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यूएनसीसीडी का कॉप 15- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, एजेंसियां एवं मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
समाचारों में यूएनसीसीडी का कॉप 15
- हाल ही में, भारत के पर्यावरण मंत्री ने कोटे डी आइवर में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) पक्षकारों के अभिसमय के के पंद्रहवें सत्र (सीओपी 15) में उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
- यूएनसीसीडी के सीओपी 15 में, उन्होंने कहा कि भूमि की देखभाल करने से हमें वैश्विक तापन के विरुद्ध लड़ाई में सहायता मिल सकती है एवं पर्यावरण के लिए जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयास किया जा सकता है।
यूएनसीसीडी के कॉप 15 में भारत
- ऐतिहासिक जिम्मेदारी पर: भारत ने कहा कि विकसित देशों द्वारा उत्सर्जन में तीव्र कमी लाने का नेतृत्व किए बिना लोगों तथा ग्रह दोनों की रक्षा करना संभव नहीं होगा।
- ऐसा इसलिए है क्योंकि वैश्विक तापन (ग्लोबल वार्मिंग) के लिए उनकी जिम्मेदारी ऐतिहासिक एवं वर्तमान परिदृश्य दोनों में सबसे ज्यादा है।
- कोविड-19 का प्रभाव: इसने ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने की चुनौती को बढ़ा दिया है क्योंकि आर्थिक दबावों ने संपूर्ण विश्व में जलवायु कार्रवाई में विलंब या मंद कर दिया है।
- आईपीसीसी रिपोर्ट: इसने बताया कि विश्व अपने शेष कार्बन बजट को तीव्र गति से समाप्त कर रही है, जो हमें पेरिस समझौते की तापमान सीमा के समीप ले जा रही है।
भूमि धारणीयता सुनिश्चित करने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम
- यूएनएफसीसी की भारत की अध्यक्षता के दौरान, भारत ने 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर क्षरित भूमि को प्रत्यावर्तित करने की अपनी प्रतिबद्धता में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
- भारत के भूमि क्षरण तटस्थता लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु अनेक प्रमुख पहलें प्रारंभ की गई हैं एवं वर्तमान कार्यक्रमों को सुदृढ़ किया गया है।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी): भारत ने संपूर्ण देश में लागू मृदा स्वास्थ्य कार्ड कार्यक्रम के माध्यम से अपनी मृदा के स्वास्थ्य के अनुश्रवण में वृद्धि की है।
- 2015 एवं 2019 के मध्य किसानों को 229 मिलियन से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड (सॉइल हेल्थ कार्ड/एसएचसी) कार्यक्रम से रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में 8-10% की गिरावट आई है तथा उत्पादकता में 5-6% की वृद्धि हुई है।
- वर्ल्ड रेस्टोरेशन फ्लैगशिप के लिए नामांकन जमा करने के वैश्विक आह्वान के पश्चात, भारत सरकार ने छह प्रत्यावर्तन फ्लैगशिप का समर्थन किया जो 12.5 मिलियन हेक्टेयर क्षरित भूमि के प्रत्यावर्तन का लक्ष्य रखते हैं।
यूएनसीसीडी के कॉप 15 के बारे में प्रमुख तथ्य
- यूएनसीसीडी के कॉप15 के बारे में: 9 से 20 मई 2022 तक आबिदजान, कोटे डी आइवर में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) के पक्षकारों के अभिसमय (कॉप 15) का पंद्रहवां सत्र आयोजित किया जाएगा।
- कॉप 15 की थीम: कॉप15 थीम, ‘भूमि. जीवन. विरासत: अभाव से समृद्धि की ओर, (लैंड. लाइफ. लेगेसी:फ्रॉम स्कार्सिटी टू प्रोस्पेरिटी) भूमि, इस ग्रह पर जीवन रेखा, वर्तमान एवं आने वाली पीढ़ियों को लाभ पहुंचाती रहे, इसे सुनिश्चित करने हेतु कार्रवाई का आह्वान है।
- भागीदारी: यूएनसीसीडी का कॉप 15 संपूर्ण विश्व की सरकारों, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज कथा अन्य प्रमुख हितधारकों के नेतृत्व कर्ताओं को एक साथ लाएगा।
- अधिदेश: यूएनसीसीडी का कॉप15 भूमि के भविष्य के सतत प्रबंधन में प्रगति को बढ़ावा देगा एवं भूमि तथा अन्य प्रमुख धारणीयता मुद्दों के मध्य संबंधों का पता लगाएगा।
- यूएनसीसीडी कॉप 15 का एजेंडा: सूखा, भूमि प्रत्यावर्तन तथा भूमि अधिकार, लैंगिक समानता एवं युवा सशक्तिकरण जैसे संबंधित प्रवर्तक अभिसमय के एजेंडे में शीर्ष मदों में से हैं।
- महत्व: कॉप15 से भूमि के प्रत्यावर्तन तथा सूखे से निपटने के लिए धारणीय समाधान प्रेरित करने की संभावना है, जिसमें भविष्य-सह्य भूमि उपयोग पर एक मजबूत ध्यान दिया जाएगा।
यूएनसीसीडी के बारे में
- पृष्ठभूमि: मरुस्थलीकरण से निपटने हेतु संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन/यूएनसीसीडी), 1994 में स्थापित किया गया था।
- यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) के बारे में: यूएनसीसीडी पर्यावरण तथा विकास को सतत भूमि प्रबंधन से जोड़ने वाला एकमात्र विधिक रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
- विस्तार क्षेत्र: यूएनसीसीडी कन्वेंशन विशेष रूप से शुष्क, अर्द्ध-शुष्क एवं शुष्क उप-आर्द्र क्षेत्रों को संबोधित करता है, जिन्हें शुष्क भूमि के रूप में जाना जाता है।
- यूएनसीसीडी 2018-2030 नवीन रणनीतिक ढांचा: भूमि क्षरण तटस्थता (लैंड डिग्रेडेशन न्यूट्रैलिटी/LDN) प्राप्त करने के उद्देश्य से यह सर्वाधिक व्यापक वैश्विक प्रतिबद्धता है-
- अवक्रमित भूमि के विशाल विस्तार की उत्पादकता को प्रत्यावर्तित करना,
- 1.3 अरब से अधिक लोगों की आजीविका में सुधार, तथा
- निर्माण के लिए संवेदनशील आबादी पर सूखे के प्रभाव को कम करना।