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यूएस फेड दर निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करता है? यूपीएससी के लिए व्याख्यायित

अमेरिकी फेड दर निर्णयों की यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता 

यूएस फेड दर के निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करते हैं?: यूएस फेड दर में वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था एवं परिणामस्वरूप भारत के लोगों कोनिरंतर प्रभावित कर रहे हैं। अतः, यूएस फेड दर निर्णय एवं भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा दोनों के लिए  अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए, इसमें जीएस 3 के निम्नलिखित खंड सम्मिलित है: भारत के हितों, भारतीय प्रवासी समूह (डायस्पोरा) पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।

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मामला क्या है?

  • अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में पुनः बढ़ोतरी की है तथा चेतावनी दी है कि मूल्य वृद्धि की तीव्र गति पर नियंत्रण स्थापित करने हेतु और वृद्धि आवश्यक होगी।
  • यूएस फेडरल रिजर्व ने बुधवार को ब्याज दरों में आधा प्रतिशत की बढ़ोतरी की एवं 2023 के अंत तक ऋण लेने की लागत में कम से कम अतिरिक्त 75 आधार अंकों की वृद्धि के साथ-साथ बेरोजगारी में वृद्धि एवं आर्थिक विकास के लगभग ठप होने का अनुमान लगाया।

 

फेडरल रिजर्व सेंट्रल बैंक (फेड) क्या है?

  • फेडरल रिजर्व, जिसे आमतौर परद फेड कहा जाता है, संयुक्त राज्य अमेरिका का केंद्रीय बैंक है एवं विश्व की सर्वाधिक वृहद मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के पीछे स्थित सर्वोच्च वित्तीय प्राधिकरण है।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अमेरिका के प्रभाव के परिमाण के कारण, ‘फेड’ को विश्व के सर्वाधिक प्रभावशाली वित्तीय संस्थानों में से एक माना जाता है।
  • फेडरल रिजर्व सरकार की मौद्रिक नीतियों को स्वतंत्र रूप से एवं बिना विधायी हस्तक्षेप के प्रबंधित करता है।
  • इसके अतिरिक्त, यह एक केंद्रीय बैंक के अन्य सभी कार्य संपादित करता है – बैंक गतिविधियों को विनियमित करना, अमेरिका तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में सर्वेक्षण करना – सभी कार्य वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के सामान्य उद्देश्य के तहत संपादित करता है।
  • फेडरल रिजर्व का मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. में है।

 

यूएस फेड ब्याज दर में वृद्धि क्यों कर रहा है?

  • कोविड-19 एवं यूक्रेन युद्ध जैसे कारकों के कारण अमेरिका तथा यूरोप के कुछ हिस्सों में मुद्रास्फीति बहु-दशकों के उच्च स्तर पर पहुंच गई।
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स/सीपीआई) में मापी गई खुदरा मुद्रास्फीति के रूप में भारत को भी परेशानी का सामना करना पड़ा, जो विगत 10 महीनों से 6 प्रतिशत से ऊपर रही है, जो  भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की स्वीकार्य सीमा का शीर्ष स्तर है।
  • अतः, यूएस फेड दरों में बढ़ोतरी कर रहा है क्योंकि उसे मुद्रास्फीति को नीचे लाना है। क्योंकि जब महंगाई  में वृद्धि होती है तो लोगों को उपभोग के लिए अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है। इससे उनकी क्रय शक्ति कम हो जाती है एवं मांग प्रभावित होती है जो अंततः उत्पादन तथा आर्थिक विकास को प्रभावित करती है।
  • उच्च मुद्रास्फीति कितनी खतरनाक है?: उच्च मुद्रास्फीति कम क्रय शक्ति को प्रेरित करती है जिससे कम खपत होती है परिणामस्वरूप मांग में कमी होती है जिससे उत्पादन कम होता है तथा आर्थिक विकास कम होता है और सबसे बुरी बात यह है कि यह चक्र दोहराता है क्योंकि एक कमजोर अर्थव्यवस्था का अर्थ है कमजोर उत्पादन, कम मजदूरी इत्यादि।
  • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) क्या कहता है?: “मुद्रास्फीति के वातावरण में, असमान रूप से बढ़ती कीमतें अनिवार्य रूप से कुछ उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को कम करती हैं तथा वास्तविक आय का यह क्षरण मुद्रास्फीति की सबसे बड़ी लागत है। मुद्रास्फीति समय के साथ प्राप्तकर्ताओं एवं निश्चित ब्याज दरों के भुगतानकर्ताओं के लिए क्रय शक्ति को विकृत कर सकती है।”
  • अतः, मुद्रास्फीति एक बड़ा खतरा है एवं यह फेड की जिम्मेदारी है कि वह मुद्रास्फीति को स्वीकार्य सीमा के भीतर रखे।

 

उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर अधिक आक्रामक फेड दर कार्रवाई का क्या प्रभाव होगा?

  • यूएस फेड द्वारा दर में वृद्धि के पश्चात, अमेरिका तथा भारत में ब्याज दरों के मध्य अंतर कम हो जाता है जो मुद्रा व्यापार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। डॉलर एवं अमेरिकी ट्रेजरी की स्वीकार्यता अमेरिका में आकर्षक हो जाती है एवं भारतीय बाजार में पूंजी का बहिर्वाह दिखाई देने लगता है।
  • इसके अतिरिक्त, रुपया कमजोर हो जाता है एवं यह भारत में दरों में वृद्धि होने का संकेत देता है।यदि रुपये में भारी गिरावट आती है, तो भारतीय रिजर्व बैंक को घरेलू मुद्रा की सहायता हेतु कुछ डॉलर बेचने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है। यह घरेलू विदेशी मुद्रा भंडार को कम करता है।
  • बाजार को सबसे बड़ा झटका विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली से लगा है। आमतौर पर उभरते हुए बाजार विकसित बाजारों की तुलना में बेहतर प्रतिफल प्रदान करते हैं किंतु जब दरों में वृद्धि की जाती है तो प्रतिफल का परिमाण कम आकर्षक हो जाता है।
  • इस परिदृश्य में, विदेशी निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों से पैसा निकाल लेते हैं एवं अमेरिकी शेयरों में निवेश करते हैं जो अपेक्षाकृत कम अस्थिर होते हैं।
  • फेड द्वारा एक उच्च दर संकेत का तात्पर्य अमेरिका में विकास के लिए कम गति भी होगा, जो वैश्विक विकास के लिए अभी तक एक नकारात्मक खबर हो सकती है, विशेष रूप से जब चीन एक स्थावर संपदा (रियल एस्टेट) संकट के प्रभाव से जूझ रहा है।

 

यूएस फेड दर निर्णयों एवं भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. यूएस फेड क्या है?

उत्तर. फेडरल रिजर्व, जिसे आमतौर पर “द फेड” कहा जाता है, संयुक्त राज्य अमेरिका का केंद्रीय बैंक है एवं विश्व की सर्वाधिक बृहद मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के पीछे स्थित सर्वोच्च वित्तीय प्राधिकरण है।

प्र. उच्च मुद्रास्फीति कितनी खतरनाक है?

उत्तर. उच्च मुद्रास्फीति कम क्रय शक्ति को प्रेरित करती है जिससे कम खपत होती है जिससे मांग में कमी आती है जिससे उत्पादन कम होता है तथा आर्थिक विकास कम होता है एवं सबसे बुरी बात यह है कि यह चक्र दोहराता है क्योंकि एक कमजोर अर्थव्यवस्था का अर्थ है कमजोर उत्पादन, कम मजदूरी इत्यादि।

 

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