 राज्यों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।
- मूल सचिवालय जिनेवा में था। 1995 से, सचिवालय बॉन, जर्मनी में अवस्थित है।
- अभिसमय में लगभग सार्वभौमिक सदस्यता (197 पक्षकार) हैं एवं यह 2015 पेरिस समझौते तथा 1997 क्योटो प्रोटोकॉल की मूल संधि है।
- यूएनएफसीसीसी ने “जलवायु प्रणाली के साथ खतरनाक मानवीय हस्तक्षेप” का प्रतिरोध करने हेतु, आंशिक रूप से वातावरण में हरित गृह गैस संकेंद्रण को स्थिर करके, एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधि की स्थापना की।
- यूएनएफसीसीसी संधि को विधिक रूप से गैर-बाध्यकारी समझौता माना जाता है।
कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज/पक्षकारों का सम्मेलन (कॉप) क्या है?
- अभिसमय का अनुच्छेद 2 कॉप को अभिसमय के “सर्वोच्च निकाय” के रूप में परिभाषित करता है, क्योंकि यह इसका सर्वोच्च निर्णय निर्माण प्राधिकार है। जलवायु परिवर्तन प्रक्रिया कॉप के वार्षिक सत्रों के इर्द-गिर्द घूमती है।
कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज/पक्षकारों का सम्मेलन (कॉप) के महत्वपूर्ण घटनाक्रम
कॉप | वर्ष | स्थान | महत्वपूर्ण निर्णय |
कॉप 1 | 1995 | बर्लिन, जर्मनी | — |
कॉप 3 | 1997 | क्योटो, जापान | क्योटो प्रोटोकॉल को अंगीकृत किया गया |
कॉप 7 | 2001 | मराकेश, मोरक्को | मराकेश समझौता – अंतरराष्ट्रीय उत्सर्जन व्यापार, स्वच्छ विकास तंत्र एवं संयुक्त क्रियान्वयन जैसे वैश्विक कार्बन बाजार उपकरणों के कार्य संचालन के लिए नियमों एवं प्रक्रियाओं की सर्वाधिक विस्तृत रूपरेखा |
कॉप 8 | 2002 | नई दिल्ली, भारत | दिल्ली घोषणा: सर्वाधिक निर्धन देशों की आवश्यकता एवं जलवायु परिवर्तन का शमन करने हेतु प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की आवश्यकता पर केंद्रित है। |
कॉप 11/सीएमपी 1 | 2005 | मॉन्ट्रियल, कनाडा | क्योटो प्रोटोकॉल के लिए पक्षकारों की बैठक के रूप में कार्यरत पक्षकारों के सम्मेलन का पहला सत्र। |
कॉप 13 | 2007 | बाली, इंडोनेशिया | बाली रोड मैप एवं बाली कार्य योजना: 2012 के बाद के परिणाम हेतु मार्ग निर्मित करना। |
कॉप 14 | 2008 | पॉज़्नान,पोलैंड | क्योटो प्रोटोकॉल के तहत अनुकूलन कोष प्रारंभ किया गया। |
कॉप 15 | 2009 | कोपेनहेगन, डेनमार्क | कोपेनहेगन समझौते का प्रारूप तैयार किया। अमेरिका एवं बेसिक देशों (भारत, चीन, ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीका) के मध्य पांच देशों का समझौता। विकसित देशों ने 2010-12 की अवधि हेतु 30 अरब डॉलर एवं 2020 तक वार्षिक 100 अरब डॉलर का दीर्घकालिक वित्त जुटाने का वादा किया था। |
कॉप 16 | 2010 | कैनकन, मेक्सिको | जलवायु परिवर्तन से निपटने में विकासशील देशों की सहायता के लिए ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ) की स्थापना की गई। जीसीएफ का अभिप्राय 2020 तक 100 अरब डॉलर का जलवायु वित्त एकत्रित करने का था। |
कॉप 17 | 2011 | डरबन, दक्षिण अफ्रीका | 2020 से आगे की अवधि के लिए 2015 तक एक सार्वभौमिक जलवायु परिवर्तन समझौता गठित करने की एक नई प्रतिबद्धता। इस समझौते के परिणामस्वरूप 2015 का पेरिस समझौता आयोजित किया गया। |
कॉप 18 | 2012 | दोहा, कतर | दोहा समझौता: क्योटो प्रोटोकॉल के जीवन काल का विस्तार करने के लिए समझौता। जलवायु प्रौद्योगिकी केंद्र (सीटीसी) को यूएनएफसीसीसी प्रौद्योगिकी तंत्र की कार्यान्वयन शाखा के रूप में स्थापित किया गया था। |
कॉप 19 | 2013 | वारसॉ, पोलैंड का | इंटेंडेड नेशनल डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशन (आईएनडीसी) शब्द यहां गढ़ा गया था। |
कॉप 20 | 2014 | लीमा, पेरू | सरकार द्वारा राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (एनएपी) तैयार की जानी चाहिए। नाजका क्लाइमेट एक्शन पोर्टल का शुभारंभ। |
कॉप 21 | 2015 | पेरिस, फ्रांस | पेरिस समझौता अंगीकृत किया गया।
पेरिस समझौते के उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में सामूहिक प्रगति का आकलन करने के लिए प्रत्येक 5 वर्ष में ग्लोबल स्टॉकटेक निर्मित किया जाना था। |
कॉप 22 | 2016 | माराकेच, मोरक्को | सम्मेलन में अफ्रीकी कृषि (एएए) का अनुकूलन प्रारंभ किया गया था। “अनाथ मुद्दों“ पर विचार-विमर्श। |
कॉप 23 | 2017 | बॉन, जर्मनी। (फिजी की अध्यक्षता में) | एक जेंडर एक्शन प्लान आरंभ किया गया था। ओशन पाथवे पार्टनरशिप शुरू की गई, तलानोआ डायलॉग, पॉवरिंग पास्ट कोल एलायंस। |
कॉप 24 | 2018 | काटोवाइस, पोलैंड | —— |
कॉप 25 | 2019 | मैड्रिड, स्पेन | सैंटियागो नेटवर्क की स्थापना। |
कॉप 26 | 2021 | ग्लासगो, यूके | ग्लासगो शिखर सम्मेलन |