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विश्व में आंतरिक विस्थापन: प्रासंगिकता
- जीएस 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
आंतरिक विस्थापन: प्रसंग
- हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली) ने आंतरिक विस्थापन संकटों को बेहतर ढंग से हल करने, रोकने तथा संबोधित करने हेतु आंतरिक विस्थापन पर कार्य एजेंडा का विमोचन किया है।
आंतरिक विस्थापन पर कार्य एजेंडा: प्रमुख बिंदु
- कार्रवाई एजेंडा संयुक्त राष्ट्र प्रणाली द्वारा 31 प्रतिबद्धताओं को निर्धारित करता है एवं इसमें सदस्य राज्यों, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों, निजी क्षेत्र तथा अन्य प्रतिभागियों का आह्वान करना सम्मिलित है।
- आंतरिक प्रवास के लिए विकास, शांति निर्माण, मानवाधिकार, जलवायु कार्रवाई एवं आपदा जोखिम कम करने के प्रयासों को सम्मिलित कर एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
आंतरिक विस्थापन पर कार्य एजेंडा: क्यों आवश्यक है?
- संघर्षों एवं आपदाओं में वृद्धि के साथ, विगत 10 वर्षों में इंटरनली डिस्प्लेस्ड पर्संस IDPs (आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति) की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है, महिलाओं, बच्चों और उपेक्षित समूहों को प्रायः सर्वाधिक प्रभाव का सामना करना पड़ता है।
- विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो जलवायु परिवर्तन के कारण 2050 तक मात्र छह क्षेत्रों में 200 मिलियन से अधिक लोगों को आंतरिक रूप से स्थानांतरित करने हेतु बाध्य किया जा सकता है।
- रूसी यूक्रेन युद्ध ने 13 मिलियन लोगों को उनके घरों एवं समुदायों से बाहर निकाल दिया है, जिनमें से लगभग दो-तिहाई यूक्रेन में निवास करते हैं।
- लोगों के इस तेजी से बढ़ते इस संवेदनशील समूह की दुर्दशा मानवीय मुद्दे से कहीं अधिक हो गई है।
आंतरिक विस्थापन पर कार्य एजेंडा: एजेंडा लक्ष्य
आंतरिक विस्थापन पर कार्य एजेंडा के मोटे तौर पर तीन लक्ष्य हैं। नीचे दिए गए तीन लक्ष्य आपस में अंतर्संबंधित हैं एवं उनमें से किसी के भी अस्पष्ट होने पर कोई समाधान प्रभावी नहीं हो सकता है।
- आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों को स्थायी समाधान खोजने में सहायता करने हेतु
- भावी विस्थापन संकटों को बेहतर ढंग से रोकने हेतु
- वर्तमान में विस्थापन का सामना कर रहे लोगों के लिए मजबूत सुरक्षा एवं सहायता सुनिश्चित करना।
आंतरिक विस्थापन पर कार्य एजेंडा: सिफारिशें
- प्रथम लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब सभी आयु, लिंग एवं विविधता के आईडीपी के अधिकारों तथा अभिकरणों को मान्यता प्रदान की जाए।
- आईडीपी को यह चयन करने का अधिकार प्रदान किया जाना चाहिए कि उनके लिए सबसे अच्छा क्या है एवं उन्हें उन निर्णयों में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए जो उन्हें प्रभावित करेंगे।
- उपयुक्त विस्थापन के धारणीय समाधान को सुगम बनाने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्यों की है।
- स्थानीय एवं नगरीय प्राधिकारियों की ओर से अधिक कार्रवाई एवं समर्थन की आवश्यकता है क्योंकि आईडीपी तीव्र गति से संपूर्ण विश्व में शहरी क्षेत्रों में बस रहे हैं तथा निवास कर रहे हैं।
- भविष्य के संकटों को रोकने के लिए, संघर्ष, नए सिरे से हिंसा या नागरिकों के लिए खतरों के आरंभिक संकेत होने पर डी-एस्केलेशन, राजनीतिक वार्ता संघर्ष समाधान का समर्थन करने के लिए तेजी से कार्रवाई करें।
आंतरिक विस्थापन का अर्थ
- आंतरिक विस्थापन से तात्पर्य उस देश के भीतर लोगों के प्रेरित आवागमन से है, जिसमें निवास करते हैं।
- 2019 के अंत तक, 50.8 मिलियन लोग संघर्ष, हिंसा एवं आपदाओं के कारण आंतरिक विस्थापन में निवास कर रहे थे।
भारत में आंतरिक विस्थापन
- आंतरिक विस्थापन अनुश्रवण केंद्र 2021 के अनुसार, भारत विगत वर्ष लगभग 5 मिलियन आंतरिक विस्थापन का साक्षी बना।
- चीन तथा फिलीपींस के बाद आपदाओं के कारण सर्वाधिक आंतरिक विस्थापन के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है।
- भारत में आईडीपी के उदाहरण
- आदिवासी, जो बड़े बांधों जैसी प्रमुख विकास परियोजनाओं का खामियाजा भुगत रहे हैं
- ओडिशा के सतभाया जैसे तटीय निवासी, जहां सात गांव समुद्र के द्वारा निगले जा रहे थे।
- छत्तीसगढ़ में हजारों आदिवासी जो माओवादियों तथा सलवा जुडूम के संघर्ष के कारण तेलंगाना के खम्मम में पलायन करने हेतु बाध्य हो गए थे।
- भारत में बांध विस्थापित लोगों के लिए एक नीति उपलब्ध है किंतु इसमें राजनीतिक संघर्ष अथवा पर्यावरणीय कारणों से विस्थापित लोगों के लिए एक नीति उपलब्ध नहीं है।