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विझिनजाम बंदरगाह परियोजना: यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता
विझिनजाम बंदरगाह परियोजना: विझिनजाम बंदरगाह परियोजना का विरोध कर रहे मछुआरे सुर्खियों में हैं। विझिनजाम बंदरगाह परियोजना यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- भारत के विभिन्न क्षेत्रों में शासन के मुद्दे) के लिए महत्वपूर्ण है।
विझिनजाम बंदरगाह परियोजना चर्चा में क्यों है?
- विझिंजम विगत चार महीनों से उबाल पर है, प्रदर्शनकारियों के साथ मुख्य रूप से मछुआरे एवं उनके परिवार निर्माणाधीन विझिनजाम बंदरगाह की घेराबंदी कर रहे हैं।
- लैटिन महाधर्मप्रांत के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी अडानी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बंदरगाह के निर्माण कार्य को रोकने की मांग कर रहे हैं।
विझिनजाम बंदरगाह के बारे में
- विझिनजाम बंदरगाह भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर पर अवस्थित है, जो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्ग एवं पूर्व-पश्चिम नौवहन अक्ष से सिर्फ 10 समुद्री मील दूर है।
- विझिनजाम बंदरगाह में तट से एक समुद्री मील के भीतर 20 मीटर से अधिक की प्राकृतिक जल गहराई है, जो इसे बंदरगाह के लिए एक अच्छा प्रत्याशी बनाती है।
मछुआरे विझिनजाम बंदरगाह परियोजना का विरोध क्यों कर रहे हैं?
- प्रदर्शनकारियों के अनुसार, बंदरगाह के काम ने तिरुवनंतपुरम के तट के साथ तटीय कटाव को बढ़ा दिया है।
- उन्होंने सात मांगें प्रस्तुत की हैं जिनमें बंदरगाह के निर्माण को रोकने के बाद तटरेखा पर बंदरगाह के काम के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक वैज्ञानिक अध्ययन शामिल है।
- इसके अतिरिक्त, उच्च तीव्रता वाले तटीय कटाव के कारण उनके घरों के नष्ट होने के बाद, समुद्र तट के साथ लगभग 300 परिवारों को राहत शिविरों में स्थानांतरित कर दिया गया था।
- प्रदर्शनकारी इस क्षेत्र में मछुआरों के लिए एक व्यापक पुनर्वास पैकेज की मांग कर रहे हैं, खराब मौसम के कारण समुद्र के खराब होने पर सुनिश्चित न्यूनतम मजदूरी एवं नावों के लिए सब्सिडी वाले किरासन तेल (मिट्टी के तेल) की मांग कर रहे हैं।
क्या इससे तटीय क्षरण बढ़ा है?
- एक तट के साथ सभी प्रकार के निर्माण कार्य, समुद्र के कटाव (समुद्र तट का नुकसान) एवं अभिवृद्धि (समुद्र तट का लाभ) को बढ़ाते हैं।
- कोई भी संरचना – चाहे वह पुलिन रोध (ग्रोइन) हो, समुद्री तटबंध (सीवॉल) हो अथवा तरंग रोध (ब्रेकवाटर) हो – एक तरफ कटाव को तेज करता है एवं दूसरी तरफ संचयन करता है।
- यद्यपि तटीय कटाव केरल के सभी तटीय जिलों में प्रमुख है, यह तिरुवनंतपुरम के समुद्र तट के साथ अधिक गंभीर है।
- नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट, सोसायटी ऑफ इंटीग्रेटेड कोस्टल मैनेजमेंट एवं पर्यावरण तथा वन मंत्रालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया था कि बंदरगाह निर्माण के पूर्व भी त्रिशूर में कटाव न्यूनतम (1.5%) एवं तिरुवनंतपुरम में अधिकतम (23%) है।
- केरल के मामले में, मानसून के महीनों के दौरान मौसमी तटरेखा परिवर्तन अधिक गंभीर होंगे, क्योंकि उच्च ऊर्जा वाली छोटी तूफानी लहरें तट से लगभग एक लंबवत स्थिति में टकराती हैं, जो अपतटीय रेत को गतिमान करती हैं।
- राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) एवं तट रेखा निगरानी प्रकोष्ठ (शोरलाइन मॉनिटरिंग सेल) द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति की नवीनतम रिपोर्ट में पाया गया कि वेलियथुरा, संघुमुघम एवं पुंथुरा जैसे स्थानों में कटाव बंदरगाह निर्माण (दिसंबर 2015) के प्रारंभ होने से पूर्व एवं बाद में वैसा ही बना रहा।
- यद्यपि, अक्टूबर 2020-सितंबर 2021 की अवधि के दौरान, वलियाथुरा के उत्तर में कोचुवेली एवं चेरियाथुरा जैसे स्थानों को कटाव का सामना करना पड़ा।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में चक्रवात ओखी के बाद अरब सागर के ऊपर बने चक्रवातों की अपेक्षाकृत उच्च संख्या हाल के कटाव एवं संचयन का प्रमुख कारण थी एवं यह कि तट के दोनों ओर बंदरगाह गतिविधि का प्रभाव कम महत्व रखता था।
क्या है सरकार का रुख?
- केरल सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि चूंकि विभिन्न एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण तटीय क्षरण हुआ है, अतः बंदरगाह निर्माण को रोकने की मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
- अधिकारियों का तर्क है कि विझिनजाम बंदरगाह एक प्राकृतिक तलछट कोष्ठक के अंदर निर्मित किया जा रहा है, जो एक पॉकेट जैसा क्षेत्र है, जिसमें तट के साथ रेत की आवाजाही में रुकावटें आसन्न तटरेखा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित नहीं करती हैं।
विझिनजाम परियोजना का महत्व
- विझिनजाम बंदरगाह के देश एवं केरल के समुद्री विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना है।
- बंदरगाह से केरल एवं अन्य क्षेत्रीय बंदरगाहों में छोटे बंदरगाहों के विकास का लाभ उठाने की संभावना है, जिससे रोजगार के हजारों अवसर सृजित होंगे।