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सार्क मुद्रा विनिमय व्यवस्था (सार्क करेंसी स्वैप फ्रेमवर्क) क्या है? |भारतीय रिजर्व बैंक ने करार के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए

सार्क करेंसी स्वैप फ्रेमवर्क की यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता

सार्क करेंसी स्वैप फ्रेमवर्क क्या है?: एक मुद्रा विनिमय व्यवस्था (करेंसी स्वैप फ्रेमवर्क) एक समझौता है जिसमें दो पक्ष एक ऋण की मूल राशि एवं मूलधन के लिए एक मुद्रा में ब्याज तथा अमेरिकी डॉलर के लिए दूसरी मुद्रा में ब्याज का आदान-प्रदान करते हैं। सार्क मुद्रा विनिमय व्यवस्था (सार्क करेंसी स्वैप फ्रेमवर्क) यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा दोनों के लिए प्रासंगिक है।

सार्क मुद्रा विनिमय व्यवस्था में अर्थव्यवस्था खंड एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध खंड दोनों सम्मिलित हैं। इसमें शामिल है – जीएस 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते। इसमें – जीएस 3: अर्थव्यवस्था भी शामिल है।

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सार्क मुद्रा विनिमय व्यवस्था की पृष्ठभूमि

  • सार्क मुद्रा विनिमय व्यवस्था 15 नवंबर, 2012 को लागू हुआ। जनवरी 2019 में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2 बिलियन अमरीकी डालर की सुविधा के समग्र आकार के भीतर संचालित एवं इसके संचालन के तौर-तरीकों के संबंध में नम्यता में निर्मित 400 मिलियन अमरीकी डालर की राशि के ‘रक्षित विनिमय’ (स्टैंडबाय स्वैप) को शामिल करने के लिए ‘सार्क सदस्य देशों के लिए मुद्रा विनिमय व्यवस्था पर रूपरेखा’ में संशोधन के लिए कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान की थी।
  • 2020 में, भारतीय रिजर्व बैंक ने श्रीलंका को 400 मिलियन डॉलर की मुद्रा विनिमय सुविधा प्रदान करने के लिए एक समान समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

 

सार्क मुद्रा विनिमय व्यवस्था चर्चा में क्यों है?

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सार्क मुद्रा विनिमय व्यवस्था के अंतर्गत मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण (मालदीव मॉनेटरी अथॉरिटी/MMA) के साथ सार्क मुद्रा विनिमय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • सार्क सदस्य कौन हैं?: अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान एवं श्रीलंका सार्क समूह का हिस्सा हैं।
  • द्विपक्षीय स्वैप व्यवस्था क्या है?: द्विपक्षीय विनिमय व्यवस्था (बाईलेटरल स्वैप एग्रीमेंट/बीएसए) एक दो- पक्षीय व्यवस्था है जहां दोनों अधिकारी अमेरिकी डॉलर के बदले अपनी स्थानीय मुद्राओं की अदला-बदली कर सकते हैं।

 

मुद्रा विनिमय व्यवस्था (करेंसी स्वैप फ्रेमवर्क) क्या है?

  • किन्हीं देशों के मध्य मुद्रा विनिमय व्यवस्था पूर्व निर्धारित नियमों एवं शर्तों के साथ मुद्राओं के आदान-प्रदान  हेतु किया जाने वाला एक समझौता है।
  • विनिमय के प्रारंभ में, समतुल्य मूल राशियों को स्पॉट रेट पर आदान प्रदान किया जाता है।
  • विनिमय की अवधि के दौरान प्रत्येक पक्ष विनिमय की गई मूल ऋण राशि पर ब्याज का भुगतान करता है।
  • विनिमय के अंत में, मूल राशि की अदला-बदली या तो प्रचलित स्पॉट रेट पर अथवा पूर्व-सहमति दर, जैसे कि मूलधन के मूल विनिमय की दर पर की जाती है। मूल दर का उपयोग करने से विनिमय पर लेन-देन का जोखिम दूर हो जाएगा।
  • मुद्रा विनिमय का उपयोग विदेशी मुद्रा ऋणों को बेहतर ब्याज दर पर प्राप्त करने के लिए किया जाता है, जो किसी कंपनी को प्रत्यक्ष रूप से विदेशी बाजार में ऋण लेकर अथवा विदेशी मुद्रा ऋणों पर प्रतिरक्षा (हेजिंग) जोखिम की एक विधि के रूप में प्राप्त हो सकता है, जिसे उसने पहले ही निकाल लिया है।

 

भारत (RBI)-मालदीव (MMA) समझौते से क्या बदलेगा?

  • भारत (RBI)-मालदीव (MMA) समझौता अल्पावधि विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं के लिए धन की बैकस्टॉप लाइन के रूप में मालदीव विनिमय समर्थन प्रदान करेगा।
  •  यह अल्पकालिक विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं के लिए वित्तपोषण की बैकस्टॉप लाइन के रूप में विनिमय समर्थन प्रदान करना है।
  • यह समझौता मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण (MMA) को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से अधिकतम 200 मिलियन अमरीकी डालर तक की कई किश्तों में निकासी करने में सक्षम करेगा।

 

सार्क मुद्रा विनिमय व्यवस्था के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. सार्क सदस्य कौन हैं?

उत्तर. अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान एवं श्रीलंका सार्क समूह का हिस्सा हैं।

प्र. सार्क मुद्रा विनिमय समझौता कब संचालन में आया?

उत्तर. सार्क मुद्रा विनिमय व्यवस्था 15 नवंबर, 2012 को लागू हुआ।

प्र. मुद्रा विनिमय व्यवस्था क्या है?

उत्तर. किन्हीं देशों के मध्य मुद्रा विनिमय व्यवस्था पूर्व निर्धारित नियमों एवं शर्तों के साथ मुद्राओं के आदान-प्रदान  हेतु किया जाने वाला एक समझौता है।

प्र. द्विपक्षीय विनिमय व्यवस्था क्या है?

उत्तर. द्विपक्षीय विनिमय व्यवस्था (बाईलेटरल स्वैप एग्रीमेंट/बीएसए) एक दो- पक्षीय व्यवस्था है जहां दोनों अधिकारी अमेरिकी डॉलर के बदले अपनी स्थानीय मुद्राओं की अदला-बदली कर सकते हैं।

 

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