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जल घोषणा-पत्र

जल घोषणा पत्र: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

 

जल घोषणा पत्र: प्रसंग

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) ने हाल ही में एसडीजी 6 के क्रियान्वयन में तीव्रता लाने हेतु एक जल घोषणा पत्र का समर्थन किया है।

 

जल घोषणा पत्र: मुख्य बिंदु

  • जल घोषणा पत्र के साथ, डब्लूएमओ ने एसडीजी 6 के क्रियान्वयन  में तीव्रता लाने हेतु जल एवं जलवायु गठबंधन का भी  अनुमोदन किया है।
  • डब्ल्यूएचओ ने जल विज्ञान के लिए एक नवीन दृष्टि एवं रणनीति तथा संबंधित कार्य योजना को भी स्वीकृति प्रदान की है।

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जल घोषणा महत्वाकांक्षाएं

  • 2030 तक, बाढ़ एवं सूखे से संबंधित शीघ्र कार्रवाईहेतु पूर्व चेतावनियाँ विश्व के सभी व्यक्तियों तक अधिगम हेतु उपलब्ध होंगी;
  • लोगों के लिए अधिकतम लाभ प्राप्त करने हेतु सतत विकास एजेंडा के अंतर्गत विकसित जल एवं जलवायु कार्रवाई के लिए नीतियों को एकीकृत किया जाना चाहिए;
  • क्षमता विकास, ज्ञान के आदान-प्रदान और सूचना साझा करने, नीतियां निर्मित करने, संस्थागत एवं कानूनी/नियामक संरचना हेतु साझेदारी के माध्यम से लक्ष्यों का अनुकरण किया जाएगा।

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जल एवं जलवायु गठबंधन

  • डब्लूएमओ ने एकीकृत जल विज्ञान संबंधी (हाइड्रोलॉजिकल), निम्न तापमंडल (क्रायोस्फीयर), मौसम विज्ञान एवं जलवायविक सूचनाओं के साझाकरण एवं अधिगम को प्रोत्साहन देने हेतु जल एवं जलवायु गठबंधन का भी अनुमोदन किया है।
  • इसका उद्देश्य स्थानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय एवं नदी द्रोणी (बेसिन) स्तर पर लोचशील एवं सतत जल संसाधन प्रणालियों की योजना निर्मित करना एवं उनका संचालन करना है।
  • इसका उद्देश्य जल से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों, विशेष रूप से एसडीजी 6 के लक्ष्यों की प्रगति में तेजी लाना एवं भविष्य के लिए जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ जनसांख्यिकीय एवं सामाजिक आर्थिक विकास हेतु लोचशील जल अनुकूलन को बढ़ावा देना है।
  • जल एवं जलवायु गठबंधन को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन वार्ता, कॉप 26 में प्रस्तुत किया जाएगा।

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जल विज्ञान कार्य योजना

  • डब्ल्यूएचओ ने आठ दीर्घकालिक महत्वाकांक्षाओं के लक्ष्य परिणामों का अभिनिर्धारण किया है।

 

बाढ़

  • व्यापक एकीकृत बाढ़ प्रबंधन रणनीति के संदर्भ में बाढ़ पूर्वानुमान के लिए प्रभाव-आधारित आद्योपान्त पूर्व चेतावनी प्रणालियां (एंड-टू-एंड अर्ली वार्निंग सिस्टम) (ईडब्ल्यूएस) होना चाहिए।
  • जनता, समुदायों एवं व्यवसायों के पास स्थानीय एवं वैश्विक स्तर पर आधिकारिक राष्ट्रीय बाढ़ पूर्वानुमानों एवं चेतावनियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने हेतु बेहतर अभिगम एवं बेहतर क्षमता होनी चाहिए।

जल क्षेत्र में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियां

सूखा

  • सदस्यों को एकीकृत सूखा प्रबंधन प्रणाली लागू करके सभी स्तरों पर सूखे के प्रतिकूल प्रभावों को कम करना चाहिए।

 

खाद्य सुरक्षा

  • क्षेत्रीय से लेकर स्थानीय तक सभी स्तरों पर अवगत अंतिम-उपयोगकर्ताओं के निर्णयों द्वारा खाद्य सुरक्षा का अभिवर्धन किया जाना चाहिए
  • खाद्य उत्पादन को समर्थन देने के लिए जल का उपयोग एवं आवंटन सहित एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (आईडब्ल्यूआरएम) की अवधारणा का व्यापक रूप से पालन किया जाना चाहिए।

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आंकड़े

  • आंकड़ों की अभिगम्यता (डेटा एक्सेसिबिलिटी), उपयोगिता एवं विश्वसनीयता का मूल्य, विज्ञान के विकास के लिए एक दृढ़ संचालक सिद्ध हुआ है।
  • वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए उच्च गुणवत्ता वाले जल विज्ञान एवं जल-मौसम विज्ञान संबंधी आंकड़ों की अन्वेषण-योग्यता, उपलब्धता एवं उपयोग में वृद्धि की जानी चाहिए।

 

संक्रियात्मक जल विज्ञान

  • अनुसंधान एवं क्रियाशील जल विज्ञान अनुप्रयोगों के मध्य अंतराल कम होना चाहिए;  क्रियाशील जल विज्ञान, पृथ्वी प्रणाली विज्ञान की बेहतर समझ का उपयोग करता है।

 

जल संसाधनों से संबंधित आंकड़े

  • प्रौद्योगिकी एवं नीति में प्रगति के बावजूद, हम संपूर्ण विश्व में जल प्रबंधन की स्थिति के बारे में व्यापक सूचनाओं की प्राप्ति से बहुत दूर हैं।
  • सदस्यों को विश्वसनीय जल संसाधन मूल्यांकन प्रणालियों को क्रियान्वित करना चाहिए एवं जल संसाधनों की उपलब्धता के बारे में सूचनाओं को पूरा करने एवं साझा करने हेतु इनका उपयोग करना चाहिए।

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सतत विकास

  • जल संयुक्त राष्ट्र सतत विकास एजेंडा के केंद्र में है
  • पर्याप्त समाधान, गुणवत्ता एवं समयबद्धता की जल विज्ञान संबंधी सूचनाएं उपलब्ध होनी चाहिए एवं सभी स्तरों पर सतत विकास पर सुविचारित निर्णय लेने हेतु उपयोग की जानी चाहिए।

 

 जल की गुणवत्ता

  • जल की गुणवत्ता जल चक्र का एक अभिन्न अंग है
  • जल गुणवत्ता अनुश्रवण एवं जल गुणवत्ता आंकड़ा विनिमय पर राष्ट्रीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्तर पर सहयोग में वृद्धि करनी चाहिए

 

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