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वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल

वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन III- विभिन्न सुरक्षा बल एवं एजेंसियां ​​तथा उनका अधिदेश।

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ऊर्ध्व प्रक्षेपित कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र चर्चा में क्यों है

  • स्वदेशी रूप से विकसित जलपोत-जनित अस्त्र प्रणाली, ऊर्ध्व प्रक्षेपित कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र (वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल) (VL-SRSAM), का ओडिशा में चांदीपुर तट से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन/DRDO) तथा भारतीय नौसेना द्वारा सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया था।

 

वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (VL-SRSAM)

  • वीएल-एसआरएसएएम को भारतीय नौसेना के युद्धपोतों की तैनाती के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के तीन प्रतिष्ठानों द्वारा संयुक्त रूप से डिजाइन तथा विकसित किया गया है।
  • डीआरडीओ के प्रमुख प्रतिष्ठान जिन्होंने इस प्रणाली के विकास में योगदान दिया, वे- रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैबोरेट्री/डीआरडीएल) एवं अनुसंधान केंद्र इमारत (रिसर्च सेंटर इमारत/आरसीआई), दोनों हैदराबाद से तथा पुणे में स्थित अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (इंजीनियर) हैं।
  • मिसाइल में समुद्री-अपमलन लक्ष्यों सहित निकट सीमा पर विभिन्न हवाई खतरों को निष्क्रिय करने की क्षमता है।
  • समुद्री अपमलन (स्किमिंग) की रणनीति का उपयोग विभिन्न जलयान-रोधी प्रक्षेपास्त्र एवं कुछ लड़ाकू जेट विमानों द्वारा किया जाता है ताकि युद्धपोतों पर राडार द्वारा पता लगाने से बचा जा सके एवं इस प्रकार, ये संपत्तियां समुद्र की सतह के जितना नजदीक संभव हो सके उड़ान भरती है एवं इस प्रकार इसका पता लगाना एवं इसे निष्क्रिय करना दुष्कर होता है।

 

वीएल-एसआरएसएएम का डिजाइन

  • प्रक्षेपास्त्र (मिसाइल) को 40 से 50 किमी की दूरी पर एवं लगभग 15 किमी की ऊंचाई पर उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यों पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • इसका डिजाइन अस्त्र मिसाइल पर आधारित है जो एक दृष्टि सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली प्रक्षेपास्त्र (बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल) है।
  • वीएल-एसआरएसएएम की दो प्रमुख विशेषताएं – क्रॉस के आकार के डैने (क्रूसिफॉर्म विंग्स) एवं प्रणोद सदिशन (थ्रस्ट वेक्टरिंग) हैं।
  • क्रॉस के आकार के डैने चार छोटे डैने होते हैं जो चार तरफ एक क्रॉस की भांति व्यवस्थित होते हैं एवं प्रक्षेप्य को एक स्थिर वायुगतिकीय संस्थिति प्रदान करते हैं। थ्रस्ट वेक्टरिंग कोणीय वेग एवं प्रक्षेपास्त्र के ऊंचाई को नियंत्रित करने वाले अपने इंजन से थ्रस्ट की दिशा को परिवर्तित करने की क्षमता है।
  • वीएल-एसआरएसएएम एक कनस्तरीकृत प्रणाली है, जिसका अर्थ है कि इसे विशेष रूप से डिजाइन किए गए कक्षों से संग्रहित एवं संचालित किया जाता है।
  • कनस्तर में, अंदर के वातावरण को नियंत्रित किया जाता है, इस प्रकार इसका परिवहन एवं भंडारण सरल हो जाता है तथा अस्त्रों के जीवनावधि में सुधार होता है।

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महत्व

  • नौसेना युद्ध में, एक युद्धपोत को जलपोत-रोधी मिसाइलों एवं शत्रु विमानों से स्वयं को बचाने के लिए विभिन्न रक्षा तंत्रों को नियोजित करना पड़ता है।
  • सदियों पुरानी विधियों में से एक है चैफ्स – जो संपूर्ण विश्व में दुश्मन के रडार तथा रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) मिसाइल चाहने वालों से नौसेना के जहाजों की रक्षा के लिए उपयोग की जाने वाली एक प्रत्युपाय (काउंटरमेजर) तकनीक है।
  • एक अन्य विधि जलपोत रोधी प्रक्षेपास्त्रों (एंटी-शिप मिसाइलों) का मुकाबला करने के लिए प्रक्षेपास्त्रों को तैनात करना है। इन प्रणालियों में एक त्वरित पहचान तंत्र, त्वरित प्रतिक्रिया, उच्च गति एवं उच्च गतिशीलता होनी चाहिए।
  • वीएल-एसआरएसएएम स्वयं में इन सभी गुणों के होने का दावा करता है।

 

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