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यूपीएससी के लिए भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (IBFPL) का महत्व
भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (IBFPL) यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 के समसामयिकी खंड के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (IBFPL) यूपीएससी मुख्य परीक्षा जीएस 2 पाठ्यक्रम: भारत एवं उसका पड़ोस, द्विपक्षीय समूह तथा समझौते, भारत से जुड़े एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समूह एवं समझौते के लिए भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (IBFPL) चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रस्तावित भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (IBFPL) परियोजना के माध्यम से 2023 तक भारत से तेल आयात करने की आशा व्यक्त की।
- उन्होंने 20 नवंबर, 2022 को ढाका में अपने आधिकारिक गणभवन निवास पर असम विधानसभा के अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी के साथ बैठक के दौरान यह टिप्पणी की।
भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (IBFPL) की पृष्ठभूमि
- भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 18 सितंबर, 2018 को 130 किलोमीटर (80.7-मील) भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (आईबीएफपीएल) परियोजना के लिए, आयातित ईंधन तेल के परिवहन की सुविधा प्रदान करने तथा बांग्लादेश के लिए इसकी परिवहन लागत कम करने के लिए निर्माण कार्य का उद्घाटन किया।
- इस परियोजना को इस वर्ष दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। सितंबर में, दोनों देशों के अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि परियोजना का 90% से अधिक भाग पूरा हो चुका है।
भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (IBFPL) क्या है?
- 130 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (IBFPL) परियोजना का उद्देश्य पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी विपणन टर्मिनल से तेल उत्पादों का आयात करना है।
- वर्तमान में, बांग्लादेश द्वारा आयातित ईंधन तेल को पहले चट्टोग्राम जिले में देश के मुख्य बंदरगाह पर जहाजों से उतारा जाता है तत्पश्चात फिर टैंकरों द्वारा देश के अन्य हिस्सों में ले जाया जाता है, जो अधिक समय लेने वाली तथा महंगी होती है।
- भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (IBFPL) परियोजना पश्चिम बंगाल राज्य में भारत के सिलीगुड़ी विपणन टर्मिनल से बांग्लादेश को ईंधन तेल उत्पादों का निर्यात करने में सक्षम बनाएगी।
- भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (IBFPL) असम स्थित नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (NRL) से सिलीगुड़ी विपणन टर्मिनल के माध्यम से बांग्लादेश को ईंधन निर्यात करेगा।
- 130 किलोमीटर लंबी तेल पाइपलाइन की क्षमता प्रति वर्ष एक मिलियन मीट्रिक टन होगी।
- ढाका-दिल्ली समझौते के अनुसार, पहले चरण में पाइपलाइन के जरिए 15 वर्ष तक ईंधन तेल की ढुलाई की जाएगी एवं देशों की आम सहमति पर अवधि का विस्तार किया जाएगा।
- बांग्लादेश में ईंधन संकट को ध्यान में रखते हुए, इस परियोजना से दोनों देशों के मध्य दीर्घकालिक व्यापार विकास एवं द्विपक्षीय संबंधों को प्रोत्साहन प्राप्त होने की संभावना है।
आगे की राह
- भारत-बांग्लादेश के मध्य द्विपक्षीय व्यापार में निरंतर वृद्धि हुई है।
- 2020 में, वर्ष-प्रति-वर्ष 14% की वृद्धि हुई, जो प्राप्त करने के लिए एक अत्यंत ही उत्साहजनक आंकड़ा है।
- भारत को बांग्लादेश का निर्यात अरबों डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है एवं यह बहुत स्थिर आधार पर वृद्धि कर रहा है।
- 2021-22 में, बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत के लिए सबसे बड़ा व्यापार भागीदार एवं संपूर्ण विश्व में भारतीय निर्यात के लिए चौथा सबसे बड़ा गंतव्य बनकर उभरा है।
- चूंकि दोनों पक्ष व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (कंप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट) के लिए भी वार्ता कर रहे हैं।
भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन परियोजना के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन परियोजना क्या है?
उत्तर. 2018 में हस्ताक्षरित भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन परियोजना, भारत में पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी एवं बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले के परबतीपुर को जोड़ेगी।
प्र. ईंधन तेल पर ढाका-दिल्ली समझौता क्या है?
उत्तर. ढाका-दिल्ली समझौते के अनुसार, पहले चरण में पाइपलाइन के माध्यम से 15 वर्ष के लिए ईंधन तेल बांग्लादेश पहुंचाया जाएगा एवं देशों की सहमति पर अवधि का विस्तार किया जाएगा।