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भारत में आर्द्रभूमियां- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 3: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।
भारत में आर्द्रभूमियां चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, कुल 15 भारतीय आर्द्रभूमि स्थलों को रामसर अभिसमय के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व के रामसर स्थलों के रूप में नामित किया गया था।
- अब तक, 12,50,361 हेक्टेयर क्षेत्र को आच्छादित करने वाली 64 आर्द्रभूमियों को भारत से अंतर्राष्ट्रीय महत्व के रामसर स्थलों के रूप में नामित किया गया है।
- 64 रामसर स्थलों में से 38 को विगत 7 वर्षों में, अर्थात 2014 से अब तक नामित किया गया था।
भारत में आर्द्रभूमि क्या है?
- आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम 2017 के अनुसार, दलदल, पंकभूमि (फेन), पीट भूमि अथवा चल का एक क्षेत्र; चाहे प्राकृतिक हो या कृत्रिम, स्थायी अथवा अस्थायी, जल के साथ जो स्थिर हो या प्रवाहित हो रहा हो, स्वच्छ, खारा अथवा लवणीय, समुद्री जल के क्षेत्रों सहित, जिसकी गहराई निम्न ज्वार पर छह मीटर से अधिक नहीं होती है, को आर्द्रभूमि माना जाता है।
भारत में आर्द्रभूमियां- आर्द्रभूमि के अंतर्गत क्षेत्र
- नेशनल वेटलैंड इन्वेंटरी एंड असेसमेंट, 2011 के अनुसार, अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र- इसरो अहमदाबाद ने देश भर में लगभग 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को आच्छादित करने वाले लगभग 2.0 लाख जल निकायों / आर्द्रभूमियों (> 2.25 हेक्टेयर) की पहचान की।
- इनमें झील/तालाब, गोखुर झीलें, उच्च उन्नतांश एवं नदीय आर्द्रभूमि, जलभराव वाले क्षेत्र, टैंक, जलाशय, लैगून, क्रीक, रेत समुद्र तट, प्रवाल, मैंग्रोव, पंक मैदान, लवण बेसिन, जलीय कृषि तालाब, लवणीय कच्छ इत्यादि सम्मिलित हैं।
भारत में आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए नियामक ढांचा
- पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम, 2017 को संपूर्ण देश में आर्द्रभूमियों के संरक्षण तथा प्रबंधन हेतु एक नियामक ढांचे के रूप में अधिसूचित किया है।
- इसका उद्देश्य आर्द्रभूमियों के पारिस्थितिक स्वरूप का, इसके बुद्धिमत्ता पूर्ण उपयोग को प्रतिबंधित किए बिना संरक्षण, प्रबंधन एवं अनुरक्षण करना है।
जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय योजना (एनपीसीए)
- जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय योजना (एनपीसीए) के बारे में: केंद्र सरकार एवं संबंधित राज्य सरकारों के मध्य साझा लागत के आधार पर देश में चिन्हित आर्द्रभूमियों (झीलों सहित) के संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए एनपीसीए को क्रियान्वित किया जा रहा है।
- कार्यान्वयन मंत्रालय: पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ़ एनवायरनमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज/एमओईएफ एंड सीसी) जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों ( नेशनल प्लान फॉर कंजर्वेशन ऑफ एक्वेटिक इकोसिस्टम्स/एनपीसीए) के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय योजना को लागू कर रहा है।
- विस्तार क्षेत्र: इस योजना में विभिन्न गतिविधियों को सम्मिलित किया गया है जैसे-
- अपशिष्ट जल का अंतर्रोधन, विपथन एवं उपचार,
- तटरेखा संरक्षण,
- झील के किनारे का विकास,
- स्वस्थाने (इन-सीटू) सफाई अर्थात गाद निकालना एवं अपतृणन (निराई करना),
- तूफानी जल का प्रबंधन,
- जैव उपचार,
- जलग्रहण क्षेत्र उपचार,
- झील का सौंदर्यीकरण,
- सर्वेक्षण एवं सीमांकन, जैव बाड़ लगाना,
- मत्स्य पालन विकास,
- खरपतवार नियंत्रण,
- जैव विविधता संरक्षण,
- शिक्षा एवं जागरूकता निर्माण,
- सामुदायिक भागीदारी, इत्यादि।
एनपीसीए का कार्यान्वयन
- आर्द्रभूमियों के संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए संक्षिप्त दस्तावेज तैयार करने, पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य कार्ड भरने, आर्द्रभूमि मित्र का गठन करने एवं स्वास्थ्य तथा विशिष्ट खतरों का सामना करने के आधार पर एकीकृत प्रबंधन योजना तैयार करने का चार-आयामी दृष्टिकोण उपस्थित है।
- एनपीसीए योजना के तहत, केंद्रीय सहायता, राज्य सरकारों से एकीकृत प्रबंधन योजनाओं के रूप में प्राप्त प्रस्तावों पर आधारित है, जिसमें संक्षिप्त दस्तावेज, दिशानिर्देशों तथा बजट उपलब्धता के अनुरूप हैं।
- प्रदर्शन: अब तक, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ़ एनवायरनमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज/एमओईएफ एंड सीसी) ने देश भर में 164 आर्द्रभूमियों के संरक्षण के प्रस्तावों को अपनी स्वीकृति प्रदान की है एवं केंद्रीय अंश के रूप में लगभग 1066.43 करोड़ रुपये की राशि जारी की है।
- आर्द्रभूमियों के लिए समर्पित वेब पोर्टल (https:// indianwetlands.in): यह निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचना एवं ज्ञान मंच है-
- ज्ञान साझा करने की सुविधा प्रदान करना,
- सूचना प्रसार,
- आयोजक क्षमता निर्माण सामग्री, एवं
- सूचना को संसाधित करने तथा इसे एक कुशल एवं सुलभ विधि द्वारा हितधारकों को उपलब्ध कराने के लिए एकल-बिंदु पहुंच आंकड़ा कोष (डेटा रिपोजिटरी) प्रदान करना।
सेंटर फॉर वेटलैंड्स कंजर्वेशन एंड मैनेजमेंट (CWCM)
- सेंटर फॉर वेटलैंड्स कंजर्वेशन एंड मैनेजमेंट (CWCM) के बारे में: पर्यावरण मंत्रालय के नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट (NCSCM) के तहत सेंटर फॉर वेटलैंड्स कंजर्वेशन एंड मैनेजमेंट (CWCM) की स्थापना की गई है।
- शासनादेश:
- एक ज्ञान केंद्र के रूप में सेवा प्रदान करने एवं आर्द्रभूमि उपयोगकर्ताओं, प्रबंधकों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं तथा चिकित्सकों के मध्य ज्ञान के आदान-प्रदान को सक्षम करने के लिए एवं
- विशेष रूप से आर्द्रभूमियों से संबंधित नीति एवं नियामक ढांचे, प्रबंधन योजना, अनुश्रवण एवं लक्षित अनुसंधान के डिजाइन तथा कार्यान्वयन में राष्ट्रीय एवं राज्य / केंद्रशासित प्रदेश सरकारों की सहायता करना।