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स्काईग्लो प्रकाश प्रदूषण क्या है?

स्काईग्लो प्रकाश प्रदूषण

स्काईग्लो प्रकाश प्रदूषण: नए शोध बताते हैं कि विगत एक दशक में आकाश में हम अपनी नग्न आंखों से जितने तारे देखते हैं, उनमें काफी कमी आई है। इसका कारण संपूर्ण विश्व में “स्काईग्लो प्रकाश प्रदूषण” है। ‘स्काईग्लो  प्रकाश प्रदूषण (स्काईग्लो लाइट पॉल्यूशन/ ब्राइटनिंग नाइट स्काई)’ के महत्वपूर्ण पारिस्थितिक, स्वास्थ्य एवं सांस्कृतिक परिणाम हैं।

स्काईग्लो प्रकाश प्रदूषण का प्रसंग

भारतीय प्रसंग

  • 14 दिसंबर, 2022 को लद्दाख के जिला प्रशासन ने चांगथांग वन्यजीव अभ्यारण्य के भीतर छह बस्तियों को “डार्क स्काई रिजर्व” के रूप में नामित किया – एक ऐसा क्षेत्र जिसका आकाश प्रकाश प्रदूषण से मुक्त है।
  • पदनाम का तात्पर्य था कि रिजर्व के पास आसमान को, विशेष रूप से क्षेत्र में स्थित खगोलीय वेधशालाओं के लिए अंधकार युक्त रखने की जिम्मेदारी थी।

अंतर्राष्ट्रीय प्रसंग

  • शौकिया खगोलविदों एवं नागरिक वैज्ञानिकों के एक समूह ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए विगत 12 वर्षों में आकाश का अध्ययन किया।
  • शोधकर्ताओं के अनुसार, मनुष्य द्वारा आकाश में उत्सर्जित प्रकाश की मात्रा में निरंतर 10% की वृद्धि हुई है।

 

स्काईग्लो प्रकाश प्रदूषण क्या है?

  • स्काईग्लो रात के आकाश की चमक है, अधिकांशतः शहरी क्षेत्रों में, कारों, स्ट्रीट लैम्प्स, कार्यालयों, कारखानों, बाहरी विज्ञापन एवं भवनों के विद्युत जनित प्रकाश के कारण, सूर्यास्त के पश्चात लंबे समय तक काम करने एवं खेलने वाले लोगों के लिए रात को दिन में परिवर्तित कर देता है।
  • उच्च स्तर की आकाशीय प्रकाश वाले शहरों में  निवास करने वाले लोगों के लिए रात में मुट्ठी भर तारों को देखना दुष्कर होता है। खगोलविद विशेष रूप से आकाशीय चमक प्रदूषण से चिंतित हैं क्योंकि यह आकाशीय पिंडों को देखने की उनकी क्षमता को कम कर देता है।
  • विश्व की 80 प्रतिशत से अधिक एवं 99 प्रतिशत अमेरिकी तथा यूरोपीय आबादी, स्काईग्लो के तहत रहते हैं।
  • यह सुनने में आकर्षक प्रतीत होता है, किंतु मानवजनित गतिविधियों के कारण होने वाली आकाशीय चमक प्रकाश प्रदूषण के सर्वाधिक व्यापक रूपों में से एक है।

 

स्काईग्लो प्रकाश प्रदूषण पर शोध क्या कहता है?

