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यूनिवर्सल बेसिक इनकम: परिभाषा, लाभ एवं हानि 

यूनिवर्सल बेसिक इनकम क्या है?

  • सार्वभौमिक मूलभूत आय (यूनिवर्सल बेसिक इनकम) देश के प्रत्येक नागरिक को धन का आवधिक बिना शर्त हस्तांतरण है।
  • सार्वभौम मूल आय का विचार सर्वप्रथम भारत में आर्थिक सर्वेक्षण 2017 के माध्यम से रखा गया था।

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सार्वभौम मूलभूत आय : प्रायोगिक परियोजना 

यूबीआई को मध्य प्रदेश एवं पश्चिमी दिल्ली में प्रायोगिक आधार पर आरंभ किया गया था। इससे निम्नलिखित लाभ हुए:

  • पोषण में सुधार
  • स्वच्छता में सुधार
  • स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य सेवा में सुधार
  • विद्यालय में उपस्थिति तथा प्रदर्शन में सुधार
  • महिलाओं की स्थिति तथा कल्याण में सुधार
  • विकलांग एवं संवेदनशील समूहों की स्थिति में दूसरों की तुलना में अधिक सुधार हुआ
  • कार्य की मात्रा एवं गुणवत्ता में सुधार हुआ

 

सार्वभौमिक मूलभूत आय (यूनिवर्सल बेसिक इनकम) के लाभ

  • यूबीआई एक व्यक्ति की आर्थिक स्वतंत्रता को सुदृढ़ करता है, जो अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप धन का व्यय कर सकते हैं।
  • UBI बेरोजगारी एवं कोविड-19 जैसी आपात स्थितियों के विरुद्ध एक बीमा के रूप में कार्य करता है।
  • यूबीआई समाज में धन के न्यायसंगत वितरण की दिशा में एक कदम है।
  • यूबीआई के तहत, लाभार्थियों का अभिनिर्धारण करने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह सरकारी मशीनरी को समावेशन तथा अपवर्जन की त्रुटियों से सुरक्षित करता है।
  • यूबीआई विभिन्न सब्सिडी के माध्यम से सरकारी हस्तांतरण में अपव्यय को कम करता है।
  • यूबीआई आबादी के निचले तबके की सौदेबाजी की शक्ति में वृद्धि करता है एवं उन्हें किसी भी कार्य करने की स्थिति को स्वीकार करने हेतु बाध्य नहीं किया जा सकता है।
  • यूबीआई वित्तीय सेवाओं की मांग में वृद्धि करेगा, जिससे वित्तीय समावेशन को सुदृढ़ करने में सहायता  प्राप्त होगी।
  • यूबीआई ऋण माफी का एक संभावित समाधान हो सकता है।

 

यूनिवर्सल बेसिक इनकम के नुकसान

  • यूबीआई की प्रायः आलोचना की जाती है क्योंकि यह निर्भरता उत्पन्न करता है एवं लोगों को अकर्मण्य बनाता है।
  • धन का उपयोग शिक्षा तथा स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में नहीं किया जा सकता है एवं अन्य गैर-उत्पादक क्षेत्रों में स्थानांतरित होने की संभावना है
  • यूबीआई को राज्य के कोष पर वित्तीय बोझ बढ़ाने वाला माना जाता है, इसलिए सरकार की वित्तीय बुद्धिमत्ता प्रश्न उठाता है।
  • आपूर्ति पक्ष की बाधाओं के लिए बेहतर समर्थन के अभाव में, यूबीआई मुद्रास्फीति में वृद्धि करने हेतु बाध्य है।
  • यह कार्य की आवश्यकता को समाप्त कर देता है एवं व्यक्तियों को गलत मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
  • यूबीआई श्रमिकों की उपलब्धता को भी कम कर सकता है क्योंकि श्रमिकों को कार्य करने की आवश्यकता महसूस नहीं हो सकती है।
  • यूबीआई अर्थव्यवस्था की मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं करता है एवं मात्र लक्षणों का उपचार करता है।

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यूनिवर्सल बेसिक इनकम: आगे की राह 

  • यूबीआई को पूर्व में अमेरिका, कनाडा, फिनलैंड, स्पेन इत्यादि देशों में प्रयोग किया जा चुका है।
  • भारत के पास जनता को आर्थिक अभाव, असुरक्षा  तथा दुर्दशा से मुक्त करने के लिए तकनीकी क्षमता  एवं वित्तीय संसाधन उपलब्ध हैं।
  • यूनिवर्सल बेसिक इनकम के उचित कार्यान्वयन के लिए स्थानीय स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षित एवं सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है।
  • यूबीआई को 21वीं सदी की आय पुनर्वितरण योजना के रूप में जाना जाता है।
  • यूनिवर्सल बेसिक कैपिटल लाने की आवश्यकता है। अमूल, सेवा जैसे मॉडल, जहां लोग स्वयं द्वारा सृजित धन का स्वामित्व रखते हैं।
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