  • कई अध्ययनों से यह भी ज्ञात हुआ है कि रात्रि में कृत्रिम प्रकाश लोगों एवं वन्यजीवों दोनों को महत्वपूर्ण तरीकों से प्रभावित करता है।
  • 2003 की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रकाशित समुद्र तट समुद्री कछुओं को तट पर आने से रोकते हैं।
  • 2006 की एक समीक्षा में पाया गया कि स्काईग्लो वृक्षों को मौसमी विविधताओं को अनुभव करने से रोकता है।
  • 2017 के एक अध्ययन में पाया गया कि बिल में घोंसला बनाने वाले युवा समुद्री पक्षी तब तक उड़ान नहीं भरते जब तक कि घोंसला बनाने वाले स्थान पर अंधकार न हो जाए।
  • 2019 के एक अध्ययन में बताया गया है कि रात्रि में कृत्रिम प्रकाश के संपर्क में आने पर क्लाउनफ़िश के अंडों से बच्चे नहीं निकलते हैं, जिससे संतानें मर जाती हैं।
  • 2020 के एक अध्ययन में कहा गया है कि स्काईग्लो कीटों के जीवन के कई पहलुओं में हस्तक्षेप करता है एवं कीट परभक्षियों को को लंबे समय तक शिकार करने की अनुमति  प्रदान करता है।
  • सर्कैडियन लय को बाधित करके, रात्रि में कृत्रिम प्रकाश मेलाटोनिन के उत्पादन में बाधा डाल सकता है, जो मानव शरीर में एक प्रभावशाली हार्मोन है जो नींद, मूड एवं संज्ञान को प्रभावित करता है।
  • 2009 की एक छोटी समीक्षा ने निष्कर्ष निकाला कि सर्केडियन व्यवधान ने रात्रि पाली में काम करने वालों में स्तन कैंसर के खतरे को 40% तक बढ़ा दिया।
  • 2020 में, ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने एक शोध पत्र में लिखा, “रात्रि के आकाश का क्षरण तारों के साथ स्वदेशी संबंध को समाप्त करने का काम करता है, जो चल रहे सांस्कृतिक एवं पारिस्थितिक नरसंहार के रूप में कार्य करता है।”
महत्वपूर्ण तथ्य: प्रकाश प्रदूषण एवं प्रवासी पक्षियों पर इसका प्रभाव विश्व प्रवासी पक्षी दिवस 2022 का केंद्र बिंदु था एवं प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय के पक्षकारों ने 2020 में गांधीनगर में अपनी बैठक में स्काईग्लो प्रकाश प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए दिशानिर्देशों को अपनाया।

एलईडी प्रकाश व्यवस्था प्रकाश प्रदूषण में कैसे योगदान करती है?

  • यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने विगत वर्ष एक अध्ययन में प्रदर्शित किया था कि संपूर्ण विश्व में एलईडी प्रकाश व्यवस्था क्रांति ने प्रकाश प्रदूषण की समस्या को बढ़ा दिया है।
  • प्रकाश व्यवस्था जितनी सस्ती एवं बेहतर होती है, उतनी ही व्यर्थ होती है। सजावटी रोशनी, विज्ञापन बोर्ड, स्ट्रीट लाइट एवं ऊंचे भवनों पर रोशनी ने हमारे आकाश को प्रकाशमान बना दिया है एवं प्रकाश की समस्या और भी बदतर हो गई है।

 

प्रकाश प्रदूषण से खतरा

बाधित निद्रा विन्यास (स्लीपिंग पैटर्न)

  • प्रकाश प्रदूषण न केवल चाँद एवं तारों के सम्मोहक दृश्य को खराब करता है, बल्कि यह मनुष्यों के सोने के व्यवहार पर भी गंभीर प्रभाव डालता है।
  • अत्यधिक प्रकाश न केवल मनुष्यों में बल्कि पशुओं में भी बाधित नींद के पैटर्न एवं खराब स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। एक अध्ययन ने अत्यधिक रोशनी को स्थानीय कीटों की संख्या में गिरावट से भी जोड़ा।

ऊर्जा का भारी अपव्यय

  • विशेषज्ञों का कहना है कि आकाशीय प्रकाशित एवं आकाश की चमक प्रदर्शित करती है कि कि कैसे लोगों एवं सरकारों द्वारा इस भारी नुकसान की जानकारी बिना प्रत्येक दिन भारी मात्रा में ऊर्जा व्यर्थ की जा रही है।

 

स्काईग्लो प्रकाश प्रदूषण के बारे में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. स्काईग्लो क्या है?

उत्तर. स्काईग्लो  रात्रि के आकाश की चमक है, अधिकांशतः शहरी क्षेत्रों में, कारों, स्ट्रीट लैम्प्स, कार्यालयों, कारखानों, बाहरी विज्ञापन तथा भवनों की बिजली की रोशनी के कारण, सूर्यास्त के पश्चात लंबे समय तक काम करने एवं खेलने वाले लोगों के लिए रात्रि को दिन में परिवर्तित कर देता है।

 

प्र. स्काईग्लो प्रकाश प्रदूषण हमें कैसे प्रभावित करता है?

उत्तर. ‘स्काईग्लो प्रकाश प्रदूषण (ब्राइटनिंग नाइट स्काई)’ के महत्वपूर्ण पारिस्थितिक, स्वास्थ्य एवं सांस्कृतिक परिणाम हैं।

 

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FAQs

What Is Skyglow?

Skyglow is the brightening of the night sky, mostly over urban areas, due to the electric lights of cars, streetlamps, offices, factories, outdoor advertising, and buildings, turning night into day for people who work and play long after sunset.

How Does Skyglow Light Pollution Impacts Us?

‘Skyglow Light Pollution(Brightening Night Sky)’ has significant ecological, health and cultural consequences.

manish

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